Friday, August 31

भविष्य को करें डिजाइन

भविष्य को करें डिजाइन आज की लाइफस्टाइल में कपड़ों से लेकर फुटवियर तक में लोग मैचिंग चाहते हैं। बाजार में रोज नए-नए डिजाइन के उत्पाद आ रहे हैं। यह नयापन कभी कलर तो कभी डिजाइन में दिखता है। इस कारण डिजाइनिंग का क्रेज दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। प्रोफेशनल्स जूलरी डिजाइन, ग्राफिक डिजाइनिंग, सिरैमिक एंड ग्लास डिजाइनिंग, इंटीरियर डिजाइनिंग, फैशन डिजाइनिंग तथा ऑ टोमोबाइल डिजाइनिंग के क्षेत्र में नया लुक देते हैं।

कॉमन इंट्रेंस एक्जामिनेशन फॉर डिजाइन-2012

अगर आप प्रोफेशन डिजाइनर बनना चाहते हैं, तो कई बेहतरीन मौके इंतजार कर रहे हैं। ऐसा ही मौका लेकर आया है, कॉमन इंट्रेंस एग्जामिनेशन फॉर डिजाइन यानी सीईईडी। इसकी परीक्षा देने वाले परीक्षार्थियों के स्कोर के मुताबिक इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू से लेकर आईआईटी दिल्ली, आईआईटी कानपुर, आईआईटी मुंबई, आईआईटी गुवाहाटी जैसे संस्थानों में प्रोडक्ट डिजाइन एंड इंजीनियरिंग, इंडस्ट्रियल डिजाइन, विजुअल कम्युनिकेशन, एनिमेशन, इलेस्ट्रेशन डिजाइन, डिजाइन में मास्टर डिग्री पाठय़क्रम के लिए दाखिला लिया जा सकता है। कई संस्थान इसी परीक्षा के स्कोर के आधार पर डिजाइन पाठय़क्रमों में पीएचडी करने का भी मौका देते हैं।

योग्यता
कॉमन इंट्रेंस एक्जामिनेशन फॉर डिजाइन अखिल भारतीय स्तर की प्रवेश परीक्षा है। इसके लिए अभ्यर्थी की शैक्षिक योग्यता इंजीनियरिंग/आर्किटेक्चर/ डिजाइन/इंटीरियर डिजाइन में चार वर्षीय स्नातक, चार वर्षीय प्रोफेशनल डिप्लोमा इन डिजाइन (एनआईडी/सीईपीटी) या इसके समकक्ष, चार वर्षीय बैचलर इन फाइन आर्ट्स या फिर आर्ट्स/साइंस/कंप्यूटर एप्लिकेशन में मास्टर डिग्री होना जरूरी है। इसके लिए उम्र की कोई सीमा निर्धारित नहीं है।

परीक्षा केंद्र
बेंगलुरू, चेन्नई, कानपुर, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, गुवाहाटी

चयन प्रक्रिया
यह परीक्षा तीन घंटे की होगी। प्रश्नपत्र दो भागों में होगा। पहला भाग स्क्रीनिंग टेस्ट है जबकि दूसरा भाग स्कोरिंग है। प्रश्नपत्र की भाषा अंग्रेजी होगी। पहले भाग के प्रश्नों का उत्तर ऑनलाइन जबकि दूसरा पेपर ऑफलाइन होगा। परीक्षार्थी को दोनों भागों के सभी प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है। पहले चरण में विजुअल परसेप्शन एबिलिटी, ड्राइंग स्किल, लॉजिकल रीजनिंग, क्रिएटिव एंड कम्युनिकेशन स्किल, फंडामेंटल डिजाइन, डिजाइन से संबंधित प्रॉब्लम सॉल्विंग कैपेसिटी आदि से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे। जनरल एबिलिटी में इंग्लिश कॉम्प्रिहेंशन, एनालिटिकल एबिलिटी, कम्युनिकेशन एबिलिटी के साथ विज्ञान और गणित के सवाल पूछे जाते हैं। करेंट अफेयर्स में देश-विदेश की ताजा खबरों के अलावा, प्रसिद्ध हस्तियों और साल भर की मुख्य घटनाओं से जुड़े हुए प्रश्नों को पूछा जा सकता है। दूसरे चरण में अभ्यर्थी की क्रिएटिविटी और फैशन के प्रति लगाव की परख के लिए सिचुएशन टेस्ट लिया जाता है। इस टेस्ट के माध्यम से स्टूडेंट्स की डिजाइनिंग के प्रति सोच, नए आइडिया, कल्पनाशक्ति और अलग हटकर सोचने और डिजाइन करने के लिए प्रेरित किया जाता है। प्रश्नपत्र के दूसरे भाग की कॉपी केवल उन्हीं परीक्षार्थियों की जांची जाएगी, जो पहले भाग में न्यूनतम कट ऑफ मार्क्‍स लाएंगे। प्रश्नपत्र के दूसरे भाग की कॉपी जांचने के बाद, इसी भाग के प्राप्तांकों के आधार पर मेरिट लिस्ट और उत्तीर्ण परीक्षार्थियों की सूची बनाई जाएगी।

