Wednesday, November 9

काले धन पर मोदी का मास्टर स्ट्रोक

काले धन पर मोदी का मास्टर स्ट्रोक 
500 और 1000 के सभी पुराने नोट को चलन से बाहर करने का प्रधानमंत्री ने ऐतिहासिक फैसला लिय़ा। पीएम का मास्टर स्ट्रोक वाले इस फैसले ने एक साथ काले धन रखने वालोंभ्रष्ट्र आचरण करने वालोंरिश्वत लेने और देने वालोंजाली नोट का संचालन करने वालों को पंगु बना दिया। इसके अलावा कैश में कारोबार करने वाले बड़े व्यापारी वर्ग जिनके अघोषित आय हैं, उन्हें अफसोस करने को छोड़ दिया है। चुनाव में जिस तरह से पैसे का काला खेल चलता रहा है। अब उसमें सुधार आएगा और लोकतंत्र मजबूत होगा।

अकेले दिल्ली के छोटे से क्षेत्र चांदनी चौक में अलग-अलग चीजों को लेकर अलग बाजार है जहां अरबों का कारोबार नकदी में होता है। इसका शायद ही कहीं कोई रिकार्ड नहीं होता है। चाहे सोने-चांदी का बाजार कूचा महाजनी हो या बिजली और दवा का बाजार भागीरथ पैलेससूखे मेवे और मसाले का बाजार खारी वाबली हो या घड़ी और साईकिल का बाजार लाजपत राय मार्केटकार्डों और कागजों का बाजार चावड़ी बाजार या नई सड़ककिताबों का बाजार दरियागंज हो या सदर बाजार। इसके अलावा भी करोलबागसरोजनी नगरतिलक नगरनेहरू प्लेसलक्ष्मी नगरशहादरा का तैलीवाड़ागांधी नगर आदि। तमाम बाजारों में नकदी में ही कारोबार होता है। जिसका कोई रिकार्ड नहीं होता है।

दिल्ली के अलावा लुधियाना, सूरत हो, गया हो, पटना, बैंगलुरू जैसे तमाम शहरों में भी नकदी का कारोबार होता है। सब्जी मंडियों से लेकर अनाज मंडियों तक में कारोबार ज्यादातर नकदी में होता है। गली मोहल्ले में दुकानों से लेकर फेरी लगाने वाले तमाम छोटे-मंझोले दुकानदारों का कारोबार भी नकदी होता रहा है। जो अब रिकार्डेड माध्यमों से कारोबार करेंगे। सभी लोग आनलाइन कारोबार करेंगे। लेन-देन बैंकों के माध्यम से होगा। इसका सीधा लाभ सरकार को कर वृद्धि के रूप में होगी जो लौटकर जनता के पास ही आना है। आमदनी बढ़ने पर सरकार और एकाउंटेबल होकर देश की जनता के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से कल्याणकारी काम कर सकेगी। किसानों को उपज का वाजिब रकम मिलेगा। किचन तक सब्जी, फल, दूध और अनाज सही दाम में पहुंचेगा।

कुछ लोगों को लगता है कि अचानक लिए इस फैसले से आम लोगों को दिक्क्त होगी। निश्चित रूप से आम लोगों को एक-दो दिन की दिक्क्त होगी। उन्हें बैंक खुलने और एटीएम के संचालन होने तक का इंतजार करना पड़ सकता है। लेकिन हाय तौबा जैसी स्थिति नहीं होने वाली है। प्रधानमंत्री मोदी के इस फैसले पर जो लोग हाय तौबा मचा रहे हैं। ऐसे लोगों में ज्यादातर के पास अघोषित रकम होगी। वो जनसामान्य के बहाने ऐसे लोग अपने लिए सरकार से मोहलत मांगने की कोशिश में हैं ताकि अपने काले धन को ठिकाने लगा सकें।

अंत में, एक बात जो लोग घर में, अपने जीवन में, आर्थिक फैसले में महिलाओं को शामिल करते रहे हैं। उन्हें आय की रकम नियमित रूप से अपने महिला परिजन बोले तो पत्नी, बहन और मां को देते रहे हैं। 500 और 1000 के नोट के चलन में बाहर करने के दौर में उनका सहयोग बहुत ही सार्थक रहने वाला है। एक तो अप्रत्याशित रूप से, आपको पता लगता है कि अरे घर में इतना पैसा मुझसे छिपा कर, बचाकर रखा गया, आड़े वक्त के लिए। हो सकता है उन महिलाओं के पास ज्यादातर रकम छोटे नोटों का हो। 

