Sunday, December 11

एक पेड़ ऐसा जिस पर फले रूपए

हर आदमी, चाहे वो जहाँ भी है और जिस हालत में है, जीवन यापन कर रहा है। हर एक व्यक्ति अपनी स्थितियों और परिस्थितियों को अपने अनुसार बनाना चाहता है। उनके लिए जो कुछ बन पा रहा है, करने की कोशिश कर रहे हैं। हालाँकि जितना सोच पाते हैं, उतना नहीं मिल पाता है।

एक मंच ऐसा मुझे दिखा है जहाँ से हर आदमी अपने जरुरत और इच्छा के मुताबिक अपने सपनों को हकीकत में बदल सकता है। अपने साथ साथ परिवार में आने वाली पीढ़ियों के लिए भी रुपये का पेड़ छोड़ सकता है। पेड़ तो एक साल में एक बार फल देता है, लेकिन मैं जिस पेड़ कि बात कर रहा हूँ वो साल में के बार नहीं पूरे बावन हफ्ते रुपये का फल दे सकता है।

उस फल को पाने के लिए बस एक बार पेड़ का बीज खरीदना पड़ेगा। बीज को खरीदने के बाद बीज को पौधा बनाने तक ध्यान देना पड़ेगा। बीज एक बार पौधा बन जाये, फिर तो फलदार बनने से कोई नहीं रोक सकता है।

रूपये के पेड़ का बीज खरीदने के लिए आपको सेक्योर लाइफ नाम के नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी के साथ जुडी कंपनियों का कोई एक प्रोडक्ट जो आपके लिए उपयोगी हो, खरीदना होगा। इसके साथ ही बीज आपके हाथ में आ जायेगा। प्रोडक्ट क्या है, इसे देखने के लिए आप वेब
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Thursday, August 25

देश के नागरिकों से एक आग्रह

जनलोकपाल विधेयक को लेकर देश अभी अन्नामय है। अन्ना के समर्थन में देश के कोने-कोने में धरना प्रदर्शन हो रहे हैं। हजारों लोग दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना के साथ अनशन में शरीक भी हैं। लोगों को लगता है कि अन्ना के अनशन से समाज आैर देश का भला होने वाला है। धीरे-धीरे अन्ना की मुहिम के समर्थकों का कारवां बढ़ रहा है।

फिर भी बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो अन्ना के मुहिम में शामिल होना तो चाहते हैं लेकिन कुछ-न-कुछ ऐसी मजबूरी सामने आ जाती है जो उन्हें अन्ना के साथ खड़ा होने नहीं दे रही है या वह अन्ना की मुहिम में अपना योगदान नहीं कर पा रहे हैं। वैसे लोगों की संख्या हजारों, लाखों नहीं करोड़ों में है। इसमें हम आैर आप भी हैं।

हम आैर आप अन्ना की मुहिम का समर्थन 'यथा शक्ति यथा भक्ति" के मुताबिक भी कर सकते हैं, वह भी बिना दिनचर्या को बिगाड़े। न ज्यादा समय का खर्च आैर न ही ज्यादा आर्थिक नुकसान। अन्ना के मुहिम को बल देने के लिए आपका पचास पैसा बहुत बड़ा योगदान दे सकता है।

पचास पैसा हर कोई खर्च कर सकता है, चाहे जैसी भी परिस्थिति हो। आपको सिर्फ डाकघर तक जाना है। आप जहां भी रहते हैं, या जहां भी हैं, उससे जो भी डाकघर पास पड़ता वहां जाएं पोस्टकार्ड खरीदें आैर प्रधानमंत्री को पत्र लिखें।
फिर देर किस बात की है। डाकघर पहंुचिए आैर पत्र लिख डालिए प्रधानमंत्री के नाम ...।

प्रधानमंत्री के नाम लिखे पत्र में क्या लिखना है, यह आपके स्वविवेक पर निर्भर करता है। आप चाहें तो आम नागरिक होने के नाते सरल शब्दों में अन्ना के सशक्त जनलोकपाल बिल के समर्थन में पत्र लिख सकते हैं या फिर आप आस-पास गैर कानूनी तरीके से होने वाले कार्य निष्पादन के बारे में भी पत्र में लिख सकते हैं।

प्रधानमंत्री के नाम पोस्टकार्ड लिखिए, अन्ना की मुहिम को बल देने के लिए। आपका यह छोटा सा अंशदान आैर श्रमदान देश के भविष्य, सुरक्षा, संरक्षा आैर सवद्र्धन के लिए बहुत जरूरी है। इससे आपकी दिनचर्या पर बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन आपको एक सुखद अहसास जरूर होगा कि आपने भी अन्ना की मुहिम को आगे बढ़ाने में योगदान दिया। वह भले ही श्रीराम सेतु निर्माण में तल्लीन गिलहरी के योगदान जैसा क्यों न हो।

देश के प्रधानमंत्री का पता है-

प्रधानमंत्री कार्यालय
साउथ ब्लॉक, रायसिना हिल
नई दिल्ली-110001



निवेदक- दीपक राजा
अन्ना मुहिम का समर्थक

Monday, August 22

अदद एक नेत्र विशेषज्ञ की, वीरभद्र सिंह के लिए

उम्र बढ़ने के साथ-साथ ऐसा होता है, आदमी ऊंचा सुनने लगता है। दिखाई कम देने लगता है। वीरभद्र सिंह के साथ भी कोई नई बात नहीं हो रही है। इस बात को जो समझ लेते हैं, वह नेत्र विशेषज्ञ से सलाह लेते हैं। उनकी सलाह पर फिर चश्मा या कांटेक्ट लैंस लगाते हैं।

हालांकि उम्रदराज लोग इस बात के लिए तब तक राजी नहीं होते कि उनकी नजरें कमजोर हो गई, या सुनने की क्षमता क्षीण हो रही है, जब तक कि नुकसान न हो जाए। केंद्रीय लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री वीरभद्र सिंह भी कुछ ऐसे ही हैं। जन्माष्टमी के मौके पर बांके बिहारीजी का दर्शन करने गए मथुरा। वहां उन्होंने अन्ना के आंदोलन और उनके समर्थकों की टोली को भीड़ की संज्ञा दे दी। उन्होंने यहां तक कह दिया कि भीड़ तो मदारी भी जुटा लेता है।

अन्ना के समर्थकों का समूह और मदारी के भीड़ में अंतर नहीं कर पाने में केंद्रीय मंत्री का दोष नहीं है। एक तो उम्र का तकाजा है। दूसरा उनका फैमिली डॉक्टर लापरवाह हो गया है। मंत्री महोदय की नजरें कमजोर हो गई और उसने ध्यान नहीं दिया। नजरें कमजोर होगी तो अंतर आदमी कहां कर पाता है। दुर्योधन की मौत के बाद धृतराष्ट्र भीम और के पुतले में अंतर कहां कर पाये थे। एक तो मंत्री महोदय उमरदराज हैं और उनकी पार्टी और अधिक उम्रदराज।
पार्टी तो इतनी उम्रदराज है कि पार्टी लगभग अंधी हो गई। उसे दिखाई भी नहीं दे रहा है कि रास्ता आखिर है तो है किधर। चारों और दिख रहा है अन्ना अन्ना ...

Tuesday, August 9

सटीक निर्णय देने का दायित्व


यदि आप राजस्थान की सामाजिक विविधताओं को समझते हैं और विवाद को तार्कि क और सटीक मत के जरिए सुलझाने में रुचि रखते हैं तो आपके लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) मौका दे रही है सिविल जज (जूनियर) बनने का। एक सौ एक रिक्त पदों के लिए इच्छुक उम्मीदवार आरपीएससी की वेबसाइट पर 25 अगस्त, 2011 तक ऑनलाइन आवेदनकर सकते हैं

अर्हताएं: उम्मीदवार के पास किसी भी मान्यता प्राप्त विविद्यालय से अधिवक्ता अधिनियम 1961 के तहत मान्य एलएलबी की डिग्री होनी चाहिए। साथ ही उम्मीदवार को राजस्थानी भाषा, लीपि और परिवेश की समझ होनी चाहिए। आवेदन करने वाले की उम्र पहली जनवरी, 2012 को कम से कम 23 साल लेकिन 35 साल से अधिक न हो। आरक्षण और उम्र सीमा में छूट का लाभ सरकारी प्रावधानों के अनुसार दी जाएगी।

चयन प्रक्रिया: चयन प्रक्रिया तीन स्तरीय प्रतियोगिता के माध्यम से होगी- प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार। साक्षात्कार में सफल होने पर उम्मीदवार को राजस्थान न्यायिक सेवा के तहत (न्यायिक) डय़ूटी दी जाएगी।

पहला चरण : प्रारंभिक परीक्षा इसमें बहुवैकल्पिक प्रश्न पूछे जाएंगे। मुख्य परीक्षा के दो प्रश्न पत्र लॉ- प्रथम और लॉ-द्वितीय से संबंधित होंगे। प्रारंभिक परीक्षा में इन दोनों प्रश्नपत्रों से 70 फीसद प्रश्न होंगे। शेष 30 फीसद प्रश्न हिंदी और अंग्रेजी भाषा संबंधी प्रश्न होंगे। इसमें प्राप्त अंकों के आधार पर कैटेगरी वाइज मेधावी सूची बनाई जाएगी। रिक्त पदों की कुल संख्या का पन्द्रह गुणो उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा के लिए चयन किया जाएगा। सफल उम्मीदवारों को दोबारा फार्म भरने होंगे, जो आरपीएससी से मुफ्त मिलेंगे।

दूसरा चरण : मुख्य परीक्षा मुख्य परीक्षा में चार प्रश्नपत्र होंगे। इसमें दो प्रश्नपत्र सौ-सौ अंकों के लॉ संबंधी हों गे। तीसरा प्रश्नपत्र हिंदी निबंध पचास अंकों का और चौथा प्रश्नपत्र अंग्रेजी निबंध का होगा। सभी के प्रश्न सब्जेक्टिव/ नरेटिव टाइप होंगे।

पहला प्रश्नपत्र लॉ प्रथम : इसमें भारतीय संविधान, सिविल प्रोसिजर कोड, लॉ ऑफ कांट्रेक्ट एंड पार्टनरशिप, लॉ ऑफ टोर्ट एंड एसेसमेंट, लॉ ऑफ मोटर एक्सीडेंट क्लेम, लॉ ऑफ अरबिट्रेशन, रेंट कंट्रोल लॉ, राजस्थान का रेवन्यू लॉ, लॉ ऑफ स्पेसिफिक लॉ, हिंदू लॉ, मुस्लिम लॉ, लॉ ऑफ ट्रांसफर प्रॉपर्टी, लॉ ऑफ लिमिटेशन, लॉ ऑफ लोक अदालत और स्थायी लोक अदालत, घरेलू हिंसा संबं धी नियम आदि संबंधी प्रश्न पूछे जाएंगे।

दूसरा प्रश्न पत्र सिविल लॉ सेकेंड : इसके तहत क्रिमिनल प्रोसिजर कोड, लॉ ऑफ एविडेंस कोड, आईपीसी, लॉ ऑफ नारकोटिक ड्रग, एससी/एसटी संबंधी प्रोटेक्शन क्रिमिनल लॉ, बाल अपराध नियम, चेक डिसऑनर संबंधी नियम, बिजली चोरी संबंधी नियम, साइबर क्राइम, सामान्य अपराध और जजों के आदेश संबंधी प्रश्न हों गे। दोनों प्रश्नपत्रों के सिलेबस की प्रैक्टिकल जानकारी उम्मीवारों को होनी चाहिए।

तीसरा प्रश्न हिंदी निबंध : इसके अंतर्गत हिंदी लेखन क्षमता और व्याकरण संबंधी प्रश्न होंगे।

चौथा प्रश्न पत्र अंग्रेजी (निबंध/लेख) : इस प्रश्नपत्र में अंग्रेजी लेखन, अनुवाद हिंदी से अंग्रेजी और अंग्रेजी से हिंदी, ग्रामर को परखा जाएगा। मुख्य परीक्षा के सभी प्रश्नपत्रों की परीक्षा में शामिल होना अनिवार्य है। पहले और दूसरे प्रश्नपत्रों में न्यूनतम 35 फीसद अंक लाना अनिवार्य है। सभी प्रश्नपत्रों के पूर्णाक 300 का 40 फीसद यानी 120 अंक और उससे अधिक प्राप्तांक लाने वाले उम्मीदवारों की मेधावी सूची कैटेगरी वाइज बनाई जाएगी। एसटी/एससी उम्मीदवारों के लिए प्राप्तांक में पांच फीसद की छूट दी गई है। मेधावी सूची के आधार पर रिक्त पदों की कुल संख्या के तीन गुणो उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा।

तीसरा चरण : इंटरव्यू इंटरव्यू के बाद कैटेगरी वाइज मेधावी सूची बनाई जाएगी और रिक्त पदों की संख्या के अनुसार मेधावी उम्मीदवारों का चयन कर लिया जाएगा।

Sunday, August 7

ड्रीम

ड्रीम
अगर हो
क्रीम
तो जीवन में
जरूर मिलेगा
चाहे कोई
कितना भी
राहों में
बिछाए कांटे
कांटे भी फूल बनकर
उभर आयेंगें और
दे जायेंगे सब कुछ.

"सपना सफलता की राह खोजने को मजबूर करता है."

Wednesday, August 3

आवाज़ बुलंद कर हजारे


मगरूर नहीं हैं हम, अपनी ताकत से.
मार डाले नहीं मुझे, अपनी शरारत से..

ताउम्र बीत गई, चक्कर काटते-काटते.
न्याय मिलेगा जरूर, अपनी अदालत से..

मुव्वकिल की जर, जमीन और बिकी जोरू भी.
वकीलों ने बनाई इमारतें, अपनी वकालत से..

उकता गए हैं हम, हे भ्रष्ट प्रहरियों.
सब्र की सीमा है, अपनी शराफत से..

रस्ते के पत्थर ही नहीं, हटेंगे पर्वत भी.
आवाज़ बुलंद कर हजारे, अपनी बगावत से..