कैसे करें तैयारी
इसकी तैयारी अन्य परीक्षाओं से काफी अलग है। इसमें विद्यार्थियों को रट्टा लगाने से सफलता नहीं मिल सकती है। इसमें कामयाब होने के लिए मौलिकता की सख्त दरकार होती है। अभ्यर्थियों का डिजाइनिंग के प्रति रुझान, उसके प्रति उनकी समझ, विचारों व समस्या को सु लझाने की क्षमता को परखा जाता है। ऐसे में बेहतर करने के लिए जरूरी है कि आप जो भी बनाएं, उसे इलेस्ट्रेशन एवं शब्दों के माध्यम से समझाने की भी क्षमता रखें। सामान्य ज्ञान, सामान्य अध्ययन, अंग्रेजी, तर्क क्षमता आदि की अच्छी समझ भी जरूरी है। तस्वीरें बहुत कुछ कहती हैं। यह मानवीय क्रियाओं जैसे बैठना, खेलना, हंसना, रोना, खाना आदि का भी प्रदर्शन करती हैं। एग्जाम के लिए मानवीय क्रियाओं की विभिन्न मुद्राओं को बनाने का अभ्यास अवश्य करें। कम्युनिकेशन और विजुअलाइजेशन एक-दूसरे के पूरक हैं। कम्युनिकेशन ऐसा होना चाहिए कि जैसे शब्द दृश्य का कार्य करें और दृश्य शब्दों के पूरक हों। इसमें संवाद, स्लोगन और कॉपी राइटिंग महत्वपूर्ण है। आपमें सृजनात्मक सोच, कुछ नया करने का हुनर, ताजातरीन घटनाओं की जानकारी, बेहतर प्लानिंग और लीक से हटकर काम करने का जुनून हो। इस तरह के गुण इसलिए जरूरी हैं क्योंकि ये लोग वस्तुओं व उत्पादों की डिजाइन तय करते हैं। अगर आपके पास मौलिक सोच है और अपनी सोच को डिजाइन के माध्यम से कहने में सफल होते हैं, तो सफलता के चांस बढ़ जाते हैं। बेहतर होगा कि आप परीक्षा में अपनी नई सोच को खुले मन से तवज्जो दें , क्यों कि यदि आपने 30 फीसद भी रचनात्मक कार्य किया है, तो माना जाता है कि आपमें डिजाइनिंग कौशल है।

Wednesday, August 29

कमाई का जरिया बना योग


रोजमर्रा की जिंदगी में बढ़ते तनाव और बदलती जीवन शैली के कारण लोगों में शारीरिक और मनोवैज्ञानिक समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। इन समस्याओं के निदान के लिए योग सशक्त माध्यम बनता जा रहा है। मेडिकल साइंस भी योग की ताकत को स्वीकार करता है। योग ‘फिट है तो हिट है’ की तर्ज पर कार्य करता है। लोग सेहत के प्रति जागरूक हो रहे हैं और योग प्रशिक्षक और फिटनेस इंस्ट्रक्टर की सेवाएं ले रहे हैं। अगर आप स्वास्थ्य और फिटनेस में रुचि रखते हैं तो आपके लिए योग करियर का बेहतर विकल्प बन सकता है

योग साइंस में बीएससी 
मो रारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय के आयुष विभाग की स्वायत्त संस्था है। इस संस्थान में विज्ञान में स्नातक (योग विज्ञान) यानी बीएससी (योग विज्ञान) की पढ़ाई करने के लिए आवेदन प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। इस पाठय़क्रम में 60 सीटें हैं। पाठय़क्रम की अवधि तीन साल है, जिसे छह सेमेस्टरों में बांटा गया है। मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान, गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से संबद्ध संस्था है।

शैक्षिक योग्यता :
इस पाठय़क्रम में दाखिला लेने के लिए शैक्षिक योग्यता विज्ञान (भौतिकी, रसायन विज्ञान व जीव विज्ञान) विषयों से बारहवीं (सीबीएसई के पाठय़क्रम या उसके समकक्ष) में पचास फीसद अंकों के साथ उत्तीर्ण होना जरूरी है। बारहवीं में भौतिकी, रसायन और जीव विज्ञान तीनों विषयों में अलग-अलग पचास फीसद अंक होना अनिवार्य है।

उम्र :
बीएससी (योग विज्ञान) में दाखिला लेने के इच्छुक छात्रों की उम्र एक अगस्त 2012 को 21 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। उम्र में छूट गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के नियमानुसार मिलेगी।

चयन प्रक्रिया :
प्राप्त आवेदन के बारहवीं की परीक्षा में मिले प्राप्तांक के आधार पर मेधावी सूची बनाई जाएगी। इसी सूची के आधार पर पहली सितम्बर को पहला कट ऑफ लिस्ट जारी होगा। तीन से पांच सितम्बर को दाखिले के लिए काउंसिलिंग की जाएगी। सीटें फुल नहीं होने पर दूसरा कट ऑफ लिस्ट पां च सितम्बर की शाम को जारी किया जाएगा। फिर दूसरी काउंसिलिंग छह से सात सितम्बर को होगी।
 