Sunday, November 6

अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला नहीं है टीवी चैनल पर एक दिन का बैन

अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला नहीं है टीवी चैनल पर एक दिन का बैन
NDTV पर सरकार ने एक दिन का बैन लगाया, उसको लेकर हो-हल्ला मचाया जा रहा है। तथाकथित बुद्धजीवियों को लग रहा है कि यह आपातकाल के दौर की आहट है। उन्हें या तो स्टंट करने में मजा आता है या किसी पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। या फिर जिस बौद्धिकता को लेकर अपने आन पर गुस्ताखी मान रहे हैं, वह उसके लायक हैं ही नहीं। पूरे देश को पता है कि आपातकाल में पूरी मीडिया ही नहीं देश के एक-एक लोगों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को निलंबित कर दिया गया था। NDTV पर एक दिन के ऑफ एयर करना, वह भी उनकी गलत रिपोर्टिंग के कारण, आपातकाल की आहट कैसे हो सकता है। 
केंद्र सरकार ने NDTV पर सिर्फ एक दिन के लिए ऑफ एयर होने का नोटिस दिया। इतने में ही तथाकथित बुद्धजीवी बिलविला उठे। विशेषकर जो वामपंथी विचारधारा से हैं या उससे प्रभावित हैं। वामपंथी विचार को मानने वालों या उनकी ओर झुकाव रखने वालों को देश हित से कभी कोई मतलब नहीं रहा। उन्हें स्वहित सबसे प्रिय है। चाहे इसके लिए देश की सुरक्षा, अस्मिता, सामाजिक ताना-बाना जाए चूल्हे में।
एक अंतर-मंत्रालय समिति ने सरकार को NDTV पर 30 दिन के ऑफ एयर करने की सिफारिश की थी। केंद्र सरकार सिर्फ मीडिया चैनल और उससे जुड़े पत्रकारों को अहसास कराना चाहती थी। इसलिए चैनल के आर्थिक पक्ष को ध्यान रखते हुए सिर्फ एक दिन का बैन लगाया। सरकार चाहती तो हूबहू शब्दश NDTV पर 30 दिनों के लिए बैन कर सकती थी लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। यह केंद्र सरकार की भलमानसी है।
इस तरह का चैनल पर बैन पहली बार नहीं लगी। पहले भी सरकारें मीडिया चैनल के प्रसारण पर रोक लगाती रही है। उसके कुछ उदाहरण -
  • 2005 में सिने वर्ल्ड में रात में एडल्ट मूवी दिखाने के कारण पूरे एक महीने के लिए बैन किया गया था।
  • 2007 में एक महीने के लिए जनमत चैनल पर एक महीने का बैन लगाया गया। उसे गलत स्टिंग चलाने का दोषी पाया था।
  • 2007 में एफटीवी और एएक्सएन को दो माह के लिए प्रतिबंधित किया गया।
  • 2015 में भारत का नक्शा गलत दिखाने पर अलजजीरा पर 5 दिन का बैन लगाया गया था।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार है जिसकी व्याख्या अनुच्छेद 19 में विस्तार से की गई है। इसी के तहत पत्रकारिता यानि मीडिया से जुड़े संस्थानों और पत्रकारों को भी अधिकार प्राप्त है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर किसी को भी, कुछ भी बोलने, प्रदर्शन करने या फिर प्रसारण करने का अधिकार नहीं है। संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है स्वच्छंदता का नहीं। अनुच्छेद 19 के अनुसार, राज्य के पास संविधान और कानूनों के तहत इस स्वतंत्रता को नियंत्रित करने का अधिकार है। कुछ विशेष परिस्थितियों में, जैसे- बाह्य या आंतरिक आपातकाल, राष्ट्रीय सुरक्षा आदि।

एनडीटीवी पर एक दिन के लिए बैन को लेकर जिस तरह से हायतौबा मचा है, विधवा विलाप हो रहा है। इसको राजनीतिक रंग देने में जुटा एक खास गुट है, जो कभी जेएनयू में भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे को भी अभिव्यक्ति की आजादी मान रहे थे। स्वतंत्रता के नाम पर कभी देवी-देवताओं की नग्न पेटिंग्स बनाई जाती है। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर, लोकतंत्र के नाम पर भौड़े प्रदर्शन को जनता समझ रही है। 
-© दीपक कुमार