कौन आया कायनात में, रहने को सदा.
दिखा दो संसार को, अपनी अदावत से..

Tuesday, July 19

राजस्थान जाएं , पढ़ाएं


राजस्थान में बनिए वरिष्ठ अध्यापक (प्रारंभिक)

आप यदि राजस्थानी संस्कृति में रचे बसे हैं और आप शिक्षा क्षेत्र से जुड़ना चाहते हैं तो राजस्थान लोक सेवा आयोग ने प्रदेश में वरिष्ठ अध्यापक (प्रारंभिक) के लिए 4,326 पदों के लिए आवेदन मांगे हैं। इसमें 1,963 पद सामान्य वर्ग के लिए है।

अर्हताएं
शैक्षिक योग्यता : इच्छुक उम्मीदवार को सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त विविद्यालय से किसी भी विषय से स्नातक या उसके समतुल्य परीक्षा में उत्तीर्ण होना चाहिए और राजस्थान सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त शिक्षा में उपाधि या डिप्लोमा भी जरूरी है।
अनुभव : पांच वर्ष अध्यापन का अनुभव होना चाहिए। इच्छुक उम्मीदवार को देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी का व्यावहारिक ज्ञान एवं राजस्थान की संस्कृति का ज्ञान होना चाहिए।
उम्र सीमा : आवेदक की उम्र पहली जनवरी, 2012 को 18 साल से कम नहीं होनी चाहिए और न ही 35 साल से अधिक। आरक्षण और उम्र में छूट केवल राजस्थान के निवासियों के लिए है। परीक्षा केंद्र : आवेदकों की संख्या के आधार पर राजस्थान के जिला मुख्यालयों पर परीक्षा केंद्र बनाया जाएगा। परीक्षा अगस्त महीने के अंतिम सप्ताह या सितम्बर माह में लिया जाएगा।

चयन प्रक्रिया
लिखित परीक्षा में प्राप्त अंकों की कैटेगरी वाइज मेधावी सूची बनाई जाएगी। इसी मेधावी सूची के आधार पर मैरिट में आए उम्मीदवारों से सभी रिक्त पदों को भरा जाएगा। लिखित परीक्षा के तहत दो पेपर हैं। पहला प्रश्नपत्र दो सौ अंकों का है और दूसरा प्रश्नपत्र तीन सौ अंकों का है।

प्रथम प्रश्नपत्र : इसमें एक सौ प्रश्न बहुवैकल्पिक होंगे। इसके लिए दो घंटे निर्धारित किया गया है। यह चार भागों में बांटा गया है। पहले भाग में राजस्थान की भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामान्य जानकारी संबंधी प्रश्न पूछे जाएंगे। इसके लिए 80 अंक निर्धारित किये गये हैं। दूसरे भाग में राजस्थान की समसामायिक घटनाओं से संबंधी प्रश्न पूछे जाएंगे, इसके लिए 20 अंक निर्धारित है। तीसरे भाग में वि और भारत की सामान्य जानकारी संबंधी प्रश्न पूछे जाएंगे। इसके लिए 60 अंक निर्धारित किये गये हैं। प्रश्न पत्र का चौथा भाग 40 अंक का है। इस भाग में शिक्षा से जुड़े मनोविज्ञान संबंधी प्रश्न पूछे जाएंगे।

दूसरा प्रश्नपत्र : यह प्रश्नपत्र इच्छुक उम्मीदवार के विषय से संबंधित है। इसके लिए ढाई घंटे निर्धारित किये गये हैं। इसमें डेढ़ सौ अंकों के लिए बहुवैकल्पिक प्रश्न पूछे जाएंगे। शेष अंकों के लिए प्रश्न लघुत्तरीय और दीर्घउत्तरीय होंगे। इस प्रश्नपत्र को तीन भागों में बांटा गया है। पहले भाग में सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी स्तर के विषय संबंधी जानकारी पूछे जाएंगे, इसके लिए 180 अंक निर्धारित किया गया है। दूसरे भाग में स्नातक स्तरीय प्रश्न विषय संबंधी होंगे। इसके लिए 80 अंक निर्धारित किये गये हैं, जबकि तीसरे भाग में संबंधित विषय को पढ़ाने के तरीके को समझने के लिए प्रश्न पूछे जाएंगे। इसके लिए 40 अंक निर्धारित किये गये हैं।

रणनीति

  • परीक्षा में सफलता के लिए सबसे पहले लिखित परीक्षा के सिलेबस को गहराई से समझना जरूरी है।
  • सिलेबस को समझने के बाद रुटीन बनाकर तैयारी करनी चाहिए।
  • लिखित परीक्षा के दोनों प्रश्नपत्र महत्वपूर्ण हैं। किसी को भी कमतर आंकना ठीक नहीं है।
  • लिखित परीक्षा के प्रथम प्रश्नपत्र में राजस्थान संबंधी सौ अंकों के प्रश्न पूछे जाएंगे। इसे ध्यान में रखते हुए ‘राजस्थान : एक परिचय‘ संबंधी पु स्तक पढ़ना जरूरी है।
  • बारहवीं तक की एनसीईआरटी की पुस्तकों को रिवाइज करने से लिखित परीक्षा में काफी हद तक मदद मिलेगी।
  • समसामायिक घटनाओं की जानकारी को अपडेट रखने के लिए राष्ट्रीय स्तर के समाचारपत्र के अलावा प्रतियोगिता पत्रिकाओं की नियमित पढ़ाई जरूरी है।
  • पढ़ाई करते समय महत्वपूर्ण तत्थों को नोट करना चाहिए और नोट किए तत्थों को रोजाना देखना चाहिए
  • चूंकि नियुक्ति राजस्थान प्रदेश के लिए है, इसके लिए जरूरी है राजस्थान संबंधी समसामायिक घटनाओं, नियुक्तियों संबंधी प्रश्नों के अलावा, राजस्थान से संबंधित तमाम जानकारियों पर पकड़ बनानी चाहिए।

दीपक राजा

Tuesday, July 12

हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) सिविल जज (जूनियर) बनने का मौका


हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) सिविल जज (जूनियर) बनने का मौका दे रही है। एक सौ आठ रिक्तियों के लिए आवेदन करने वाले इच्छुक उम्मीदवारों के पास किसी भी मान्यता प्राप्त विविद्यालय से एलएलबी की डिग्री होनी आवश्य है। डिग्री बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा मान्यता प्राप्त होनी चाहिए।

चयन प्रक्रिया
आवेदन स्वीकार होने के बाद चयन प्रक्रिया तीन स्तर की प्रतियोगिता के माध्यम से होगी- प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार। साक्षात्कार में सफल होने पर उम्मीदवार को हरियाणा न्यायिक सेवा के तहत (न्यायिक) डय़ूटी दी जाएगी।

पहला चरण : प्रारंभिक परीक्षा
प्रारंभिक परीक्षा 500 अंकों की है। इसमें 125 बहुवैकल्पिक प्रश्न होंगे। प्रत्येक प्रश्न का निर्धारित अंक चार है। इसे हल करने के लिए दो घंटे का समय दिया जाएगा। प्रश्न हल करते वक्त यह ध्यान रखें कि प्रत्येक गलत उत्तर पर प्राप्तांक में से एक अंक काट लिया जाएगा। प्रारंभिक परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर प्रत्येक वर्ग के उम्मीदवारों की मेधावी सूची बनाई जाएगी। रिक्त पदों की कुल संख्या के दस गुने उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा के लिए चयन किया जाएगा। सफल उम्मीदवारों को दोबारा फॉर्म भरने होंगे, फार्म एचपीएससी से मुफ्त मिलेंगे।

दूसरा चरण : मुख्य परीक्षा
मुख्य परीक्षा में पांच प्रश्नपत्र होंगे। इसमें दो पेपर सिविल लॉ, एक क्रिमिनल लॉ और एक अंग्रेजी तथा हिंदी के होंगे। सभी के प्रश्न सब्जेक्टिव/नरेटिव टाइप होंगे।
पहला प्रश्नपत्र सिविल लॉ प्रथम : इसके तहत कोड ऑफ सिविल प्रोसेजर, कॉन्ट्रेक्ट एक्ट, पार्टनरशिप एक्ट, सेल्स ऑफ गुड्स एक्ट, इंडियन एविडेंस एक्ट, स्पेशल रिलीफ एक्ट और पंजाब कोर्ट एक्ट संबंधी प्रश्न पूछे जाएंगे।
दूसरा प्रश्न पत्र सिविल लॉ सेकेंड :
इसके तहत हिंदू लॉ, मुस्लिम लॉ, लॉ और रजिस्ट्रेशन, लिमिटेशन एक्ट संबंधी प्रश्न होंगे।
तीसरा प्रश्न क्रिमिनल लॉ : इसके अंतर्गत इंडियन पैनल कोड, क्रिमिनल प्रोसेजर कोड और इंडियन एविडेंस एक्ट संबंधी प्रश्न होंगे।
चौथा प्रश्न पत्र अंग्रेजी (निबंध/लेख) : इस प्रश्नपत्र में तीन टॉपिक दिए जाएंगे। तीन में से किसी एक टॉपिक पर लेख/निबंध लिखना है।
पांचवा प्रश्न पत्र हिंदी (भाषा) : इसके तहत हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के पाठय़क्रम के अनुरूप प्रश्न पूछे जाएंगे। इसके तहत अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद, लोकोक्ति, कहावत -मुहावरे और उसका उपयोग, हिंदी व्याकरण, पर्यायवाची शब्द आदि प्रश्नों का समावेश होगा।
मुख्य परीक्षा में भी प्राप्त अंकों के आधार पर मेधावी सूची बनाई जाएगी और रिक्त पदों की कुल संख्या के तीन गुने उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा।

तीसरा चरण : इंटरव्यू/फाइनल सेलेक्शन
इंटरव्यू के बाद कैटेगरी वाइज मेधावी सूची बनाई जाएगी और रिक्त पदों की संख्या के अनुसार मेधावी उम्मीदवारों का चयन कर लिया जाएगा।

रणनीति
  1. सफल होने के लिए उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा और प्रारंभिक परीक्षा दोनों की एक साथ तैयारी करनी होगी। दोनो परीक्षाओं का सिलेबस लॉ संबंधी लगभग समान है।
  2. हिंदी और अंग्रेजी विषय की तैयारी प्राथमिक परीक्षा के बाद करना चाहिए, क्योंकि इससे संबंधित प्रश्न सामान्यत: मुख्य परीक्षा में ही पूछे जाएंगे।
  3. प्रारंभिक परीक्षा बहुवैकल्पिक होगी, लेकिन निगेटिव मार्किग होने के कारण प्रश्नों के उत्तर देने में थोड़ी सावधानी बरतनी पड़ेगी।
  4. हरियाणा प्रदेश के इतिहास, राजनीति, भौगोलिक तथ्यों से जुड़े प्रश्नों को ध्यान में रखना जरूरी है।
  5. एलएलबी के सिलेबस को फिर से दोहराने की जरूरत है विशेषकर सिविल और क्रिमिनल लॉ।
  6. प्रतियोगिता की तैयारी करते समय हमेशा बेयर एक्ट की पुस्तक साथ रखना चाहिए, यह रिफरेंस बुक है। जो पढ़ाई के वक्त काफी मददगार साबित होगी। समय-समय पर उसे देखते भी रहना चाहिए।
  7. समसामयिक घटनाओं की जानकारी, कोर्ट के नए फैसले संबंधी तथ्यों को अपडेट रखने के लिए राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्र के अलावा प्रतियोगिता पत्रिकाओं की नियमित पढ़ाई जरूरी है।
  8. महत्वपूर्ण तथ्यों को नोट करने के लिए हमेशा अपने साथ नोट बुक रखनी चाहिए ताकि जरूरत के वक्त नोट किया जा सके और नोट किए तथ्यों को रोजाना देखना चाहिए।
  9. हिंदी के प्रश्नपत्र में दसवीं स्तर के प्रश्नपत्र होंगे। इसमें लोकोक्ति, कहावत, मुहावरे, पर्यायवाची शब्द, समानार्थक शब्द आदि के लिए व्याकरण पढ़ना जरूरी है।
  10. निर्धारित समय में सीमित शब्दों में किसी टॉपिक पर लेख लिखना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसके लिए अभ्यास की जरूरत है।

Tuesday, July 5

सहायक कमांडेंट बनकर करें देश-सेवा


सहायक कमांडेंट बनकर करें देश-सेवा

अर्धसैनिक बलों में सहायक कमांडेंट साहस और चुनौतीभरा राजपत्रित अधिकारी का पद है। केंद्रीय पुलिस बल में सहायक कमांडेंट 497 पदों के लिए यूपीएससी ने आवेदन मांगे हैं। केंद्रीय पुलिस बल के तहत बीएसएफ में 111, सीआरपीएफ में 213, सीआईएसएफ में 15, आईटीबीपी में 36 और एसएसबी में 122 (कुल 497) पदों के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने आवेदन प्रपत्र मांगे हैं

चयन प्रक्रिया

आवेदन-प्रपत्र स्वीकार किए जाने के बाद उम्मीदवारों का चयन दो चरणों में किया जाता है। पहले चरण में लिखित परीक्षा 450 अंकों की है, जबकि दूसरे चरण में शारीरिक परीक्षण और मेडिकल चेकअप के साथ इंटरव्यू शामिल है। इंटरव्यू 200 अंक का है। लिखित परीक्षा में दो प्रश्नपत्र शामिल हैं। पहला प्रश्नपत्र जनरल एबिलिटी का है। यह 250 अंकों का है। इसके लिए निर्धारित समय दो घंटे हैं। इसमें 125 बहुवैकल्पिक प्रश्न होंगे। इसके तहत मेंटल एबिलिटी में रीजनिंग, क्वांटिटेटिव एप्टीटय़ूट, न्यूमेरिकल एबिलिटी, डाटा इंटरप्रिटेशन संबंधी सवाल पूछे जाएंगे। सामान्य विज्ञान के तहत सामान्य जानकारी, साइंटिफिक टेम्पर, कॉम्प्रिहैंशन, बॉयोटेक्नोलॉजी, सूचना तकनीक, पर्यावरण विज्ञान आदि संबंधी प्रश्न होंगे। करेंट इंवेट के तहत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की समसामयिक घटनाएं, संगीत, सभ्यता, व्यापार, उद्योग, राजनीतिक घटनाक्रम आदि प्रश्न। भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के तहत भारतीय संविधान, सामाजिक ताना-बाना और प्रशासन, भारत की आर्थिक विकास यात्रा, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय रक्षा संबंधी मुद्दे, मानवाधिकार संबंधी प्रश्नों के अलावा भारतीय इतिहास, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन, भारत और वि भूगोल संबंधी प्रश्न पूछे जाएंगे।

दूसरा प्रश्न पत्र जनरल स्टडीज, निबंध, कॉम्प्रिहैंशन का है। यह प्रश्नपत्र 200 अंकों का है। इसके लिए भी दो घंटे का समय तय किया गया है। प्रश्नपत्र के पहले हिस्से में स्वतंत्रता आंदोलन, भूगोल, राजनीति और अर्थव्यवस्था, सुरक्षा ज्ञान, मानवाधिकार आदि पांच टॉपिक दिए जाएंगे। किसी एक टॉपिक पर हिन्दी या अंग्रेजी लेख लिखना होगा। इसके लिए 80 अंक हैं। दूसरा भाग शेष 120 अंकों का है, इसका उत्तर केवल अंग्रेजी में देना होगा। इसके तहत कॉम्प्रिहैंशन, संक्षेपण और भाषा संबंधी प्रश्न होंगे। यहां यह याद रखना जरूरी है कि दूसरे प्रश्नपत्र की कॉपी की जांच उसी उम्मीदवार की होगी, जो पहले प्रश्नपत्र में सफल होंगे। लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को कम से कम 55 फीसद अंक लाना होगा। .