शिक्षक : सम्मान भी रोजगार भी


यदि आपको बच्चों से लगाव है और उन्हें आप पढ़ाना चाहते हैं तो शिक्षक बनकर अपनी इस इच्छा को पूरी कर सकते हैं। शिक्षकों को हर युग में आदर के साथ देखा गया है और किसी भी बच्चे पर उसके शिक्षक का काफी प्रभाव होता है। हालांकि ब्लॉक स्तर से लेकर केंद्र सरकार के स्तर तक स्कूल संचालित किये जाते हैं। इन स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए अब चयन प्रक्रिया अपनाई जाने लगी है और संबंधित परीक्षा पास करने के बाद ही शिक्षक बना जा सकता है

केंद्र सरकार के अधीनस्थ विद्यालयों में शिक्षक बनने की राह खोलने वाली सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीटीईटी) 2012 के लिए सीबीएसई ने ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं। सीबीएसई और सीटीईटी की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थियों को स्कोर कार्ड के साथ प्रमाणपत्र दिया जाएगा, उसकी मान्यता सात साल रहेगी। इस प्रमाणपत्र के आधार पर केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, केंद्रीय तिब्बत विद्यालय के अलावा केंद्र शासित प्रदेश के अधीनस्थ स्कूलों में रिक्त शिक्षक पदों को भरा जाएगा यानी इन स्कूलों में सीटीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की ही शिक्षक के पदों पर नियुक्ति होगी।

परीक्षा शुल्क
सीटीईटी में दो प्रश्नपत्र है। एक पेपर की परीक्षा देने के लिए सामान्य वर्ग और ओबीसी को पांच सौ रुपए जबकि एससी, एसटी और विकलांगों के लिए 250 रुपए का ड्राफ्ट जमा करना होगा। दोनों पेपर की परीक्षा देने के लिए सामान्य वर्ग और ओबीसी को आठ सौ रुपए जबकि अन्य के लिए 400 रुपए का ड्रफ्ट देना होगा। ड्राफ्ट राष्ट्रीकृत बैंक का होना चाहिए। ड्राफ्ट सचिव, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के नाम से बनेगा और भुगतान दिल्ली में होगा।

शैक्षिक योग्यता पहले पेपर के लिए बारहवीं उत्तीर्ण के साथ दो साल का शिक्षा में डिप्लोमा होना जरूरी है जबकि दूसरे पेपर के लिए स्नातक उत्तीर्ण के साथ दो साथ का शिक्षा में डिप्लोमा या एक वर्षीय बीएड की डिग्री अनिवार्य है।

परीक्षा देश के विभिन्न प्रदेशों के 88 जिलों में 18 नवंबर 2012 को दो पाली में परीक्षा आयोजित होगी। पहले पेपर की परीक्षा पहली पाली में 10.30 से 12 बजे तक और दूसरे पेपर की परीक्षा दूसरी पाली में 1.30 से तीन बजे तक होगी। परीक्षा का माध्यम हिंदी या अंग्रेजी है। कम से कम साठ फीसद सही उत्तर देने वाले अभ्यर्थियों को प्रमाणपत्र दिया जाता है। यह प्रमाणपत्र सात साल के लिए मान्य रहेगा।

परीक्षा पाठय़क्रम
सीटीईटी की परीक्षा में दो पेपर है। पहला पेपर उन उम्मीदवारों के लिए है, जो प्राइमरी लेवल पर एक से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं, जबकि दूसरा पेपर छह से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाने का सर्टिफिकेट प्रदान करता है। उम्मीदवार चाहें तो दोनों पेपरों के लिए आवेदन कर सकते हैं। दो नों ही पेपरों में पूछे जाने वाले प्रश्न वस्तुनिष्ठ टाइप होंगे तथा डेढ़ घंटे का समय निर्धारित होगा। दोनों पेपरों में 150 प्रश्न पूछे जाएंगे। दोनों पेपरों के लिए निर्धारित अंक 150-150 अंक है। पहले पेपर में पांच सेक्शन हैं और सभी सेक्शन के अंक बराबर हैं। इन सेक्शनों में बाल विकास एवं म्ा न्ााे िव्ा ™ाा न्ा , लैंग्वेज एक व दो (हिंदी व अंग्रेजी), गणित, पर्यावरणीय अध्ययन शामिल है। दूसरा पेपर सेक्शन और अंक विभाजन के रूप में पहले से थोड़ा अलग है। इसमें चार सेक्शन हैं। तीन सेक्शन बाल विकास एवं मनोविज्ञान (अनिवार्य), लैंग्वेज एक व दो (अनिवार्य) के लिए तीस-तीस अंक निर्धारित है जबकि चौथे सेक्शन के लिए 60 अंक निर्धारित हैं। चौथे सेक्शन के प्रश्न आर्ट और साइंस विषय के शिक्षकों के लिए अलग-अलग हैं।

बाल विकास एवं मनोविज्ञान
इसके तहत छह से ग्यारह साल तक बच्चों को पढ़ाने और सीखने की क्षमता पर आधारित प्रश्न होते हैं। इसमें मुख्य रूप से बच्चों में क्रमबद्ध विकास, विकास के लिए आवश्यक चीजें, शैक्षिक मनोविज्ञान, भाषा एवं विचार, तार्किक शक्ति तथा सामाजिक संरचना आदि पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं।

