Saturday, April 4

नव वर्ष का नूतन अभिनन्दन
आओ करें जग वंदन

हर्ष हो, विषाद हो
हास हो, परिहास हो
पर जीवन में उल्लास हो
ऐसा हमारा संवाद दर्शन

नव जीवन को संसार मिले
जीवन को आधार
हंसने-हंसाने का दौर चले
जिनके जीवन में हो क्रंदन

सूर्य किरण की चादर ओढे
नदिया करती कलकल कलकल
खग के करलव करतल पर
न्यौछावर अपना जग जीवन

तुर्क फिरंगी आये कोय
चाहे जितना जुगत भिड़ाय
हम राणा, भामा हैं रज के
यही हमारा जीवन दर्शन

-दीपक राजा