शारीरिक दक्षता व चिकित्सीय जांच

सफल उम्मीदवारों को चिकित्सीय परीक्षण और शारीरिक दक्षता टेस्ट के लिए बुलाया जाएगा। चिकित्सीय परीक्षण में उम्मीदवारों की लंबाई, वजन,सीना, आंखों की जांच की जाएगी। स्टैंर्डड के अनुरूप उम्मीदवारों की शारीरिक दक्षता की जांच होगी। इसके तहत, पुरुष उम्मीदवार को 100 मीटर रेस 16 सेकेंड में और 800 मीटर रेस तीन मिनट 45 सेकेंड में पूरा करना है जबकि महिला के लिए 100 मीटर रेस के लिए 18 सेकेंड और 800 मीटर के 4 मिनट 45 सेकेंड का समय दिया गया है। पुरुष उम्मीदवार को 3.5 मीटर, जबकि महिला को 3 मीटर लंबीकूद करनी होगी, इसके लिए अधिकतम तीन मौके मिलेंगे। इसके अलावा, पुरुष उम्मीदवारों से 7.26 किग्रा का गोला कम से कम 4.5 मीटर तक फेंकना होता है।

इंटरव्यू/ पर्सनालिटी टेस्ट

शारीरिक दक्षता में सफल होने वाले उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा। इंटरव्यू 150 अंकों का है।

फाइनल सिलेक्शन

इंटरव्यू के बाद लिखित परीक्षा और इंटरव्यू में उम्मीदवार को मिले प्राप्तांक को जोड़ा जाएगा और कैटेगरी-वाइज मेधावी सूची बनाई जाएगी।

रणनीति

  • सफल होने के लिए उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा की तैयारी के साथ-साथ फिजिकल फिटनेस पर भी ध्यान देना होगा। इसके लिए नियमित दौड़, लंबी-कूद, पुल अप, गोला फेंक आदि का अभ्यास बहुत जरूरी है।
  • शारीरिक परीक्षण के लिए भले ही अंक निर्धारित नहीं है लेकिन चयन-प्रक्रिया में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
  • निर्धारित समय-सीमा में सभी प्रश्नों का उत्तर देना आसान नहीं है। इसके लिए निरंतर अभ्यास करने की आवश्यकता है।
  • बारहवीं तक की एनसीईआरटी की पुस्तकों को अगर रिवाइज कर लिया जाए तो सामान्य ज्ञान और विज्ञान के प्रश्नों को हल करना काफी हद तक सुविधाजनक हो जाएगा।
  • समसामयिक घटनाओं की जानकारी को अपडेट रखने के लिए राष्ट्रीय स्तर के समाचारपत्र के अलावा प्रतियोगिता पत्रिकाओं की नियमित पढ़ाई जरूरी है।
  • पढ़ाई करते समय महत्वपूर्ण तथ्यों को नोट करना चाहिए और नोट किए तथ्यों को रोजाना देखना चाहिए।
  • अंग्रेजी की तैयारी के लिए नियमित अंग्रेजी अखबार पढ़ें और अंग्रेजी के शब्द भंडार बढ़ाने का प्रयास करें।
  • निर्धारित समय और सीमित शब्दों में किसी टॉपिक पर लेख लिखना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसके लिए अभ्यास आवश्यक है।

Tuesday, June 21

SBI ASSOCIATES पीओ

SBI ASSOCIATES पीओ

किसी भी देश के आर्थिक विकास में बैंकिंग सेक्टर की भूमिका अहम है, इसीलिए यह सेक्टर अरसे से लोगों को लुभाता रहा है। जो अभ्यर्थी भारतीय स्टेट बैंक पीओ के लिए आवेदन नहीं कर सके, उनके लिए एसबीआई की सहयोगी बैंकों ने प्रोबेशनरी ऑफिसर के पांच हजार पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किये हैं। देश के आर्थिक विकास में महती भूमिका निभाने के इच्छुक युवाओं को एसबीआई एसोसिएट बैंक एक अवसर प्रदान कर रहा है। करियर के लिहाज से यह सुरक्षित विकल्प तो है ही, बैंक मैनेजर के रूप में भी आर्थिक रूप से पिछड़े तबके को संपन्न बनाने में भी योगदान कर सामाजिक दायित्वों का निर्वहन भी किया जा सकता है

आवेदन करने की आखिरी तारिख : 25 जून परीक्षा : 7 अगस्त 2011 को प्रस्तावित

चयन प्रक्रिया

चयन प्रक्रिया दो चरण में है। पहले चरण में लिखित परीक्षा और दूसरे चरण में ग्रुप डिस्कशन और इंटरव्यू है। पहले चरण में उत्तीर्ण होने के बाद ही दूसरे चरण के लिए बुलाया जाएगा। दोनों चरणों में उत्तीर्णाक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों की कैटेगरी के अनुसार मेधा सूची बनाई जाएगी। मेधा अंकों के आधार पर एबीआई के एसोसिएट बैंकों में नियुक्ति दी जाएगी।

पहला चरण : लिखित परीक्षा

ढाई सौ अंकों की संयुक्त रूप से लिखित परीक्षा के लिए तीन घंटे का समय निर्धारित किया गया है। इसमें दो सौ अंकों के ऑब्जेक्टिव और पचास अंकों के डिसक्रिप्टिव टाइप के प्रश्न पूछे जाएंगे। ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्नों में टेस्ट ऑफ इंग्लिश लैंग्वेज के तहत इंग्लिश ग्रामर, शब्द भंडार और कॉम्प्रिहेंशन के अलावा टेस्ट ऑफ जनरल अवेयरनेस के तहत सामान्य ज्ञान, मार्केटिंग और कम्प्यूटर्स, डाटा एनालिसिस एंड इंटरप्रिटेशन, रीजनिंग के प्रश्न होंगे। इसके लिए दो घंटे का समय निर्धारित है।डिसक्रिप्टिव टाइप प्रश्नों में इं ग्लिश लैंग्वेज को परखा जाएगा। इसके तहत कॉम्प्रिहेंशन, शॉर्ट प्रेसी (संक्षेपण), लेटर राइटिंग और निबंध से सं बंधित प्रश्न पूछे जाएंगे। इसके लिए एक घंटे का समय निर्धारित है। ऑब्जेक्टिव टाइप परीक्षा में कम से कम 40 फीसद यानी 80 अंक लाना जरूरी है। जो अभ्यर्थी इससे कम अंक पाएंगे, उनकी डिसक्रिप्टिव परीक्षा की कॉपी की जांच नहीं की जाएगी। डिसक्रिप्टिव परीक्षा में भी उत्तीर्ण होने के लिए कम से कम 40 फीसद अंक लाना अनिवार्य है। एससी, एसटी और विकलांगों के लिए पां च फीसद की रियायत दी गई है। लिखित परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर मेधावी सूची बनाई जाती है। उसके आधार पर प्रत्येक कोटे के रिक्त पदों की सं ख्या के तीन गुणो अभ्यर्थि यों को ग्रुप डिस्कशन और इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है।

दूसरा चरण : ग्रु प डिस्कशन और इंटरव्यू

ग्रुप डिस्कशन यानी सामूहिक वार्तालाप के माध्यम से किसी एक टॉपिक पर अभ्यर्थी के विचार जानने की कोशिश की जाती है। इसके माध्यम से बोलने का तरीका, शारीरिक हाव-भाव को परखा जाता है। इसमें चार या पांच अभ्यर्थियों का ग्रुप होता है। ग्रुप डिस्कशन में बेहतर करने के लिए जरूरी है कि पहले विषय को अच्छी तरह समझें। ग्रुप के अन्य अभ्यर्थी जो उत्तर दे रहे हैं, उससे अलग और तार्किक उत्तर देने की कोशिश करें। विषय भटकाव से बचें। इंटरव्यू के माध्यम से अभ्यर्थी के व्यक्तित्व को परखा जाता है। ग्रुप डिस्कशन के लिए बीस और इंटरव्यू के लिए तीस अंक निर्धारित किये गये हैं। पचास अंकों का ग्रुप डिस्कशन और इंटरव्यू में अभ्यर्थियों को न्यूनतम 40 फीसद अंक लाना अनिवार्य है जबकि एससी, एसटी और विकलांगों के लिए 35 फीसद।

रणनीति

  • प्रश्नों के पैटर्न को समझने के लिए बैंकों में पूछे गए दस वर्षो के प्रश्नों को हल करने की कोशिश करें।
  • प्रत्येक प्रश्नों की प्रकृति अलग- अलग होती है, अभ्यास करते समय यह ध्यान रखना जरूरी है। ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्नों को तेजी और शुद्धता से हल करना होता है। इसके लिए नियमित अभ्यास जरूरी है।
  • ऑब्जेक्टिव टाइप परीक्षा के सभी खंडों पर बराबर ध्यान देना जरूरी है।
  • पढ़ने के लिए समय को सामान्य ज्ञान, विज्ञान और मैथ के लिए अलग-अलग भागों में बांटकर रुटीन बनाएं।
  • लिखित परीक्षा में सामान्य ज्ञान और दैनिक विज्ञान की तैयारी के लिए प्रतियोगिता पत्रिकाओं को नियमित पढ़ें।
  • अभ्यर्थी अगर बारहवीं तक की एनसीईआरटी की पुस्तकों को रिवाइज कर ले तो सामान्य ज्ञान और विज्ञान के प्रश्नों को हल करना काफी सुविधाजनक हो जाएगा।
  • रीजनिंग और न्यूमेरिकल के लिए विसनीय पुस्तक पढ़ने के साथ-साथ पत्रिकाओं की मदद से प्रैक्टिस सेट बनाएं।
  • अंग्रेजी की तैयारी के लिए ग्रामर, सिनोनिम्स और एंटोनिम्स पढ़ना जरूरी है।

दीपक राजा

Sunday, June 19

खेल के मैदान में खेलती हुई नजर आयेगी अरुणिमा

अरुणिमा सिन्हा को लोग भूल चुके होंगे. याद दिला दें की वही अरुणिमा जिसे चलती ट्रेन से बदमाशों ने फ़ेंक दिया था. इस कारन वो विकलांग हो गयी थी. उसे जल्द ही एम्स से छुट्टी मिल जायेगी. केंद्रीय खेल मंत्री अजय माकन ने कहा है स्ट्रेचर से अरुणिमा को दिल्ली लेट समय यूपी से वादा किया था कि उसे खेल के मैदान में उतरेंगे. वह जल्द खेल के मैदान में खेलती हुई दिखेंगीं.

कवि पाश ने लिखा है 'सबसे खतरनाक होता है/ हमारे सपनों का मर जाना/ सबसे खतरनाक वो घड़ी होती है/ आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो/ आपकी नजरों में रूकी होती है।" हालांकि हादसे में पैर कटने के बाद भी, वॉलीबाल में अपना भविष्य देख रही अरुणिमा सिन्हा उर्फ सोनू का सपना तो नहीं मरा लेकिन सिस्टम उसके अरमानों को रौंदने की बहुत कोशिश की है. दिल दहला देने वाली हादसे के बावजूद तवरित करवाई के बजाये हादसे को खुदकुशी का रूप देने की कुचेष्टा कर अरुणिमा को परेशान करने की कोशिश हुई थी.

हां, मीडिया ने जब सिस्टम पर चौतरफा हमला बोला तब सरकारें सक्रिय हुई थीं और मदद के नाम पर सतही दावे होने लगा था. केन्द्रीय खेल मंत्री अजय माकन ने महज 25 हजार की आर्थिक मदद की पेशकश की. मीडिया में सरकार की किरकिरी हुई, तब जाकर उन्हें घटना की भयावहता का अंदाजा लगा और उन्होंने रकम बढ़ाई। अब एम्स के ट्रामा सेंटर का खर्च केंद्र सरकार उठा रही है।

क्रिकेट को धर्म समझने वाले देश में अरुणिमा ने वालीबॉल में सपना देखा था। लखनऊ से करीब 250 किमी दूर अम्बेडकरनगर जिले के शहजादपुर कस्बे के खतराना मोहल्ले की लड़की ने जो ख्बाव देखा, यह उसकी जीवटता थी। सात साल की उम्र में फौजी पिता का साया सर से उठ जाने के बाद पनपी जीवटता ही अरुणिमा की ताकत है। इसी ताकत के बल पर समाज शास्त्र में एमए और फिर एलएलबी की पढ़ाई कर रही अरुणिमा ने मौत को मात दी. धीरे धीरे अब अपने आपको फीर से खेल के लिए तैयार कर रही है.