लैंग्वेज एक व दो
 लैंग्वेज एक का नेचर चुने गए माध्यम पर निर्भर करता है। इसमें मुख्यत: पैसेज, ड्रामा, ग्रामर, वर्बल एबिलिटी के प्रश्न होते हैं जबकि लैं ग्वेज दो में इसके एलिमेंट, कम्युनिकेशन एवं कॉम्प्रिेहेंशन के प्रश्न होते हैं। शिक्षा पर आधारित प्रश्न भी होंगे।

गणित व पर्यावरण
गणित के प्रश्नों में औसत, लाभ-हानि, प्रतिशत, लघुत्तम व महत्तम समापवर्त क, चक्रवृ द्धि ब्याज, साधारण ब्याज, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी आदि होते हैं, जबकि पर्यावरण अध्ययन में उसके सिद्धांत, पढ़ाई के तरीके तथा विभिन्न गतिविधियों पर फोकस किया जाता है।

सामाजिक विज्ञान/सामान्य अध्ययन
समस्या निर्धारण, कौशल, सामाजिक सरोकारों से जुड़े प्रश्नों के अलावा इतिहास, भूगोल, संविधान से संबंधित प्रश्न होंगे। कुछ प्रश्न करेंट अफेयर्स से भी पूछे जाते हैं।

तैयारी के टिप्स प्रश्नों को हल करते समय स्पीड पर ध्यान रखें क्योंकि परीक्षा में 150 प्रश्नों के लिए मात्र 90 मिनट का समय दिया जाता है। इसमें निगेटिव मार्किग नहीं है, इसलिए अधिक से अधिक प्रश्नों को हल करने का प्रयास करें। परीक्षा का स्तर अधिक से अधिक बारहवीं के समकक्ष होगा। मैथ्स के बेसिक क्लीयर रखें, जरूरी लगे तो एक बार नौवीं और दसवीं के मैथ्स का अभ्यास कर लें। भाषा पर पकड़ और कौशल के लिए ग्रामर आदि पर ध्यान हो ना चाहिए। रीजनिंग पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। बारहवीं तक की एनसीईआरटी पुस्तकें परीक्षा में राम बाण साबित होंगी।

Sunday, August 26

जुडें गुप्तचर एजेंसी से

अगर अपने आप पर भरोसा, हिम्मत और अपराध से लड़ने का साहस व देश-भक्ति का जज्बा है तो जासूसी का करियर आपके लिए बेहतर साबित हो सकता है। इसके लिए बेहतरीन अवसर लेकर आयी है गुप्तचर एजेंसी आईबी यानी इंटेलिजेंस ब्यूरो। यह केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीनस्थ संस्था है

लिखित परीक्षा : 23 सितम्बर, 2012

इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी में ग्रेड-दो के तहत केंद्रीय सहायक इंटेलिजेंस अधिकारी के कुल 750 (सामान्य 80, ओबीसी 334, एससी 225 और एसटी 111) पद रिक्त हैं। इसके लिए ऑ नलाइन आवेदन मांगे गए हैं। ऑनलाइन आवेदन गृ ह मंत्रालय की वेबसाइट ध््रध््रध््र.थ््रण्ठ्ठ.दत्ड़.त्द के जरिए किया जा सकता है। आवेदन करने की अंतिम तिथि 19 अगस्त, 2012 है। शैक्षिक योग्यता आवेदक को किसी भी मान्यता प्राप्त विविद्यालय से स्नातक या उसके समतुल्य पाठय़क्रम में उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। साथ ही, कम्प्यूटर की जानकारी होना वांछनीय है। उम्र अभ्यर्थी की उम्र आवेदन करने की अंतिम तिथि 19 अगस्त, 2012 को 27 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। ओबीसी, एससी और एसटी के अभ्यर्थियों के लिए उम्र सीमा में छूट केंद्र सरकार के नियमानुकूल है। नाम और जन्म तिथि के लिए मैट्रिकुलेशन सर्टिफिकेट ही मान्य है।

परीक्षा शुल्क
 सामान्य और ओबीसी अभ्यर्थी के लिए परीक्षा शुल्क एक सौ रुपए निर्धारित है। एससी, एसटी और सभी वर्ग की महिला अभ्यर्थी से परीक्षा शुल्क नहीं लिया जायेगा। आवेदन आवेदन केवल ऑनलाइन ही होगा। इसके लिए, गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर जाना होगा। आवेदन की प्रक्रिया दो चरणों में है। पहले चरण में आपको अपनी व्यक्तिगत जानकारी, शैक्षिक योग्यता और अन्य जानकारी देनी होगी। पहला चरण पूरा होने के बाद एक यूनीक रजिस्ट्रेशन आईडी मिलेगा। इसकी स्लिप आपके ई-मेल पर भी भेजी जाएगी। दूसरे चरण में केवल परीक्षा शुल्क भुगतान करना है। परीक्षा शुल्क भुगतान आप ऑनलाइन कर सकते हैं। भारतीय स्टेट बैंक की इंटरनेट बैंकिंग सेवा या फिर एसबीआई का डेबिट कार्ड आप इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा भी फीस जमा करने के कई विकल्प हैं। भविष्य में पत्राचार करने की जरूरत हुई तो रजिस्ट्रेशन आईडी का उल्लेख करना जरूरी है, इसलिए रजिस्ट्रेशन आईडी, कैश पैमेंट स्लिप को संभालकर रखें। ई-मेल और मो बाइल पर परीक्षा के एडमिट कार्ड के लिए अलर्ट भेजा जा सकता है। इसलिए जो भी मोबाइल नं बर और ईमे ल आईडी आपने ऑनलाइन आवेदन करते समय दिया, वह कम से कम छह माह तक वैध रखना जरूरी है। परीक्षा 33 के 33 केंद्रों पर होगी और एक बार विकल्प चुन लेने के बाद, उसमें बदलाव नहीं किया जा सकता। लिखित परीक्षा/ साक्षात्कार के लिए केवल बेरोजगार एससी/ एसटी अभ्यर्थियों के लिए यात्रा- भत्ता की व्यवस्था है।

