Saturday, December 13

गुनाह नही किया चन्द्रमोहन ने

लगभग दो महीने बाद मेट्रो दिल्ली से सफर करने का मौका मिला। मेरे हाथ में मेल टुडे अख़बार था। अखबार के पहले पन्ने पर बर्खास्त उपमुख्यमंत्री चन्द्रमोहन की तस्बीर छपी थी, साथ में उसकी दुसरी पत्नी अनुराधा थी। देखते ही एक युवक ने कहा देखो मीडिया वालों ने इसे हीरो बना दिया...

मैं मानता हूँ की चंद्र मोहन हीरो है। बहुत कम लोग ऐसे हुए है जिन्होंने शादी के बाद के सम्बंदों को स्वीकार है... इन्होने तो रिश्ते को नाम दिया है। हरियाणा जैसे राज्यों में जहाँ पंचायतों की इतनी चलती है की पूछो मत, पति पत्नी को पलक झपकते ही भाई-बहन बना देते है।

मैं किसी एक राजनितिक पार्टी की बात न भी करू तो भी आज हर कोई जानता है की नारायण दत्ता तिवारी को कोर्ट में घसीटा जा रहा है केवल इसलिए ताकि वो जवानी के दिनों में की गयी गलतियों को नाम दें... कोर्ट का फैसला क्या आएगा वो तो भविष्य के गर्त में है... जो सामने दिख रहा है वो यही है की एक औरत हक़ मांग रही है अपने बेटे के लिए... अपने लिए नही...

चंद्र मोहन ने भी अपने भाई कुलदीप बिश्नोई पर आरोप लगाये है की वो पब में किसी औरत के साथ होते है... चूँकि यह आरोप एक भाई ने भाई पर लगाया है तो यह तय है की कुलदीप के साथ पब में जाने वाला कुलदीप की पत्नी तो नही ही होगी और आरोप में कुछ न कुछ सच्चाई जरूर होगी...

चादर मोहन वैसे वी पहले नही है देश में जिन्होंने दूसरी शादी की है... धर्मेन्द्र, किशोर कुमार, रामविलाश पासवान, सलीम खान, पौतोदी के नबाब, बोनी कपूर, अजहरुद्दीन, फेरहिस्त काफी लम्बी है... उनका गुनाह बश इतना है की वो हरियाणा में पैदा हुए...

Thursday, December 11

हिन्दी अकादमी के नए सचिव

हिन्दी अकादमी दिल्ली के नए सचिव के रूप में युवा आलोचक डा. ज्योतिष जोशी को तीन साल के लिए प्रतिनियुक्त किया गया है। वह आज ११ दिसम्बर को पदभार ग्रहण करेंगे। डा. जोशी अभी तक ललित कला अकादमी की पत्रिका समकालीन कला के संपादक के रूप में कार्य कर रहे थे।

जेएनयू से जैनेन्द्र कुमार के उपन्यासों पर पीएचडी करने वाले डा. जोशी का जन्म अप्रैल १९६५ में गोपालगंज के धर्मगता गाँव में हुआ। समकालीन आलोचना के क्चेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए २००७ में देवी अवस्थी सम्मान से सम्मानिंत हो चुके है। उन्हें यह पुरस्कार पुस्तक उपन्यास की समकालीनता के लिए दिया गया। इस पुरस्कार के निर्णायक मंडल में नामवर सिंह, उदय प्रकाश विष्णु खरे जैसे हिन्दी के महान हस्ताक्चार मौजूद थे। डा. जोशी को हिन्दी अकादमी के साहित्यिक कृति से भी सम्मानिंत किया जा चुका है।

अब तक इन्होंने १६ किताबें लिख चुके हैं। उन किताबों में कुछ के नाम इस प्रकार है- जैनेन्द्र संचयिता, सम्यक तथा विधा की उपलब्धि, कृति-आकृति, भारतीय कला के हस्ताक्चर तथा रूपांकर, सोनबरसा, आदि।