आत्मनिर्भर होने के लिए अरुणिमा ने सीआईएसएफ में नौकरी के लिए आवेदन किया। उसका फिजीकल टेस्ट आठ मई को नोएडा में होना था। इसी सिलसिले में अरुणिमा 11 अप्रैल को दिल्ली के लिए लखनऊ से पदमावत एक्सप्रेस में सवार हुई। ट्रेन बरेली से खुली और ढाई बजे रात चेनहटी के पास लूट की वारदात को विरोध करने पर चार बदमाशों ने उसे ट्रेन से बाहर फेंक दिया। दुर्भाग्यवश, दूसरी पटरी पर अन्य ट्रेन आ रही थी। उससे अरुणिमा का बायां पैर कट गया। सुबह होने तक ट्रेनें पटरी पर दौड़ती रहीं और वह लाचार बेबस तड़पती रही। आसपास के गांववालों ने उसे पटरी पर पड़ा देखा। आनन-फानन में उसे टेम्पो से बरेली के जिला अस्पताल पहुंचाया। यहां उसकी तीन दिन इलाज चला, यहीं बाएं पैर का ऑपरेशन हुआ। संक्रमण होने पर लखनऊ के मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया।

राष्ट्रीय एथलीट के साथ हादसा की खबर सुर्खियां बनने पर रेल मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय ने यूपी सरकार और जीआरपी से रिपोर्ट तलब की। रेलवे सुरक्षा के सवाल पर रेलवे प्रवक्ता ने दो टूक शब्दों में कहा कि रोजाना देश में ग्यारह हजार ट्रेनें चलती है। उसमें से 3500 ट्रेनों को चिन्हित करके पुलिस एस्कॉर्ट करती है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक ट्रेन में पुलिस की तैनाती संभव नहीं है। गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाने वाली रेलवे अपनी खाल बचाने की कोशिश में अरुणिमा के हादसे को खुदकुशी करने की कोशिश करार देने में जुटी. यह निर्लज्जता की हद है।

गंभीर हादसे के बाद अरुणिमा को महाराणा प्रताप सिह जिला अस्पताल बरेली से एम्बुलेंस द्वारा छत्रपति साहू महाराज मेडिकल यूनिवर्सिटी (किंग जॉर्ज उर्फ लखनऊ मेडिकल कॉलेज) लाया गया। यहां घोर लापरवाही देखने को मिली। घायल एथलीट को भर्ती कराने की सूचना पहले देने के बावजूद, मौके पर कोई भी सीनियर डॉक्टर मौजूद नहीं था। इमरजेंसी मेडिकल अफसर डा. शोभनाथ सोनकर ने आनन-फानन में अरुणिमा को ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया। आधा घंटे के बाद उसे आर्थोपेडिक विभाग के महिला वार्ड के बेड नं. नौ में शिफ्ट किया गया। संक्रमण से कराह रही अरुणिमा को भर्ती कराने से पहले यहां झाड़ू-पोछा किया गया और बिस्तर ठीक किए गए। संक्रमण बढ़ने पर अरुणिमा के पैर को थोड़ा आगे करके दोबारा काटा गया।

राजनीतिक रोटी सेंकने के चक्कर में उत्तर प्रदेश की कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा के हस्तक्षेप के बाद केंद्रीय खेल मंत्री अजय माकन एयर एम्बुलेंस से अरुणिमा को दिल्ली एम्स के ट्रामा सेंटर ले आए। अगर रीता बहुगुणा हस्तक्षेप नहीं होता, अरुणिमा रात के बजाए सुबह ही एम्स के ट्रामा सेंटर में भर्ती हो जाती, क्योंकि तब तक उत्तर प्रदेश सरकार ने अरुणिमा को एम्स लाने की पूरी तैयारी कर चुकी थी। दो महीने ट्रामा सेंटर भर्ती होने के बाद से अरुणिमा में अब काफी सुधार है। एम्स ट्रामा सेंटर के हेड डा. एमसी मिश्रा ने कहा, 'अरुणिमा काफी हिम्मत और पक्के इरादे वाली लड़की है, उसे इस घटना से उबरने में थोडा और वक्त लगेगा'।

अपनी आग को जिंदा रखना, कितना मुश्किल है, पत्थर बीच में आइना रखना कितना मुश्किल है। इस बात को अरुणिमा अच्छी तरह समझती है। हादसे के बाद उन्होंने कहा, 'पैर चला गया तो क्या हुआ, सब कुछ पैर से ही तो नहीं होता। अगर एक क्षेत्र में नहीं कर पाई तो दूसरे क्षेत्र में देश के लिए काम करूंगी"। उन्होंने कहा कि हिम्मत हो तो आसमान को छुआ जा सकता है।

वालीबॉल खिलाड़ी अरुणिमा सिंहा उर्फ सोनू फिर से खेलेंगी, यह तो तय है. कितना खेल पाएंगी, यह प्रश्न भविष्य के गर्त में है। करियर दांव पर है। वह इस हालत में पहुंची, उसका दोषी है हमारा तंत्र और इसे चलाने वाले लोग, एक हद तक हमारा कायर समाज भी। अप्रैल 11 की मनहूस रात ने अरुणिमा के साथ गंदा खेल खेला ही। दिन के उजाले में तंत्र और तंत्र चलाने वाले लोग अरुणिमा के साथ जो व्यवहार किया वो कम दुखदाई नहीं है।
अरुणिमा को जानने का हक है कि क्यों उसके इलाज में देरी हुई, क्यों उसकी भावनाओं से खेला गया? क्यों गंभीर मसले पर सियासी नौटंकी हुई? इन सवालों का जवाब मिले बगैर न जाने कितनी अरुणिमा के भविष्य के साथ खिलवाड़ होता रहेगा और हम चुपचाप बने रहेंगे तमाशबीन ...।

Tuesday, June 7

एसएससी स्नातक स्तरीय परीक्षा


कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) सेंट्रल पुलिस ऑग्रेनाइजेशन में सब इंस्पेक्टर, सीआईएसएफ में एसिस्टेंट सब इंस्पेक्टर और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में इंटेलिजेंस अफसर के लिए 1882 पदों की रिक्तियां आमंत्रित की हैं। आवेदन करने की अंतिम तिथि 24 जून है जबकि परीक्षा 28 अगस्त को है

अर्हताएं

शैक्षणिक योग्यता : अभ्यर्थी को किसी भी मान्यता प्राप्त विविद्यालय से किसी भी विषय से कम से कम स्नातक या इसके समकक्ष शैक्षणिक योग्यता होनी चाहिए।

उम्र : सीआईएसएफ और सीपीओ के लिए इच्छुक उम्मीदवार की उम्र 24 जून को कम से कम 20 साल होनी चाहिए लेकिन 25 साल से अधिक नहीं। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में इंटेलिजेंस अफसर बनने के लिए उम्मीदवार की उम्र 20 से 27 साल के बीच होनी चाहिए।

लिखित परीक्षा

लिखित परीक्षा 28 अगस्त को है। इसी दिन दो-दो घंटों के दो सत्रों में दो प्रश्न पत्र होंगे। सभी प्रश्न वस्तुनिष्ठ होंगे और प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देने के लिए चार विकल्प दिए जाएंगे।

पहले पेपर को चार भागों में बांटा गया है - जेनरल इंटेलिजेंस और रीजनिंग, जेनरल नॉलेज और जेनरल अवेयरनेस, न्यूमेरिकल एप्टीटय़ूट और इंग्लिश कम्प्रेहेंशन। पहले भाग में समानता और अंतर, समस्या का समाधान, मूल्यांकन, निर्णय क्षमता, चित्रों का वर्गीकरण, जैसे वर्बल और कोडिंग-डिकोडिंग, वाक्य निष्कर्ष आदि के नॉन-वर्बल प्रश्न पूछे जाएंगे। दूसरे भाग में समसामायिक घटनाओं के साथ देश-विदेश के खेल, इतिहास, संस्कृति भूगो ल, राजनीतिक, साइंटिफिक रिसर्च और भारतीय संविधान आदि संबंधी प्रश्न पूछे जाएंगे। तीसरे भाग में समय और दूरी, नम्बर सिस्टम, दशमलव पद्धति, प्रतिशत, अनुपात-समानुपात, औसत, ब्याज, लाभ-हानि पर आधारित प्रश्न होंगे और चौथे भाग में अंग्रेजी की समझ को परखने के लिए प्रश्न पूछे जाएंगे। प्रत्येक भाग पचास अंकों का है और इसमें 50 प्रश्न होंगे।

दूसरा पेपर अंग्रेजी भाषा और कम्प्रेहेंशन का है। यह दो सौ अंकों का है और इसमें दो सौ प्रश्न पूछे जाएंगे। चार विकल्पों में से प्रश्नों का उत्तर ध्यानपूर्वक चयन करना होगा क्योंकि चार गलत उत्तर देने पर एक अंक काट लिया जाएगा।

महत्वपूर्ण बात

  • प्रथम प्रश्न पत्र के प्रत्येक भाग में उत्तीर्ण होने के लिए एसएससी ने सभी वर्ग के लिए एक न्यूनतम पासिंग मार्क निर्धारित किया है।
  • पहले पेपर में न्यूनतम अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को शारीरिक परीक्षण या मेडिकल टेस्ट के लिए बुलाया जाएगा। इसके लिए कोई अंक निर्धारित नहीं है, लेकिन इसमें क्वालिफाई होना जरूरी है।
  • दूसरे पेपर की जांच उन्हीं उम्मीदवारों का होगा जो शारीरिक परीक्षण/मेडिकल टेस्ट में सफल होंगे।
  • दूसरे पेपर की जांच के बाद दोनों पेपर के प्राप्तांक को मिलाकर कैटेगरी वाइज मेधावी सूची बनाई जाएगी।
  • मेधावी सूची के आधार पर चयनित अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा।
  • साक्षात्कार के बाद कैटेगरी वाइज अभ्यर्थियों की मेधावी सूची बनाई जाएगी।
  • चयनित अभ्यर्थियों को उनके द्वारा दिए गए विकल्प और मेधावी सूची के आधार पर पोस्ट एलॉट किए जाएंगे।

रणनीति

  • परीक्षा में सफल होने के लिए सबसे पहले सिलेबस को समझना जरूरी है।
  • लिखित परीक्षा के दोनों प्रश्नपत्र महत्वपूर्ण हैं। किसी को भी कमतर आंकना ठीक नहीं है।
  • प्रश्नों के स्तर को समझने के लिए एसएससी के पिछले वर्ष के प्रश्नों को देखना जरूरी है। इससे ‘टू द पाइंट’ तैयारी करने में सहायता मिलेगी।
  • निर्धारित समय सीमा में सभी प्रश्नों का उत्तर देना आसान नहीं है। इसके लिए निरंतर अभ्यास करने की आवश्यकता है।
  • शारीरिक परीक्षण के लिए भले ही अंक निर्धारित नहीं है लेकिन चयन प्रक्रिया में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
  • समसामायिक घटनाओं की जानकारी को अपडेट रखने के लिए राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्र के अलावा प्रतियोगिता पत्रिकाओं की नियमित पढ़ाई जरूरी है।
  • पढ़ाई करते समय अपने साथ में नोटबुक रखना चाहिए और जहां जो भी तथ्य महत्वपूर्ण लगे, उसे नोटबुक में नोट करना चाहिए और उसे दिनभर में तीन से चार बार पढ़ना चाहिए।
  • बारहवीं तक की एनसीईआरटी की पुस्तकों को अगर रिवाइज कर लिया जाए तो सामान्य ज्ञान और विज्ञान के प्रश्नों को हल करना काफी हद तक सुविधाजनक हो जाएगा।
  • अंग्रेजी की तैयारी के लिए नियमित अंग्रेजी अखबार पढ़नी चाहिए और अंग्रेजी के शब्द भंडार बढ़ाने पर नियमित ध्यान देने की जरूरत है।
  • न्यूमेरिकल के सवालों में ज्यादातर अंकगणित के प्रश्न होंगे, कम समय में अधिक प्रश्नों का हल करने के लिए आरएस अग्रवाल की पुस्तक अंकगणित की सहायता ली जा सकती है।

Tuesday, May 31

राजस्थान लोक सेवा आयोग में कनिष्ठ लिपिक संयुक्त परीक्षा 2011


राजस्थान लोक सेवा आयोग में कनिष्ठ लिपिक संयुक्त परीक्षा २०११

राजस्थान के शासन सचिवालय और आयोग कार्यालय के लिए कनिष्ठ लिपिक पद की नियुक्ति जल्द ही होने वाली है। आरपीएससी कार्यालय के लिए 25 और शासन सचिवालय के लिए 325 पद हैं। राजस्थान छोड़ कर अन्य प्रदेश के उम्मीदवारों को आरक्षण कोटे का लाभ नहीं मिलेगा। आयोग कार्यालय में सामान्य वर्ग के लिए 14 पद हैं जिनमें सामान्य वर्ग की महिला के चार पद आरक्षित हैं। शासन सचिवालय के 325 पदों में से 162 पद सामान्य वर्ग के लिए है, जबकि 162 में से 32 पद सामान्य वर्ग की महिला के लिए आरक्षित हैं

चयन प्रक्रिया

चयन प्रक्रिया दो चरण में है। पहले चरण में लिखित परीक्षा और दूसरे चरण में हिन्दी और अंग्रेजी में टंकण क्षमता को परखा जाएगा।

लिखित परीक्षा

एक ही दिन तीन-तीन घंटों के दो सत्रों में वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाएंगे। पहले सत्र में सौ अंकों का प्रश्नपत्र होगा, इसमें सामान्य ज्ञान, दैनिक विज्ञान और गणित संबंधित प्रश्न होंगे। दूसरे सत्र में भी सौ अंकों का प्रश्नपत्र होगा, इसमें सामान्य हिन्दी और अंग्रेजी संबंधी प्रश्न पूछे जाएंगे। लिखित परीक्षा में सफल होने के लिए अभ्यर्थी को न्यूनतम 40 फीसद अंक लाना अनिवार्य है।