चयन प्रक्रिया 
केंद्रीय सहायक इंटेलिजेंस अधिकारी पद की चयन-प्रक्रिया दो चरणों में है लिखित परीक्षा और साक्षात्कार। पहले चरण में लिखित परीक्षा एक घंटे 40 मिनट की है। इसमें प्रश्नपत्र दो तरह के होंगे। पहले प्रश्नपत्र में बहुवैकल्पिक वस्तुनिष्ठ प्रश्न होंगे। इसके तहत सामान्य अध्ययन, सामान्य ज्ञान, अंग्रेजी, रीजनिंग और गणित विषय संबंधी प्रश्न हों गे। दूसरा प्रश्नपत्र विवरणात्मक होगा जो अंग्रेजी भाषा पर आधारित होगा। लिखित परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर साक्षात्कार के लिए मे धावी अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जायेगा। साक्षात्कार के लिए चयनित अभ्यर्थियों का नाम वेबसाइट पर डिस्प्ले किया जाएगा और चयनित अभ्यर्थी को साक्षात्कार के लिए बुलावा-पत्र भेजा जाएगा।


कैसे करें तैयारी 
1. जनरल नॉलेज की तैयारी के लिए हर दिन कम से कम अंग्रेजी का एक राष्ट्रीय समाचारपत्र जरूर पढ़ें।
2. चूंकि एसीआईओ की परीक्षा अंग्रेजी भाषा पर आधारित है, इसलिए बाजार में उपलब्ध प्रतियोगिता परीक्षा से संबंधित अंग्रेजी पत्रिकाएं जरूर पढ़ें।
3. अंतरराष्ट्रीय समाचार चैनल की खबरों पर नजर रखें। इससे वैिक जानकारी बढ़ने के साथ- साथ आपका जनरल नॉलेज बढ़ेगा।
4. अंग्रेजी पेपर हल करने में वोकेबलरी काफी मायने रखती है। इसलिए अपनी वोकेबलरी को इम्प्रूव करें। इसके लिए अंग्रेजी समाचार पत्र-पत्रिकाओं और किताबें पढ़ने की जरूरत है।
5. कंप्रीहेंसिव पैसेज को हल करने की आदत डालें।
6. गणित के पेपर में बेहतर अंक तभी आएंगे जब आप ट्रिक्स अपनाएंगे।
7. प्रैक्टिस पेपर से जमकर प्रैक्टिस करें।

रिकॉर्ड प्रबंधन और रिप्रोग्राफी में जॉब

रिकॉर्ड प्रबंधन और रिप्रोग्राफी में जॉब

ऐतिहासिक अभिलेखों के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार का प्रतिष्ठित संग्रहालय है- राष्ट्रीय अभिलेखागार। यहां आजादी से पूर्व और बाद के सभी अमूल्य अभिलेख सहेजे गये हैं। यहां नौकरियों के अवसर मिलते रहते हैं। इसके लिए आज कोर्स भी संचालित किये जाते हैं

राष्ट्रीय अभिलेखागार की स्थापना मार्च 1891 में कोलकाता में हुई। देश की राजधानी दिल्ली बनाये जाने के बाद दिल्ली के लुटियंस जोन में जहां राजपथ और जनपथ का मिलन होता है, वहां इसका मुख्यालय बनाया गया। देश के पुरातत्व और राष्ट्रीय अभिले ख की रक्षा करने की जिम्मेदारी इस संस्थान की है। 1941 से यहां अभिलेखों को सुरक्षित और संरक्षित करने का प्रशिक्षण दिया जाने लगा। संस्थान के रूप में राष्ट्रीय अभिलेखागार 1976 से विकसित किया गया। 1980 में इसका नाम रखा गया- अभिलेखीय अध्ययन का शिक्षालय (स्कूल ऑफ आर्काइवल स्टडीज)। अभिलेख के संरक्षण और पुस्तकालय को बेहतर बनाने की मांग को देखते हुए अभिलेखागार अभिलेखाध्यक्षों, रिकॉ र्ड प्रबं धकों, अभिलेख संरक्षित करने वालों, माइक्रो- फोटो ग्राफिक्स आदि को सैद्धांतिक और प्रायोगिक तरीके से प्रशिक्षण देता है। प्रशिक्षण के दौरान सेमिनार, वर्कशॉप आदि आयोजित किये जाते हैं। इसके अतिरिक्त, अग्रणी संस्थानों और विविद्यालयों के प्रतिष्ठित अभिलेखाध्यक्षों और रिकॉर्ड प्रबंधकों आदि के व्याख्यान भी प्रशिक्षण के दौरान सुनने को मिलते हैं। अभिलेखीय अध्ययन शिक्षालय में अभिलेख एवं रिकार्ड प्रबंधन में एकवर्षीय डिप्लोमा संचालित किया जाता है। यह प्रोफेशनल स्तर का प्रशिक्षण है। इसके अलावा, इस संस्थान में अभिलेख प्रबंधन- पुस्तक, पांडुलिपि और अभिलेख संरक्षण और उनकी देखभाल, रिकॉर्ड प्रबंधन, रेप्रोग्राफी तथा रिकॉर्ड के संरक्षण और मरम्मत आदि पर शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेट कोर्स का प्रशिक्षण दिया जाता है। वर्तमान में, अभिलेखीय अध्ययन शिक्षालय ने रिकॉर्ड प्रबंधन में 75वां शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेट कोर्स और रेप्रोग्राफी में 66वां शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेट कोर्स के लिए आवेदन मांगे हैं।