टाइपिंग टेस्ट

कम्प्यूटर पर हिन्दी और अंग्रेजी का टाइपिंग टेस्ट लिया जाएगा। टाइपिंग के लिए दस मिनट गति परीक्षण और दस मिनट दक्षता परीक्षण के लिए समय निर्धारित है। दोनों भाषा में टाइपिंग के लिए पचास-पचास अंक निर्धारित है।

महत्वपूर्ण बात

दोनों चरण से प्राप्त अंक के आधार पर प्रत्येक वर्ग की अलग- अलग मेधावी सूची बनाई जाएगी।उसके बाद टॉप लेवल के मेधावी उम्मीदवारों का चयन अस्थायी रूप से किया जाएगा।

आवेदन के आधार पर प्रमाणपत्रों की जांच के बाद गलत पाए जाने वाले अभ्यर्थी की नियुक्ति रद्द की जा सकती है।

रणनीति

  • लिखित परीक्षा में सामान्य ज्ञान और दैनिक विज्ञान की तैयारी के लिए प्रतियोगिता पत्रिकाओं के साथ-साथ दैनिक समाचारपत्र जरूर पढ़ें।
  • राजस्थान से संबंधित तमाम जानकारियों पर जरूर अपनी पकड़ मजबूत करें।
  • अभ्यर्थी अगर बारहवीं तक की एनसीईआरटी की पुस्तकों को रिवाइज कर ले तो सामान्य ज्ञान और विज्ञान के प्रश्नों को हल करना काफी सुविधाजनक हो जाएगा। साथ ही राजस्थान सरकार द्वारा जारी तमाम आंकड़ों के साथ जानकारियों पर नजर रखना आवश्यक है। कब कौन-से मेले लगते हैं। कौन-से राजा कहां हुए थे और कहां शासन था, इन मामलों में बारीक जानकारी आपके मार्क्‍स को बढ़ाने में कारगर साबित होगा।
  • मैथ के सवालों में ज्यादातर अंकगणित के प्रश्न होंगे, इसके लिए भी जरूरी है कि नियमित अभ्यास करें।
  • पढ़ने के लिए समय को सामान्य ज्ञान, विज्ञान और मैथ के लिए अलग-अलग भागों में बांटकर रूटीन बनाएं।
  • प्रत्येक प्रश्नों की प्रकृति अलग-अलग हो सकती है, अभ्यास करते समय यह ध्यान रखना जरूरी है।
  • लिखित परीक्षा में सफल होने के बाद टाइपिंग टेस्ट में अच्छे अंक लाना जरूरी है।
  • मेधावी सूची बनाते समय इसके प्राप्तांक को भी जोड़ा जाता है।
  • टाइपिंग टेस्ट के लिए आने वाले अभ्यर्थियों को अपना कम्प्यूटर, पेन और पेंसिल लाना अनिवार्य है।

दीपक राजा

Tuesday, May 24

S B I पीओ के 1030 पदों के लिए आवेदन



S B I पीओ

बैंकिंग सेक्टर अरसे से लोगों को लुभाता रहा है। यही कारण है कि बैंकों की छोटे पोस्ट से लेकर बड़े पोस्ट तक की भर्ती के लिए हजारों अभ्यर्थी आवेदन करते हैं। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने प्रोबेशनरी ऑफिसर (पीओ) के 1030 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किया है। सुरक्षित करियर के लिहाज से यह बेहतर विकल्प है

चयन प्रक्रिया

यह दो फेज में है। पहले फेज में लिखित परीक्षा होगी। इसमें उत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थियों को दूसरे फेज के लिए बुलाया जाएगा। इसमें ग्रुप डिस्कशन और इंटरव्यू होगा। दोनों फेज में उत्तीर्ण होने के बाद अंतिम मेधावी सूची जारी होगी।

फेज एक: लिखित परीक्षा

ढाई सौ अंकों की संयुक्त रूप से लिखित परीक्षा के लिए तीन घंटे का समय निर्धारित किया गया है। इसमें दो सौ अंकों के ऑब्जेक्टिव और पचास अंकों के डिसक्रिप्टिव टाइप के प्रश्न पूछे जाएंगे।

ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्नों में टेस्ट ऑफ इंग्लिश लैंग्वेज के तहत अंग्रेजी ग्रामर, शब्द भंडार और कम्प्रेहेंसन के अलावा टेस्ट ऑफ जनरल अवेयरनेस के तहत सामान्य ज्ञान, मार्केटिंग और कम्प्यूटर्स, डाटा एनालिसिस एंड एंटरप्रिटेशन, उच्चस्तरीय रीजनिंग के प्रश्न होंगे। इसके लिए दो घंटे का समय निर्धारित है।

डिसक्रिप्टिव टाइप प्रश्नों में इंग्लिश लैंग्वेज को परखा जाएगा। इसके तहत कॉम्प्रिेहेंसन, शॉर्ट प्रेसी (संक्षेपन), लेटर राइटिंग और एसे से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे। इसके लिए एक घंटे का समय निर्धारित है।

ऑब्जेक्टिव टाइप की परीक्षा में कम से कम 40 फीसद यानि 80 अंक लाना जरूरी है। जिस अभ्यर्थी का इससे कम अंक आएगा, डिसक्रिप्टिव परीक्षा की कॉपी की जांच नहीं की जाएगी।

डिसक्रिप्टिव परीक्षा में भी उत्तीर्ण होने के लिए कम से कम 40 फीसद अंक लाना अनिवार्य है। एससी, एसटी और विकलांगों के लिए पांच फीसद की रियायत दी गई है।

लिखित परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर मेधावी सूची बनाई जाती है। उसके आधार पर प्रत्येक कोटे के रिक्त पदों की संख्या के तीन गुणो अभ्यर्थियों को ग्रुप डिस्कशन और इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है।

फेज दो : ग्रुप डिस्कशन और इंटरव्यू

ग्रुप डिस्कशन एक सामूहिक वार्तालाप है। इसके माध्यम से किसी एक टॉपिक पर अभ्यर्थी के विचार जानने की कोशिश की जाती है। इसके माध्यम से बोलने का तरीका, शारीरिक हाव-भाव को परखा जाता है। इसमें चार या पांच अभ्यर्थियों का ग्रुप होता है। ग्रुप डिस्कशन में बेहतर करने के लिए जरूरी है कि पहले विषय को अच्छी तरह समझें और ग्रुप में अन्य अभ्यर्थी जो उत्तर दे रहे हैं। उससे अलग और तार्किक उत्तर देने की कोशिश करें। विषय से भटकाव से बचें।

इंटरव्यू के माध्यम से अभ्यर्थी के व्यक्तित्व को परखा जाता है। ग्रुप डिस्कशन के लिए बीस और इंटरव्यू के लिए तीस अंक निर्धारित किया गया है। पचास अंकों का ग्रुप डिस्कशन और इंटरव्यू में अभ्यर्थियों को न्यूनतम 40 फीसद अंक लाना अनिवार्य है जबकि एससी, एसटी और विकलांगों के लिए 35 फीसद।

फाइनल सेलेक्शन

दोनों फेज में अलग-अलग उत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थियों के प्राप्तांकों को जोड़कर अंतरिम सूची बनाई जाएगी।

रणनीति

  • प्रश्नों के पैटर्न को समझने के लिए बैंकों में पूछे गए दस वर्षो के प्रश्नों को हल करने की कोशिश करें।
  • प्रत्येक प्रश्नों की प्रकृति अलग-अलग होती है, अभ्यास करते समय यह ध्यान रखना जरूरी है।
  • ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्नों को तेजी से सही-सही हल करना होता है। इसके लिए नियमित अभ्यास करें।
  • ऑब्जेक्टिव टाइप परीक्षा के सभी खंडों पर बराबर ध्यान देना जरूरी है।
  • रीजनिंग और न्यूमेरिकल के लिए विश्वसनीय पुस्तक पढ़ने के साथ-साथ पत्रिकाओं की मदद से प्रैक्टिस सेट बनाएं।
  • अंग्रेजी की तैयारी के लिए ग्रामर, सिनोनिम्स और एंटोनिम्स पढ़ना जरूरी है।

फ़िल्म बनाकर देश का करोड़ों रुपये एकता कपूर ने करा दिया बर्बाद


एकता कपूर बड़े परदे पर हाथ आजमाई और फ़िल्म बनाई रागिनी एमएमएस. फ़िल्म को सेंसर बोर्ड ने ग्रेड दिया 'ए'. नाम देखकर ऐसा लगा कि फ़िल्म में ब्लर ही सही कुछ न कुछ दिखाया जायेगा, ज्यादातर दर्शक यही सोचकर फिल्म देखने गए. मैं भी सिनेमा देखने गया, पत्नी के साथ. पूरी फ़िल्म देखी.

फ़िल्म देखे एक सप्ताह होने को है. सोचते सोचते परेशान होकर सोचना छोड़ दिया कि एकता कपूर ने क्या सोचकर फ़िल्म बनाई और लोगों को फ़िल्म के माध्यम से क्या मैसेज देना चाहती है. फ़िल्म में भूत और एमएमएस को मिलाने का जो फार्मूला उन्होंने लगाया वो मुझे समझ में आ गया. एक कहावत है शादी के लड्डू जो खाए सो पछताए जो न खाए वो ललचाये, फ़िल्म भी वैसे ही है न देखो तो मन ललचाये और देख लो तो पछताना पड़ेगा.

फ़िल्म देखने के बाद ऐसा लगा कि मैंने पैसा और समय ही बर्बाद ही नहीं किया बल्कि अपने दिमाग का बेजा इस्तेमाल कर लिया. काश दिमाग कहीं और लगाया होता तो कुछ न कुछ तो अच्छी बात होती ही.

देश में १२००० एकल पर्दा है और ७०० से ज्यादा मल्टीप्लेक्स हैं, एक एक सप्ताह करके भी अगर सभी पर्दों पर रागिनी एमएमएस दिखलाया जायेगा तो न जाने कितना पैसा, समय और दिमाग फिजूलखर्च में बर्बाद हो जायेगा. इसका अंदाजा एकता कपूर को क्यूँ नहीं है. ये फ़िल्म बनाकर देश का करोड़ों रुपये एकता कपूर ने बर्बाद करा दिया. काश छोटे परदे वाला दिमाग यहाँ न लगाई होती!

Tuesday, May 17

आरपीएफ में उप निरीक्षक


रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) में उप निरीक्षक बनकर भारतीय रेलवे की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की जा सकती है। आरपीएफ ने उप निरीक्षक के 511 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किये हैं, जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 311, पिछड़ा वर्ग के लिए 91, एससी के लिए 69 और एसटी के लिए 40 पद हैं। कुल पदों का 10 फीसद महिलाओं और 10 फीसद भूतपूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित है। आवेदन की आखिरी तारीख 6 जून, 2011 है।

अर्हताएं

शैक्षणिक योग्यता और उम्र

उम्मीदवार मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किसी भी विषय में स्नातक या उसके समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण हो, उसका जन्म एक जुलाई 1986 से पहले और एक जुलाई, 1991 के बाद का न हो यानि उम्र 20 से 25 साल के बीच होनी चाहिए। आरक्षण नियमों के अनुसार उम्र में रियायत दी जाएगी। मैट्रिक या उसके समकक्ष प्रमाणपत्र में उल्लेखित आयु को ही मान्यता दी जाएगी। शारीरिक मापदंड सामान्य और पिछड़ा वर्ग के लिए व्यक्ति की लम्बाई 165 सेमी। और सीना (बिना फुलाये) 80 सेमी., पर्वतीय क्षेत्र के लोगों के लिए लंबाई 163 और सीना 80 जबकि एससी/ एसटी के लिए 160 और 76.2 होना जरूरी है। सीना फुलाने के बाद सीने की चौड़ाई में पांच सेमी. की बढ़ोत्तरी होना चाहिए। सभी वर्ग की महिलाओं को लंबाई में आठ सेमी की छूट दी गयी है।

चयन प्रक्रिया

लिखित परीक्षा इसमें एक पेपर होगा जो तीन भागों में बंटा है- 1. सामान्य ज्ञान (50 अंक), 2. अंकगणति (35 अंक) और 3. सामान्य बुद्धिमता एवं तर्कशक्ति परीक्षण (35 अंक)।

सामान्य ज्ञान इस भाग में आस-पास मौजूदा परिवेश, वर्तमान घटनाओं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण, इतिहास, कला और संस्कृति, भूगोल, भारतीय संविधान, खेलकूद आदि विषयों संबंधी प्रश्न पूछे जाएंगे।

अंकगणित इसमें पूर्ण अंकों, दशमलव और भिन्न की गणना, अनुपात, समानुपात, साधारण ब्याज, चक्रवृद्धि ब्याज, लाभ-हानि, छूट, तालिका, ग्राफ, समय और दूरी आदि चैप्टर से 35 प्रश्न पूछे जाएंगे।

सामान्य बुद्धिमता एवं तर्कशक्ति परीक्षण इसमें शाब्दिक और अशाब्दिक दोनों तरह के प्रश्न पूछे जाएंगे। इस भाग में समानता और अन्तर, विजुअल मेमोरी, कोडिंग, डिकोडिंग, तर्क आदि से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे। लिखित परीक्षा में 120 बहु-वैकल्पिक प्रश्न पूछे जाएंगे और उसका पूर्णाक भी 120 अंकों का होगा। प्रत्येक सही उत्तर के लिए एक अंक दिए जाएंगे जबकि गलत उत्तर देने पर 0.25 अंक काट लिया जाएगा। लिखित परीक्षा पास करने के लिए अभ्यर्थी को कम से कम 40 फीसद अंक लाना जरूरी है। एससी और एसटी को पांच फीसद की छूट है।

शारीरिक दक्षता और नाप-जोख परीक्षा

लिखित परीक्षा में केवल उत्तीर्ण उम्मीदवारों को वरीयता के अनुसार इसके लिए बुलाया जाएगा। शारीरिक दक्षता के लिए 1600 मीटर की दौड़ 6 मिनट और 30 सेकेन्ड में पूरा करना, 100 मीटर की दौड 16 सेकेन्ड में, 1.2 मीटर की ऊंची कूद, 3.65 मीटर लंबी कूद और 16 पौंड का गोला 4.5 मीटर तक फेंकना शामिल है, हालांकि दौड़ में सफल होने वाले उम्मीदवारों को ही अन्य स्पर्धाओं में भाग लेने दिया जाएगा।

मौखिक परीक्षा और र्सटििफकेट जांच

शारीरिक दक्षता में सफल होने के बाद मौखिक परीक्षा और र्सटििफकेट जांच के लिए बुलाया जाएगा। मौखिक परीक्षा का उद्देश्य आवेदक की सामान्य जागरूकता, विचारों की प्रस्तुति, व्यक्तित्व, अभिव्यक्ति को परखना है। मौखिक परीक्षा 15 अंक की है, इसमें पांच अंक बोनस का भी शामिल है। अधिमान अंक में दो अंक एनसीसी कैडेट और तीन अंक खेलकूद कोटे से है।

मेडिकल चेकअप

मौखिक परीक्षा के लिए आये उम्मीदवारों का मेडिकल चेकअप भी होगा। इसके बाद अंतिम मेधावी सूची बनाई जाएगी।

रणनीति

उप निरीक्षक के लिए स्नातक स्तर की लिखित परीक्षा है, इसलिए स्नातक स्तर के अनुसार अपनी रणनीति बनानी होगी। इसमें निगेटिव मार्किग है इसलिए उत्तर देते समय इसका ध्यान रखना होगा।

प्रत्येक चार गलत उत्तर होने पर एक अंक काट लिया जाएगा।

लिखित परीक्षा के साथ-साथ शारीरिक दक्षता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, इसके लिए नियमित अभ्यास की जरूरत है।


दीपक राजा

Sunday, May 15

स्पेशल क्लास रेलवे प्रशिक्षण


रेलवे में मैकेनिकल इंजीनियर के रूप में काम करने के इच्छुक उम्मीदवारों को स्पेशल क्लास रेलवे अपरेंटिसशिप (एससीआरए) के तहत चार साल मैकेनिकल इंजीनियरिंग का प्रशिक्षण लेना जरूरी है। इसके लिए यूपीएससी दो साल में एक बार परीक्षा आयोजित करती है। सफल उम्मीदवारों को प्रशिक्षण के दौरान वजीफा दिया जाता है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद सफल उम्मीदवारों को मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक डिग्री दी जाती है जो अखिल भारतीय परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त है।

चयन-प्रक्रिया

एससीआरए की चयन-प्रक्रिया दो भागों में बंटी हुई है। पहले भाग में लिखित परीक्षा है जो 600 अंकों की है। दूसरे भाग में पर्सनालिटी टेस्ट है, यह दो सौ अंकों का है। लिखित परीक्षा में सफल होने वाले उम्मीदवार को ही पर्सनालिटी टेस्ट के लिए बुलाया जाता है। मे रिट लिस्ट लिखित परीक्षा और पर्सनालिटी टेस्ट के आए अंकों को जोड़कर बनाया जाता है।

लिखित परीक्षा

लिखित परीक्षा को तीन विषयों में बांटा गया है। पहला पेपर सामान्य योग्यता परीक्षा, दूसरे में भौतिकी और तीसरे विषय के रूप में गणित की परीक्षा ली जाती है। तीनों विषयों का पूर्णाक दो-दो सौ अंकों है जबकि इसके लिए निर्धारित समय दो-दो घंटे दिए गए हैं। एक ही दिन में तीन सत्रों के माध्यम से तीनों विषयों की परीक्षा होती है।

पेपर 1 सामान्य योग्यता परीक्षा :

इस पेपर में सामान्य अंग्रेजी, सामान्य ज्ञान और मनोविज्ञान के संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। इसके माध्यम से अंग्रेजी भाषा की समझ, सामान्य ज्ञान के माध्यम से अपने आस-पास के बदलाव और सामाजिक परिवेश की जानकारी के साथ-साथ इतिहास, भारतीय संविधान आदि की समझ के साथ-साथ तर्क और मैकेनिकल एप्टीटय़ूट को परखना है।

पेपर 2 भौतिकी :

इसमें भौतिकी और रसायन विज्ञान से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। भौतिकी में मेजरमेंट ऑफ टाइम एंड मास, न्यूटन के नियम, वेग, तरंग, आयतन, दबाव, बल, तापमान, चुम्बकत्व, अल्फा, बीटा, गामा आदि से संबंधित प्रश्न होते हैं। परीक्षा की ता रसायन विज्ञान में भौतिक-रसायन के तहत परमाणु संरचना क्वांटम थ्योरी रासायनिक प्रतिक्रिया से ऊर्जा परिवर्तन, रेडियो एक्टिविटी आदि, अकार्बनिक रसायन के तहत हाइड्रोजन तालिका, सोडियम हाइड्र ॉक्साइड के तत्व, जिप्सम, प्लास्टर ऑफ पेरिस, को यला, फिटकिरी, सल्फर आदि, जबकि कार्बनिक रसायन के तहत कार्बन की प्रकृ ति, एरोमेटिक हाइड्रो- कार्बन, पॉलीमर अमिनो एसिड और प्रोटीन आदि संबंधित प्रश्न होंगे।

पेपर 3 गणित विज्ञान :

इसमें बीज गणित, त्रिकोणमिति, ज्यामिति, कैलकुलस व डिफ्रेंशियल इक्वेशन, वे क्टर्स, सांख्यिकी और संभावना आदि अध्यायों से प्रश्न पूछे जाते हैं।

ध्यान देने योग्य बातें

प्रश्नपत्रों का सेट केवल अंग्रेजी में होगा। प्रश्नों का स्तर सीनियर सेकेंडरी है। लिखित परीक्षा के सभी विषयों के प्रश्न बहुवैकल्पिक हैं। प्रश्नों के उत्तर देते समय थोड़ी सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि गलत प्रश्नों के उत्तर देने पर निगेटिव मार्किग है। जरूरत पड़ने पर भौतिकी के प्रश्नपत्र के साथ संलग्न एसआई यूनिट का इस्तेमाल किया जा सकता है। कैलकुलेटर आदि के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है।

Saturday, May 14

अलगाव कि आशंका में जी रहे लोगों के लिए एक सबक है अनुराधा.

प्यार, दुलार और लगाव एक स्तर तक ठीक है लेकिन अलगाव की आशंका में अगर जीवन खतरे में पड़ जाये, ऐसा लगाव ठीक नहीं है. स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि किसी से भी उतना लगाव नहीं रखना चाहिए कि जब उससे अलग होना पड़े तो जीवन बोझ लगाने लगे. कम्पनी का बैलंस शीत तैयार्र करने वाली चार्टेड एकाउटेंट अनुराधा इस बात को नहीं समझ पाई. अलगाव कि आशंका में जी रहे लोगों के लिए एक सबक है अनुराधा.

आदमी का स्वभाव है जुड़ना और जोड़ना. आदमी कभी अकेला रहना नहीं चाहता है. क्यूंकि अकेलापन आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन है. इसी स्वभाव को समझते हुए इतिहास के पिता कहलाने वाले अरस्तु ने कहा कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. जोड़ने और जुड़े रहने की प्रव्रत्ति असुरक्षा की भावना से आती है. इसे हम सब शिद्दत से महसूस भी करते हैं. इस बात को गोस्वामी तुलसी दास ने भी अनुभव किया है. तभी उन्होंने रामचरित मानस में लिखा है ,'भय बिनु प्रीत न होई गोसाईं'.

आदमी का स्वभाव जुड़ने और जोड़ने की प्रव्रत्ति का एक दूसरा पहलु भी है. वह है अलगाव कि आशंका. अलगाव की आशंका जहाँ बलवती हुए नहीं की शुरू हो जाती है जोड़ने और जोड़े रहने की कवायद. आदमी यहीं मत खा जाता है और दूसरे के साथ जबरदस्ती करने लगता है. कहाँ तो जबरदस्ती कर रहे हैं जोड़ने की, लेकिन यहाँ उल्टा होने लग जाता है. वह समझ नहीं पता है कि जबरदस्ती का जुडाव अधिक दिनों का नहीं होता. मन मुटाव पैदा होने लगता है जो धीरे धीरे सम्बंदों में कटुता लाता है. इसी कटुता से रिश्ते दरकने लगते हैं और आहिस्ते आहिस्ते रिश्ते टूट जाते हैं. कहाँ तो चले तो रिश्ते सदा के लिए बरकरार रखने के लिए और आ पहुंचें अलगाव पर.
अलगाव जीवन में अवसाद भरता है. आदमी का सामाजिक दायरा सिमित कर देता है. सामाजिक दायरा ख़त्म होते ही आदमी एकाकी जीवन जीने लग जाता है ... और यह सब एक दिन जानलेवा साबित होता है.

नॉएडा के सेक्टर २९ में भी कुछ ऐसा ही हुआ है. दो बहनें आठ महीनों से खुद को अँधेरे में कैद कर ली थी. पुलिस की मदद से सामाजिक कार्यकर्त्ता दोनों बहनों अनुराधा और सोनाली को बाहर निकाला गया. दोनों की हालत बहुत ख़राब थी, कैलाश अस्पताल में भरती कराया गया. आठ महीनों से अँधेरे में कैद रहने वाली अनुराधा को डाक्टर मौत से बचा नहीं सके. दो दिन के उजाले में अनुराधा चल बसी. सोनाली उपचाराधीन है, हालत में सुधार है.

दोनों बहनें पढ़ी लिखी थी, अपना भला बूरा अच्छी तरह समझती थी. १९९२ में पिता की मौत और १९९५ में माता की मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया. खुद शादी नहीं की लेकिन छोटे भाई को पढाया और शादी कराई. शादी के बाद भाई बहनों से अलग रहना चाहने लगा, यहाँ तक की अलग हो गया. अलग होने की वजह भाई की पत्नी, संपत्ति या कुछ और ये अभी पता नहीं. लेकिन इतना तो तय है कि भाई के अलग होने के बाद अनुराधा खुद को अपने आप में सिमट गयी और खुद को दुनिया से सदा के लिए अलग कर लिया.

Thursday, May 5

सेना में अध्यापन के मौके

युवाओं को भारतीय थल सेना के शिक्षा कोर में वर्ग एक्स और वाई में हवलदार शिक्षक के रूप में बहाली की जा रही है। इसमें आवेदन करने की अंतिम तिथि 28 मई है। सेना शिक्षा कोर में पढ़ाने के इच्छुक पुरुष उम्मीदवार नजदीकी सेना भर्ती कार्यालय को अपना आवेदन भेज सकते हैं। हवलदार शिक्षकों के कुल पद 178 में से साइंस के लिए 110 और आर्ट्स वालों के लिए 68 पद हैं।

अर्हताएं

इच्छुक पुरुष उम्मीदवार की उम्र कम से कम 20 वर्ष और अधिकतम 25 वर्ष होनी चाहिए। एक्स ‘वर्ग’ के लिए बीए/बीएससी/बीसीए के साथ बीएड या फिर एमए/ एमसीए की डिग्री होनी चाहिए। वर्ग ‘वाई’ के लिए मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय में बीए/बीएससी/बीसीए उत्तीर्ण हों।

शारीरिक मापदंड

एक सामान्य सैनिक के लिए जो शारीरिक मापदंड निर्धारित है, वही मापदंड इसके लिए भी हैं। निर्धारित मापदंड सेना भर्ती कार्यालयों के अलग-अलग हैं।

चयन

सेना भर्ती कार्यालय अपनी सुविधा के मुताबिक निर्धारित तिथि को प्रारंभिक जांच के लिए उम्मीदवारों को बुलाएगी। यह तीन चरणों में होगी। पहले चरण में उम्मीदवारों के मूल प्रमाणपत्रों की जांच की जाएगी और दूसरे चरण में शारीरिक फिटनेस परखा जाएगा। इसके लिए एक मील की दौड़ को अधिकतम छह मिनट 20 सेकेंड में पूरा करना, कम-से-कम छह बार पुलअप (बीम) करना, नौ फीट की लंबी-कूद आदि करके दिखाना होगा। इसके बाद मेडिकल जांच होगी।

प्रारंभिक जांच के बाद चयनित उम्मीदवारों की लिखित परीक्षा होगी जो 31 जुलाई को निर्धारित की गई है। लिखित परीक्षा तीन घंटे की है, जिसे तीन भागों में बांटा गया है, दो कम दो सेक्शनों के प्रश्न हल करना जरूरी है। प्रत्येक सेक्शन का पूर्णाक 25 और न्यूनतम पास मार्क दस निर्धारित किया गया है।

लिखित परीक्षा में सफल हुए अभ्यर्थियों को टीचिंग एप्टीटय़ूट टेस्ट और इंटरव्यू के लिए मध्य प्रदेश के पचमढ़ी में एईसी ट्रेनिंग कॉलेज में बुलाया जाएगा। लिखित परीक्षा में सफल होने वाले उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए आने- जाने का यात्रा भत्ता दिया जाएगा और इंटरव्यू के दौरान रहने और खाने की व्यवस्था सेना भर्ती कार्यालय द्वारा की जाएगी। इसके बाद मेधावी सूची बनाकर सफल उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी। मेधावी सूची बनाते समय लिखित परीक्षा और इंटरव्यू दोनों के प्राप्तांक को जोड़ा जाता है। सफल उम्मीदवारों की एक साल की ट्रेनिंग पचमढ़ी में ही होगी। उसके बाद उनकी प्रतिनियुक्ति दे दी जाएगी।