पाठय़क्रम 
 रिकॉर्ड प्रबंधन में 75वीं शॉर्ट टर्म कोर्स का प्रशिक्षण तीन से 28 सितम्बर 2012 तक दिया जाएगा। इस कोर्स का उद्देश्य आवेदक के रिकॉर्ड को सही तरीके से रखना, उसे व्यवस्थित करना आदि है। इस प्रशिक्षण को पाने के लिए आवेदक को किसी भी मान्यता प्राप्त विविद्यालय से स्नातक उत्तीर्ण होना जरूरी है। संस्था द्वारा प्रायोजित आवेदक की उम्र सीमा पचास साल है जबकि स्वत: आवेदन करने वाले की अधिकतम उम्र तीस साल होनी चाहिए। उम्र में छूट सरकार के नियमानुसार दी जायेगी। रेप्रोग्राफी में 66वां शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेट कोर्स का प्रशिक्षण 10 से 19 सितम्बर 2012 तक दिया जाएगा। इसका उद्देश्य प्रशिक्षु को अभिलेख, लघु फिल्म, पांडुलिपि औ र संग्रहीत सूचना आदि के पुनरुत्पादन- प्रक्रिया, संचालन, पुनरुद्धार और प्रसार-संबंधी प्रशिक्षण देना है। प्रशिक्षण के लिए आवेदक को मान्यता प्राप्त विविद्यालय से द्वितीय श्रेणी में स्नातक उत्तीर्ण होना चाहिए। विज्ञान की पढ़ाई करने वाले आवेदकों को वरीयता दी जायेगी।

आवेदन
दोनों शॉर्ट टर्म में आवेदन करने के लिए पहले पंजीयन कराना होता है। पंजीयन कराने के लिए आवेदक को आवेदन के साथ शैक्षिक योग्यता प्रमाणपत्र की प्रमाणित फोटोकॉपी के अलावा प्रशासनिक अधिकारी, राष्ट्रीय अभिलेखागार के नाम से एक सौ रुपए का ड्राफ्ट या रेखांकित किया हुआ इंडियन पोस्टल ऑर्डर महानिदेशक (अभिलेख), राष्ट्रीय अभिलेखागार, जनपथ, नई दिल्ली-110 001 भेजना अनिवार्य है।

फीस
रिकॉर्ड प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण शुल्क दो सौ रुपए हैं जबकि रेप्रोग्राफी के लिए तीन सौ रुपए दाखिले के समय देना होगा। एक बार भुगतान हो जाने के बाद शुल्क वापस नहीं होगा।

छात्रावास और भोजन
संस्थान प्रशिक्षण के दौरान छात्रावास और भोजन की व्यवस्था नहीं कराता। इसे अपने पास से करना होता है।
दाखिले की अधिक जानकारी के लिये संपर्क करें। संपर्क समय सुबह साढ़े नौ से शाम छह बजे तक है। महानिदेशक (अभिलेख) राष्ट्रीय अभिलेखागार जनपथ, नई दिल्ली-110 001 दूरभाष:011-23388557

मौसम विज्ञान भी देता है कई मौके

मौसम विज्ञान भी देता है कई मौके

मौसम की चाल कभी सीधी नहीं होती। दिनोंदिन बढ़ते प्रदूषण और घटते जंगलों के कारण धरती के तापमान में बदलाव और प्रकृति के दोहन ने मौसम के मिजाज को और बिगाड़ दिया है। यही कारण है कि प्राकृतिक आपदाएं कहर ढा रही हैं। कहीं बाढ़, कहीं सूखा तो कहीं मानसून की आंखमिचौ ली। मौसम से जुड़े सारे तथ्यों की जानकारी मौसम विज्ञान में आती है। इस विषय में रुचि रखने वाले विद्यार्थियों के लिए मौसम विज्ञान में करियर बनाना आसान है और रोमांचकारी भी क्योंकि मौसम विज्ञान मूलत: भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और गणित का समावेश है।