रणनीति

सफल होने के लिए उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा की तैयारी के साथ-साथ फिजिकल फिटनेस पर भी ध्यान देना होगा। इसके लिए नियमित दौड़, लंबी-कूद, पुल अप आदि का अभ्यास करना बहुत जरूरी है। शारीरिक मापदंड और फिटनेस का पूरे देश में क्षेत्र के आधार पर थोड़ा अंतर है। सम्पूर्ण जानकारी के लिए नजदीकी सेना भर्ती कार्यालय से पता कर सकते हैं। लिखित परीक्षा का पहला भाग सभी उम्मीदवारों के लिए अनिवार्य है, इसके लिए गाइड, समाचार पत्र, समसामयिक पत्रिकाओं से काफी मदद मिलेगी। दूसरा भाग साइंस वालों के लिए अनिवार्य है, इसके पांच सेक्शनों में से दो सेक्शन को हल करना है। इसके लिए स्नातक स्तर की पढ़ाई को फिर से अभ्यास करने से जरूरत है। तीसरा भाग आर्ट्स वालों के लिए अनिवार्य है। इसे चार सेक्शनों में बांटा गया है और इसके केवल दो सेक्शनों को हल करना है। यहां भी उम्मीदवारों को अपने स्नातक स्तर की पुस्तकों को एक बार फिर से खंगालने की जरूरत है।

Friday, April 29

उत्तरांचली होने की जरूरत नहीं

बात 23 अप्रैल की है। शनिवार को मेरा साप्ताहिक छुट्टी होने से छोटे भाई से मिलने दिल्ली विश्वविद्यालय चला गया। वह वहां प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहा है। उससे मिलकर शाम में लौट रहा था। अमूमन रास्ते का सफर व्यर्थ न जाए, उसके लिए कोई न कोई किताब लेकर सफर के दौरान पढ़ता रहता हूं। नोएडा आते वक्त मेट्रों में "अपना पराया" उपन्यास पढ़ रहा था। इसके लेखक रमेश पोखरियाल निशंक इस समय उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हैं। रेल लाइन से ब्लू लाइन मेट्रों के लिए राजीव चौक पर उतरे। राजीव चौक से नोएडा के लिए मेट्रो में सवार हुआ। शनिवार शाम होने के नाते भीड़ ठसाठस नहीं थी। आराम से खड़े होने को जगह मिल गई थी।

राजीव चौक से अगला स्टेशन बारखंभा रोड है। वहां पहुंचने पर सीट पर बैठे एक सहयात्री का ध्यान मेरी पुस्तक पर गया, यह तब पता चला जब मैंने उसे देखा। वह व्यक्ति मुझे और पुस्तक को राजीव चौक से ही देखे जा रहा था। मंडी हाउस स्टेशन पर पहुंचने तक उसने लेखक नाम पढ़ लिया और मुझसे पूछा, आप गढ़वाल से हो? मैंने उसे कहा, नहीं मैं बिहार से हूं। मेरे उत्तर सुनकर वह निराश हो गया, यूं कहें कि वह हताश हो गया और फिर मेरी ओर देखा ही नहीं। वह मेरे साथ नोएडा सेक्टर-15 तक आया, लेकिन बिहार का नाम सुनने के बाद एक बार भी फिर से पलट कर नहीं देखा। शायद उसे बिहार शब्द सुनना पसंद न हो! खैर मैं सेक्टर-15 पर मेट्रो से उतर गया। मन किया था, उस व्यक्ति से कहें कि उत्तराखंड के लेखक की पुस्तक को पढ़ने के लिए उत्तरांचली होने की जरूरत नहीं है। ठीक वैसे ही जैसे महात्मा गांधी मार्ग पर चलने वाले के लिए जरूरी नहीं है कि वो अहिंसावादी और सत्यवादी हों।

Thursday, April 28

JRF/NET आर्ट्स

परीक्षा की तिथि : 26 जून 2011

यूजीसी ने जेआरएफ में निगेटिव मार्किग खत्म कर दी है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि तैयारी में ढील हो। परीक्षा कोई भी हो, पक्की तैयारी से ही मनमाफिक नतीजे हासिल किये जा सकते हैं

लेक्चरर बनने के लिए स्नातकोत्तर की डिग्री के साथ यूजीसी द्वारा आयोजित नेट/जेआरएफ परीक्षा उत्तीर्ण होना जरूरी है। आर्ट्स विषयों के लिए जेआरएफ/नेट की अगली परीक्षा 26 जून को है। इस परीक्षा में विभिन्न विषयों से संबंधित स्नातकोत्तर छात्र शामिल होंगे। इसमें दो सत्रों में तीन प्रश्नपत्रों के माध्यम से चार सौ अंकों की लिखित परीक्षा होगी। पहले सत्र में प्रथम पत्र व द्वितीय पत्र की परीक्षा होगी।

प्रथम प्रश्नपत्र : इसमें रिजनिंग एबिलिटी, कॉम्प्रेहेंशन (संक्षिप्तीकरण) और सामान्य ज्ञान से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। यह सौ अंकों का है और इसके लिए एक घंटे 15 मिनट का समय निर्धारित है। इसमें अभ्यर्थी के लिए ऑब्जेक्टिव टाइप के 60 प्रश्न पूछे जाते हैं, जिनमें किसी भी पचास प्रश्नों के उत्तर देने हैं। अगर किसी ने पचास से अधिक प्रश्नों का उत्तर दिया, तो ऐसी स्थिति में उम्मीदवार द्वारा दिए गए प्रथम पचास प्रश्नों का मूल्यांकन किया जाएगा। खास बात यह है कि निगेटिव मार्किग को खत्म कर दिया गया है। प्रथम प्रश्नपत्र के माध्यम से अभ्यर्थी की शिक्षण एवं शोध क्षमता का आकलन किया जाता है। प्रथम प्रश्नपत्र सभी अभ्यर्थियों के लिए अनिवार्य है।

द्वितीय प्रश्नपत्र : यह प्रश्नपत्र अभ्यर्थी के स्नातकोत्तर विषय से संबंधित है। इसमें ऑब्जेक्टिव टाइप के पचास प्रश्न पूछे जाते हैं। यह भी सौ अंकों का है।

तृतीय प्रश्नपत्र : यह प्रश्नपत्र द्वितीय प्रश्नपत्र के विषय से ही संबंधित है। इसके प्रश्न डिस्क्रिप्टिव टाइप होते हैं। ढाई घंटे की निर्धारित समयावधि में दो सौ अंकों की लिखित परीक्षा होती है। इस प्रश्नपत्र को चार हिस्सों में बांटा गया है। जून, 2010 से इस प्रश्नपत्र में बदलाव किया गया है। पहले हिस्से में दो दीर्घ उत्तरीय प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रत्येक प्रश्न 20 अंकों का है और इसके लिए शब्द-सीमा पांच सौ है। इसके माध्यम से थीम को बेहतर तरीके से डिस्क्राइव करने की क्षमता को पहचानना है। दूसरे भाग में तीन लघु उत्तरीय प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रत्येक प्रश्न के लिए 15 अंक और शब्द-सीमा 300 निर्धारित है। तीनों प्रश्नपत्र मूल्यांकन और विवेचना की क्षमता को परखने के लिए है। तीसरे हिस्से में नौ अतिलघु उत्तरीय प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रत्येक के लिए दस अंक और शब्द-सीमा पचास है। इन प्रश्नों के माध्यम से समझने और उसे अपनी भाषा में व्यक्त करने की कसौटी परखी जाती है। चौथे और अंतिम भाग में ऑब्जेक्टिव टाइप के पांच प्रश्नों को शामिल किया गया है। प्रत्येक के लिए पांच अंक और शब्द-सीमा तीस रखी गई है। इसके जरिए क्रिटिकल थिंकिंग एबिलिटी और सॉलिड कंसेप्ट को पता लगाया जाता है।

मूल्यांकन

जेआरएफ और नेट के लिए सामान्य और ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थी को प्रथम और द्वितीय प्रश्नपत्र में अलग-अलग 40 प्रतिशत और संयुक्त रूप से 50 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य है जबकि एससी, एसटी और विकलांग कोटे के अभ्यर्थी के लिए प्राप्तांक में पांच प्रतिशत की छूट है। प्रथम और द्वितीय प्रश्नपत्र में अलग-अलग और संयुक्त रूप से निर्धारित अंक प्राप्त करना जरूरी है। इन दोनों प्रश्नपत्रों में निर्धारित अंक प्राप्त करने के बाद ही तृतीय प्रश्नपत्र का मूल्यांकन किया जाता है। हालांकि मेरिट लिस्ट में प्रथम प्रश्नपत्र के प्राप्तांक को नहीं जोड़ा नहीं जाता।

रणनीति

किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से तैयारी जरूरी है। यूजीसी नेट/जेआरएफ के लिए सबसे पहले संबंधित विषयों के सिलेबस और पूछे गए प्रश्नों के ट्रेंड को अच्छी तरह से समझना चाहिए। पहले प्रश्नपत्र की तैयारी के लिए इससे संबंधित गाइड, समाचारपत्रों, समसामयिक पत्रिकाओं आदि की मदद ली जा सकती है। सामान्यत: पहले प्रश्नपत्र पर लोग कम ध्यान देते हैं। उसका कारण मेरिट लिस्ट में इसका प्राप्तांक का न जुड़ना है। यह रणनीति घातक है। इस पर ध्यान ना देने पर, अगर निर्धारित प्राप्तांक नहीं आया तो ॥! विषय से जुड़े प्रश्न की तैयारी कितनी भी अच्छी क्यों न हो, किसी काम का नहीं रह जाता। द्वितीय और तृतीय प्रश्नपत्र स्नातकोत्तर विषय से संबंधित होते हैं। इसकी तैयारी के लिए प्रामाणिक पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए। पिछले दस वर्षो के प्रश्नपत्रों के माध्यम से भी यह अनुमान लगाया जा सकता है कि किस क्षेत्र से ज्यादातर प्रश्नों को पूछा जाता है। संबंधित विषयों की तैयारी के लिए जरूरी है कि महत्वपूर्ण तथ्यों को नोट करें, संक्षिप्त नोट तैयार करें और उसे बार-बार याद करने की कोशिश करें।


दीपक राजा

Thursday, March 24

हिंसक होकर नहीं, प्यार से बताये गलतियों को

बच्चों को अनुशासन में रहने और रखने के लिए हिंसा का सहारा लिया जाता है। ये हिंसा कहीं और नहीं अपने ही घरों और स्कूलों में होता है। बच्चों पर किया गया हिंसा किसी भी रूप में हो सकता है, चाहे वह शारीरिक हो, मानसिक हो या फिर भावनात्मक।

यूनिसेफ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दो से १४ साल आयु के के बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए तीन चौथाई बच्चों के साथ हिंसा का सहारा लिया जाता है। इसमें आधे बच्चों को शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है।

जेनेवा में आयोजित यूएन की मानवाधिकार समिति के बैठक में यूनिसेफ ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत किया।रिपोर्ट दुनिया के ३३ निचले और मध्यम आय वाले देशों के २-१४ आयुवर्ग के बच्चों पर आधारित थी, जिसमें बच्चों के अभिभावक भी शामिल थे। बैठक में यूएन विशेषज्ञों ने तय किया कि बच्चों के प्रति हिंसात्मक रवैया न अपनाने के लिए जागरूकता फैलाई जाये। इसको रोकने लिए दुनियाभर की सरकारें कानूनी कदम उठायें।

रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए घरों में आठ तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कुछ शारीरिक हैं तो कुछ मानसिक। शारीरिक हिंसा में बच्चों को पीटना या जोर से झकझोरना आदि है जबकि मानसिक हिंसा में बच्चों पर चीखना या नाम लेकर डांटना आदि है।

बच्चों की पिटाई कोई नई बात नहीं है। हम में से सभी ने बचपन में इसका स्वाद चखा होगा! सौभाग्य से किसी ने बचपन में मार नहीं खाई हो तो भी मार का डर जरूर सताया होगा। स्कूल हो या घर या फिर बाज़ार, बच्चों की पिटाई करते या होते देखा ही होगा। हालांकि शिक्षक, माता या पिता बच्चों की पिटाई इसलिए नहीं करते है कि इससे उन्हें किसी प्रकार की खुशी मिलती है। गलती के लिए दंड देने के लिए ऐसा करते हैं और उन्हें लगता है कि ऐसा करेंगे तो बच्चा आगे से यह गलती नहीं दोहराएगा।

थोड़े देर के लिए यह बात ठीक भी है लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है जो काफी खतरनाक है। बचपन में बोया गया हिंसा का ये बीज युवा होते होते विषधर वटवृक्ष का रूप ले लेता है, जो किसी भी रूप में अच्छा नहीं है।

यह सच है कि शिक्षा और शिष्टाचार सिखाने के लिए अनुशासन जरूरी है। हो सकता है अनुशासन के लिए दंड भी आवश्यक हो, लेकिन दंड इतना कभी नहीं होना चाहिए कि बच्चों के कोमल मन और उसके स्वाभिमान पर चोट करे, उसकी कोमल भावनाएं आहत हो।

बच्चों पर किये या हुए हिंसक और हृदय विदारक अत्याचार न केवल उनके बाल सुलभ मन को कुंठित करते हैं बल्कि उनके मन एक बात घर कर जाता है कि बड़ों (सबलों) को छोटों (निर्बल) पर हिंसा करने का अधिकार है। बाल सुलभ मन पर घर कर जाने वाली यही बात, कुंठा आगे चलकर निजी जिंदगी और सामाजिक जीवन में विषवेल के रूप में दिखाई देता है।

गलती करना इन्सान कि फितरत है और गलती को सुधार लेना इन्सान कि बुद्धिमता का परिचायक। गलती कोई भी करे, एहसास होने पर उसे भी दुख होता है। गलती पर दंड देने या प्रताड़ित करने से हो चुकी गलती को सुधार नहीं जा सकता है। प्रताड़ित करने और मन आहत करने के बजाये उसे बताया जाना चाहिए कि गलती हुई तो क्यों और कैसे ? उसके नुकसान का आंकलन बच्चों से ही कराएँ।

गलती एहसास कराने के लिए हिंसक होने कि जरूरत नहीं है, प्यार से बताएं। प्यार हर काम को आसन करता है। यह मुश्किल तो है लेकिन दुश्कर नहीं और परिणाम सौ प्रतिशत।

Tuesday, March 22

होली और यूपी पुलिस

होली के एक दिन पहले होलिका दहन होता है। यह दिन सामाजिक ही नहीं धार्मिक दृष्टि से भी बहुत खास है। यह दिन बुराई को अग्नि में तिरोहित करने का दिन है।

अधर्म पर धर्म के विजय का दिन है, क्यूंकि इस दिन हिरनकश्यप ने भक्त प्रहलाद को मारने के लिए बहन होलिका को भेजा था। होलिका को वरदान में एक चादर मिला था, जिसे ओढ़कर आग के दरिया में बैठेगी तो भी सुरक्षित रहेगी। इसका गलत फायदा उठाते हुए होलिका ने प्रह्लाद को मारने की साजिश रची। अंततः खुद की साजिश में होलिका जल मरी और भक्त प्रह्लाद आग से जिन्दा बाहर निकल आये।

हमारा देश कृषि प्रधान है। पर्व और त्यौहार खेती-बारी के अनुसार ही मनाया जाता है। होली के समय तक किसान चना, गेंहू, जई आदि रबी फसल की कटाई कर चुके होते हैं। उसके बाद खेत की निगरानी करने की जरूरत नहीं रह जाती है, किसानों को मुक्ति मिल जाती है ठण्ड भरी रात में जगरना करने से। ठण्ड की आखिरी रात के नाम फसल से बची तुडी को किसान जलाते हैं और होलिका दहन मनाते हैं।

विक्रम संवत और शक संवत के मुताबिक होली साल का अंतिम दिन भी होता है। पूरा साल ठीक से गुजर गया, इसके लिए ख़ुशी का इज़हार करने का मौका भी है होली और आने वाले नए साल का उत्साह से स्वागत करने का अवसर भी. होली के मौके पर कुछ नया करने का संकल्प भी लेते हैं.

इन सारे खूबियों के बीच होली में एक नयी परम्परा विकसित हो गयी, जो आर्थिक दृष्टि से ही नहीं सामाजिक दृष्टि से भी सही नहीं है. होली के नाम पर पीने और पिलाने का दौर का चलना, उसके बाद छोटी छोटी बात पर एक दूसरे के लिए जान का दुश्मन हो जाना। शराब पी लेने के बाद आदमी हैवानियत पर उतर आता है।

ख़ुशी का त्यौहार कई लोगों को तबाह कर देता है। रंगों में सराबोर होने वाली होली, छोटी सी भूल के कारण जिंदगीभर के लिए काली होली में तब्दील कर देता है।

एक अनुभव
होलिका दहन के दिन शाम के वक़्त न्यू अशोक नगर मेट्रो स्टेशन से नॉएडा गोल चक्कर से होते हुए मोटरसाइकिल से जाना हुआ। मेरा भाई मेरे पास होली के लिए मेट्रो से आ रहा था। छोटे भाई के पीठ पर बैग लटका हुआ था। जैसे ही न्यू अशोक नगर नाके से आगे बढ़ा, यूपी पुलिस की जिप्सी खड़ी मिली। एक सिपाही ने रूकने का इशारा किया, मैं रूक गया। सिपाही ने भाई का बैग चेक किया और फिर जाने को कह दिया। सिपाही हर किसी के बैग से सिर्फ तलाश रहा था दारू की बोतल। इसके अलावा कुछ नहीं। ड्राइविंग लाईसेंस, गाड़ी का पेपर आदि है या नहीं उससे पुलिस को कोई मतलब नहीं था।

पता नहीं ये चेक पोस्ट होली की व्यवस्था के लिए थी या दारू के तस्करों पर शिकंजा कसने के लिए, ये तो पुलिस ही जाने। बहरहाल मैं रोजाना न्यू अशोक नगर के नाके के पास से गुज़रता हूँ, वहां दारू का ठेका भी है। शाम के समय वहां सैकड़ों की तादात में लोग दारू पीते हैं। पीने वालों की भीड़ ऐसी कि उस गली से गुजरना जैसे शाम के वक़्त जनपथ मार्केट होकर निकलने के बराबर है. पीने वाले दारू दिल्ली में खरीदते हैं और पीते यूपी में हैं, ये पुलिस को दिखाई देता है?
शायद नहीं... क्यूंकि पुलिस विभाग को रोज टारगेट नहीं मिलता होगा!

वेलेंटाइन डे मनाने की क्या जरूरत?


पाश्चात्य देशों में क्रिसमस डे के बाद सबसे ज्यादा उत्साह वेलेंटाइन डे के दिन यानी 14 फरवरी को देखने को मिलता है। वेलेंटाइन डे से हमाराकोई लेना-देना नहीं है। ही यह हमारी संस्कृति है। फिर भी पाश्चात्य देशों में मनाया जाने वाला वेलेंटाइन डे भारतीय उपमहाद्वीप में लोकप्रिय हो रहा है। जैसे जैसे इसका प्रचार हुआ है, इसके मुखालफत में स्वर भी मुखर हुए ।

वेलेंटाइन डे के विरोध में जो स्वर मुखर हुए । वह वास्तव में वेलेंटाइन डे को लेकर नहीं बल्कि उसे मनाने के तरीके को लेकर है। इसके नाम पर जो अश्लीलता और भौड़ा प्रर्शन होता है। वह हमारी संस्कृति नहीं है। इस तरह की प्रवृत्ति हमारी सभ्यता के खिलाफ है। हिन्दुस्तानी होने की पहचान ही हमारी संस्कृति है। विरोध यहीं है।

हिन्दुस्तानी संस्कृति में वसुधैव कुटुंबकम सर्वोपरि है। ‘प्यार बांटते चलो’ की राह हमने दुनिया को सिखाया है। ऐसे में दुनिया के किसी कोने में भी प्रेम का कोई दिवस मनाया जाता है, उसे मनाने में हमें कोई एतराज नहीं है। प्यार के नाम पर जिस अश्लीलता का प्रर्शन होता है, हमें एतराज वहां है। मौलवी हो या संत, फकीर हो या फादर हम हिन्दुस्तानी हर किसी का आर करना जानते हैं। हमारी संस्कृति हमें ‘स्वयं को तिल-तिल जलाकर सलभ और सुलभ बनना सीखाती है।‘ समर्पण की शिक्षा देती है। प्यार में भी समर्पण है और हमारा जीवन इसी प्यार पर टीका है।

हालांकि जिस प्यार पर जीवन आधारित है, वह वेलेंटाइन डे का एक दिवसीय प्यार नहीं हो सकता है। प्यार, इश्क और मोहब्बत किसी के लिए खुशी है तो किसी के लिए दिल का सुकून, किसी के लिए ज़िंदगी है तो किसी के लिए जीन का सहारा। तभी तो कहा गया ‘
दिल की लगी क्या जाने, ऊंच-नीच और रीति-रिवाज, घर बिरारी और लोक लाज।’ वेलेंटाइन डे के नाम पर जो प्यार युवाओं में उमड़-उमड़कर पार्कों, सड़कों, सिनेमा हॉलों और मॉल में दिखाई देता है, उसका विरोध लाजमी है। हमारी संस्कृति इसकी इजाजत नहीं देती।

वेलेंटाइन डे में प्यार नहीं वासना ज्यादा होती है, उसमें दिखावा होता है और जहां दिखावा है वहां स्वभाविक प्यार हो ही नहीं सकता। ऐसे प्यार में स्वार्थ की बू आती है क्योंकि वेलेंटाइन डे को मनाने वालों में ज्यादातर उसे सुनाते वक्त लड़की की नजर लड़के की जेब पर और लड़के की निगाह लड़की के फिगर पर अटक जाती है। दरअसल यह सोच उपभोक्तावादी संस्कृति का है, जो पांच ‘म’ पर आधारित है। ये पांच ‘म’ हैं-मघ, मांस, मीन, मुद्रा और मैथुन।

अभी हाल में सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने एक सर्वे कराया। सर्वे के आधार पर ब्रिटिश पत्रकार डेविड मैक कांडेलेस ने एक रिपोर्ट तैयार किया। उसमें यह बात उभर कर सामने आई कि वेलेंटाइन डे के बा सबसे ज्यादा रिश्तों में विखराब आया, ब्रेकअप हुए । वेलेंटाइन के पाश्चात्य संस्कृति का हिस्सा है और यह सर्वे भी। यह ऐसा प्रेमोत्सव है जो रिश्तों में विखराव लाता है। इसे हम क्यूं मनाएं। वैसे भी हमारी संस्कृति में प्यार के त्योहारों की कमी नहीं है।

संत वेलेंटाइन ने तो परिवार के सस्यों के आपसी रिश्ते की मजबूती और विवाह जैसी संस्था के लिए सन्देश दिया था। आजकल इसके नाम पर भौड़ा प्रदर्शन हो रहा है। इससे हमारी भारतीय छवि प्रभावित हो रही है। इससे समाज में विकृति भी फैलने लगी है। जिस त्योहार से समाज को कोई सीख न मिले, उलटा उससे समाज पर प्रतिकूल असर पड़े उसका तो न मनाना ही हितकर है। हो सकता है कि नई पीढ़ी के तथाकथित आधुनिक युवाओं को इस बात में बुजुर्आ खयालात नजर आएं, मगर यह एक सच्चाई है जिसे देर सवेर वह भी मानेंगे लेकिन तब तक देर हो चुकी होगी।

युवाओं में 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे के दिन प्यार उमड़-उमड़ कर आ रहा होता है। जिसे देखो वही अपने विपरित लिंग की आ॓र बेमतलब आकर्षित हो रहा होता है। यह बाजारवा का प्रभाव है। इसमें समर्पण का वह भाव दिखाई नहीं देता जो रिश्तों को स्थायीत्व प्रदान करे। यह इसलिए भी क्योंकि हमारी परम्परा प्यार को केवल एक दिन में समेट देना भर नहीं है।

हमारी परम्परा में प्यार 24 घंटे, सातो दिन और जीवनभर ही नहीं जीवन र्पयंत भी है। वेलेंटाइन डे की संस्कृति को बलपूर्वक बढ़ावा बाजार दे रहा है। बाजार को मालूम है कि भारतीय उपमहाद्वीप में युवाओं की संख्या ज्यादा है और यह अगले पांच शक तक यह संख्या बनी रहेगी। हम लोगों के रग-रग में बसा है कि एक बार जिसके हो लिए तो जीवनभर उसी के साथ रहते हैं। इस कारण बाजार युवाओं को टारगेट बनाकर फुसलाने के लिए तमाम तरह के हथकंडे अपना रहा है। हमारे जीवन का आधार हमारा प्यार है जिसे हम अनमोल मानते हैं। बाजार उसे वेलेंटाइन डे माध्यम से बिकाऊ बना रहा है।

बाजार हर चीज को भुनाता है। वेलेंटाइन डे के नाम पर हमारे प्यार को भुनाने की कोशिश जारी है। यूएस ग्रीटिंग कार्ड के आंकलन के मुताबिक पूरे विश्व में एक बिलियन कार्डों की बिक्री अकेले वेलेंटाइन डे के समय होती है। उपहार, फूलों का बाजार इतना बढ़ा है कि उसका आंकलन कर पाना मुश्किल है। केवल भारत में व उपहारों का व्यापार 15 करोड़ से ज्यादा का है।

किसी ने कहा है ‘कोई लाख दूर रहे कितना भी, पर अपना ही रहे क्या कम है। प्यार करे ना करे गम नहीं, बस या करता रहे क्या कम है।’ दिल को छू जाने वाली ये चार पंक्तियां प्यार के बारे में बहुत कुछ कहता है। इस प्यार में समर्पण खिता है। आप भले ही प्यार करने की कला नहीं जानते हों और भले ही आप शब्दजाल का प्रयोग करना नहीं जानते हों, आप आकर्षक न भी हों। फिर भी, समर्पण वह कला है जो इन तमाम झंझावतों से इतर होकर सब पर भारी पड़ती है। अगर आप किसी के प्रति समर्पित हैं तो एक न एक दिन उसका प्यार आपको मिलेगा। साल के 36५ दिन और रात हमारे लिए प्यार के दिन हैं। फिर वेलेंटाइन डे मनाने की क्या जरूरत?

Tuesday, March 8

... गर औरत चाह ले

... गर औरत चाह ले


फरिश्ता बना ले इसकी हिम्मत, गर औरत चाह ले।
बन जाये कुछ भी वो, गर औरत चाह ले।।

इन्सान का रूतबा खुदा से मिला दे।
इतना उठा दे इन्सान को, गर औरत चाह ले।।

दुनिया कोई ताकत नहीं, जो इसको रोक ले।
नौकर बना ले इन्सान को, गर औरत चाह ले।।

घुट घुट कर जीने की आदत है जिन्हें।
खाक कर दे दुनिया को, गर औरत चाह ले।।

किसको पाने के लिए जीयेगी दुनिया 'राजा'।
छोड़ दे जीना औरत, गर औरत चाह ले।।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर
कविता महिलाओं को समर्पित

Thursday, February 10

जिद्द

अन्धेरे मॅ उजाले फैलाने की जिद्द है
समन्दर मॅ नदी बिछाने की जिद्द है
कोई क्यॉ न हो मुझसे कितना ही दूर
उसके दिल मॅ उतर आने की जिद्द है

-दीपक राजा

Monday, January 31

मेरा संकल्प


हर बार की तरह
इस बार भी
मेरा संकल्प,
टूट गया दृढ़ होकर
कि तुम्हें देखकर
अनजान बना रह जाऊंगा।
तुम्हारे तमाम कोशिशों को
नाकाम कर जाऊंगा
लेकिन
जैसे ही तुझसे
होता है मेरा सामना,
मेरा संकल्प
कुछ देर के लिए
थम जाता है।

तमाम उलझनों को
भूल जाता हूँ
तुम्हें मंजिल तक पहुँचाने को,
वैसे ही जैसे
उरू (जांघ) अंगद का
राजदरबार में
जम जाता है।