विषय का महत्व
मौसम विज्ञान में भले ही कई अनिश्चितताओं का अध्ययन होता हो, लेकिन आज के दौर में मौसम-संबंधी पूर्वानुमान केवल पानी बरसने की सूचना या तापमान के उतार- चढ़ाव बताने तक सीमित नहीं है। मौसम का पूर्वानुमान सिर्फ कृषि जगत के लिए ही उपयोगी नहीं है, बल्कि पर्यटन, उड्डयन, चिकित्सा, निर्माण, समुद्री यात्रा आदि में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। तभी तो मौसम विज्ञान के पाठय़क्रमों में विविधता है। यह व्यापक विषय भी है।

पाठय़क्रम
मौसम विज्ञान में पाठय़क्रमों की विविधता और उसकी उपयोगिता के कारण मौसम विज्ञान की शाखाओं का विस्तार हुआ है। मसलन कृषि मौसम विज्ञान, भौतिकी मौसम विज्ञान, डायनामिक मौसम विज्ञान, व्यावहारिक मौसम विज्ञान, सायनोप्टिक मौसम विज्ञान और जलवायु विज्ञान आदि। इस तरह मौसम में रुचि रखने वाले विद्यार्थियों के पास विषय की विविधता स्पष्ट है।

प्रवेश
मौसम विज्ञान से जुड़े पाठय़क्रमों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता बारहवीं है। विद्यार्थियों के भौतिकी और गणित में कम से कम 55 फीसद अंक होने अनिवार्य हैं। मेधावी छात्रों को पाठय़क्रम प्रवेश में वरीयता दी जाती है। आमतौर पर मौसम विज्ञान से संबंधित पाठय़क्रमों में अंकों के आधार पर दाखिला मिल जाता है। कुछ विविद्यालयों में लिखित परीक्षा के आधार पर दाखिला मिलता है। मौसम विज्ञान से संबंधित पाठय़क्रम बीएससी, एमएससी और कहीं-कहीं पीएचडी स्तर तक है। कुछ संस्थान मौसम विज्ञान में डिप्लोमा भी कराते हैं। इन सभी पाठय़क्रमों में गणित, सांख्यिकी और भौतिकी पर विशेष बल दिया जाता है। जो विद्यार्थी केवल विषय ही नहीं, पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी दिखाते हैं और जिन्हें मौसम के छिपे रहस्यों से पर्दा हटाने की लालसा रहती है, वे इस प्रकार के पाठय़क्रमों में विशेष रूप से सफलता अर्जित करते हैं। पाठय़क्रम पूरा करने के बाद करियर के लिए विषय से जुड़ी अन्य जानकारी रखना तो अनिवार्य है ही, अपनी जानकारी को हमेशा अप-टू-डेट रखना भी जरूरी है। मसलन, पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में छाई ब्राउन हेज, मानसून से जुड़ी घटना, अल्नीनो, कैटरीना इफेक्ट आदि की जानकारी पाठय़क्रम की कामयाबी करियर के लिए जरूरी है।

अवसर
मौसम विज्ञान से जुड़े पाठय़क्रमों को पूरा करने के बाद नौकरी का ज्यादा बड़ा दायरा सरकारी क्षेत्र में ही है, क्योंकि मौसम-संबंधी सूचना जारी करने का सारा कामकाज सरकारी नियंतण्रमें है। करियर के लिहाज से निजी क्षेत्र में भी अब मौसम विशेषज्ञों को रखा जाने लगा है। निजी क्षेत्र की कुछ कंपनियां अपने स्तर पर मौसम-संबंधी जानकारी प्राप्त करने के लिए मौसम विशेषज्ञ को रखती हैं, विशेष रूप से पर्यटन और निर्माण के क्षेत्र की निजी कंपनियां। भारतीय मौसम विभाग में समय-समय पर मौसम की विविध शाखाओं से जुड़ी नियुक्तियों की मांग रहती है। इसके लिए संघ लोक सेवा आयोग राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षाएं आयोजित करता है। इनमें बीटेक (इलेक्ट्रॉनिक्स), एमएससी (भौतिकी/ इलेक्ट्रॉनिक), एमएससी (गणित) के विद्यार्थी आवेदन कर सकते हैं। इन नियुक्तियों के लिए मौसम विज्ञान से एमएससी करने वाले विद्यार्थी भी आवे दन कर सकते हैं।

Sunday, August 12

संगीत का नाद

पुस्तक समीक्षा/ दीपक राजा


संगीत, नृत्य और कला हमारी सांस्कृतिक विरासत का सबसे बड़ा स्रोत माने जाते हैं। अतः इन विधाओं को व्यावहारिक और सैद्घांतिक रूप में संरक्षित करना हम सबका दायित्य है। इस कड़ी में डॉ. लक्ष्मीनारायण गर्ग ने 'संगीत निबंध सागर' पुस्तक के माध्यम से गायन, वादन और नृत्य के इतिहास और वर्तमान परिवेश को जिस तरह सहेजा है, वह सराहनीय है। पुस्तक संगीत संदर्भित ४७ लेखों का संग्रह है। लेखक ने पुस्तक के प्रारंभ में स्पष्ट लिखा है, 'निबंध निहायत निजी लेख होता है, इसीलिए आवश्यक नहीं है कि दूसरों की विचारधारा से वह मेल खाए।' सच यह भी है कि निबंध हो या लेख, वह हमें विचारों से बांधता नहीं है बल्कि हमारे चिंतन को एक दिशा देता है ताकि नई सोच और नई खोज पल्लवित हो सके।

फिल्मों का सुगम संगीत देखने-सुनने में हर किसी को रसमग्न कर देता है। दृश्य और श्रव्य में संतुलन बिठाते हुए ऐसे किसी गीत को प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को समझना हो तो इसे आलोच्य पुस्तक के 'भारतीय फिल्म संगीत और 'संगीत निर्देशन और उसकी कला नामक निबंधों को पढ़कर समझा जा सकता है। आलोच्य निबंध में लेखक ने न केवल फिल्म में काम करने वाले संगीतकारों के दायित्वों से लेकर उसकी भूमिका पर चर्चा की है, बल्कि नाटक, कोरस, आर्केस्ट्रा आदि में भी संगीतकारों की महत्ता को सरल शब्दों में पाठकों को समझाने का प्रयास किया है। 'सत्य, सौंदर्य और संगीत शीर्षक निबंध में लेखक ने 'शब्द और 'संगीत की अभिव्यक्ति को सरल शब्दों में समझाने का प्रयास किया है। गीत साहित्य का सृजन है, वाद्य स्वर का और नृत्य कला का। यानी गीत, वाद्य और नृत्य का सम्मिलित रूप संगीत है, जो जीवन, संस्कृति और विश्व का प्रतीक है। 'साकार संगीत, 'भक्ति संगीत ऐसे अध्याय हैं जिनको पढ़ना और समझना अपने आप में रुचिकर और ज्ञानवर्धक होगा।

भाषा की अपेक्षा नाद का प्रभाव क्षेत्र अधिक व्यापक है। तभी तो वाद्यों की भांति तराना को भी चार भागों में बांटा गया है। चाहे भारतीय संगीत की बात हो या संगीत शिक्षा, संगीत कथा की बात हो या फिर गजल का विकास, इस पुस्तक में इन सबकी यथोचित जानकारी सुधी पाठकों को मिलती है। भैरव, ध्रुपद गायकी, लोक संगीत, जयदेवकृत गीतगोविंद, नंदिकेश्वर कृत अभिनय दर्पण ऐसे लेख हैं जो संगीत की बारीकियों को समझने के लिए प्रेरित करते हैं। 'संगीत कला की सच्ची उपासक ये वेश्याएं', 'एशियाई नाट्‌य की उत्पत्ति और उसका ऐतिहासिक विकास', 'उत्तर भारतीय संगीत का संक्षिप्त इतिहास' जैसे निबंधों में संगीत का ही नहीं, भारतीय सांस्कृतिक इतिहास का भी सुंदर परिचय मिलता है।

आलोच्य पुस्तक निश्चित ही डॉ. लक्ष्मीनारायण गर्ग के गहरे अध्ययन का प्रतिफल है। चाहे उत्तर और दक्षिण भारत के संगीत का इतिहास हो या फिर रवीन्द्र, नज़रुल या फिर पंजाब का गुरमति संगीत, इसमें मात्रा, काष्ठ, मुहूर्त, प्रहर, दिनरात, पक्ष, मास, ऋतु, अयन और वर्ष में विभक्त किए गए काल की जानकारी अहम है। तबले के सफर की बात हो या आर्केस्ट्रा की धूम सब इस पुस्तक के अध्यायों में विद्यमान है। भारत में संगीत और नृत्य की पुरातन समृद्घ परम्परा रही है। ऐसे में भारतीय नृत्यनाटिका, नाटय और नृत्य, लोक नृत्य, अभिनय कला, शास्त्रीय नृत्य पर आधारित लेख संगीत प्रेमियों को खास रस से आप्लावित करते हैं।

इसमें कोई संदेह नहीं कि जिस तरह काव्य सृजन के समय कवि भाव और चिंतन सागर में डूब जाता है, ठीक यही दशा एक चित्रकार और संगीतकार की भी होती है। लेखक को भी इस पुस्तक के लेखों को लिखने के दौरान ऐसी ही अनुभूति हुई लगती है। पुस्तक के अध्ययन के दौरान यह साफ झलकता है। पुस्तक पढ़ने के दौरान लगता है कि संगीत संबंधी एक ही जानकारी कई लेखों में दी गई है। इसका कारण माना जा सकता है पुस्तक का निबंधों के रूप में प्रस्तुत होना। शीर्षक के अनुरूप किसी भी निबंध के सारे पक्षों को प्रभावशाली ढंग से एक साथ समेटना होता है और संगीत विधा में क्योंकि वादन, गायन और नृत्य का  न्योन्याश्रित संबंध है इसलिए निबंधों में जानकारियों का दोहराव स्वाभाविक है। फिर भी पाठकों को पुस्तक पढ़ने के दौरान यह दोहराव उबाऊ नहीं लगता। अंत में, अपनी संस्कृति और विरासत से लगाव रखने वाले जो कलानुरागी लिखित रूप में अपनी सांगीतिक विरासत को संकलित करना चाहते हैं, उनके संकलन में इस पुस्तक की उपस्थिति अनिवार्य है।