Sunday, August 26

मौसम विज्ञान भी देता है कई मौके

मौसम विज्ञान भी देता है कई मौके

मौसम की चाल कभी सीधी नहीं होती। दिनोंदिन बढ़ते प्रदूषण और घटते जंगलों के कारण धरती के तापमान में बदलाव और प्रकृति के दोहन ने मौसम के मिजाज को और बिगाड़ दिया है। यही कारण है कि प्राकृतिक आपदाएं कहर ढा रही हैं। कहीं बाढ़, कहीं सूखा तो कहीं मानसून की आंखमिचौ ली। मौसम से जुड़े सारे तथ्यों की जानकारी मौसम विज्ञान में आती है। इस विषय में रुचि रखने वाले विद्यार्थियों के लिए मौसम विज्ञान में करियर बनाना आसान है और रोमांचकारी भी क्योंकि मौसम विज्ञान मूलत: भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और गणित का समावेश है।

विषय का महत्व
मौसम विज्ञान में भले ही कई अनिश्चितताओं का अध्ययन होता हो, लेकिन आज के दौर में मौसम-संबंधी पूर्वानुमान केवल पानी बरसने की सूचना या तापमान के उतार- चढ़ाव बताने तक सीमित नहीं है। मौसम का पूर्वानुमान सिर्फ कृषि जगत के लिए ही उपयोगी नहीं है, बल्कि पर्यटन, उड्डयन, चिकित्सा, निर्माण, समुद्री यात्रा आदि में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। तभी तो मौसम विज्ञान के पाठय़क्रमों में विविधता है। यह व्यापक विषय भी है।

पाठय़क्रम
मौसम विज्ञान में पाठय़क्रमों की विविधता और उसकी उपयोगिता के कारण मौसम विज्ञान की शाखाओं का विस्तार हुआ है। मसलन कृषि मौसम विज्ञान, भौतिकी मौसम विज्ञान, डायनामिक मौसम विज्ञान, व्यावहारिक मौसम विज्ञान, सायनोप्टिक मौसम विज्ञान और जलवायु विज्ञान आदि। इस तरह मौसम में रुचि रखने वाले विद्यार्थियों के पास विषय की विविधता स्पष्ट है।

प्रवेश
मौसम विज्ञान से जुड़े पाठय़क्रमों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता बारहवीं है। विद्यार्थियों के भौतिकी और गणित में कम से कम 55 फीसद अंक होने अनिवार्य हैं। मेधावी छात्रों को पाठय़क्रम प्रवेश में वरीयता दी जाती है। आमतौर पर मौसम विज्ञान से संबंधित पाठय़क्रमों में अंकों के आधार पर दाखिला मिल जाता है। कुछ विविद्यालयों में लिखित परीक्षा के आधार पर दाखिला मिलता है। मौसम विज्ञान से संबंधित पाठय़क्रम बीएससी, एमएससी और कहीं-कहीं पीएचडी स्तर तक है। कुछ संस्थान मौसम विज्ञान में डिप्लोमा भी कराते हैं। इन सभी पाठय़क्रमों में गणित, सांख्यिकी और भौतिकी पर विशेष बल दिया जाता है। जो विद्यार्थी केवल विषय ही नहीं, पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी दिखाते हैं और जिन्हें मौसम के छिपे रहस्यों से पर्दा हटाने की लालसा रहती है, वे इस प्रकार के पाठय़क्रमों में विशेष रूप से सफलता अर्जित करते हैं। पाठय़क्रम पूरा करने के बाद करियर के लिए विषय से जुड़ी अन्य जानकारी रखना तो अनिवार्य है ही, अपनी जानकारी को हमेशा अप-टू-डेट रखना भी जरूरी है। मसलन, पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में छाई ब्राउन हेज, मानसून से जुड़ी घटना, अल्नीनो, कैटरीना इफेक्ट आदि की जानकारी पाठय़क्रम की कामयाबी करियर के लिए जरूरी है।

अवसर
मौसम विज्ञान से जुड़े पाठय़क्रमों को पूरा करने के बाद नौकरी का ज्यादा बड़ा दायरा सरकारी क्षेत्र में ही है, क्योंकि मौसम-संबंधी सूचना जारी करने का सारा कामकाज सरकारी नियंतण्रमें है। करियर के लिहाज से निजी क्षेत्र में भी अब मौसम विशेषज्ञों को रखा जाने लगा है। निजी क्षेत्र की कुछ कंपनियां अपने स्तर पर मौसम-संबंधी जानकारी प्राप्त करने के लिए मौसम विशेषज्ञ को रखती हैं, विशेष रूप से पर्यटन और निर्माण के क्षेत्र की निजी कंपनियां। भारतीय मौसम विभाग में समय-समय पर मौसम की विविध शाखाओं से जुड़ी नियुक्तियों की मांग रहती है। इसके लिए संघ लोक सेवा आयोग राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षाएं आयोजित करता है। इनमें बीटेक (इलेक्ट्रॉनिक्स), एमएससी (भौतिकी/ इलेक्ट्रॉनिक), एमएससी (गणित) के विद्यार्थी आवेदन कर सकते हैं। इन नियुक्तियों के लिए मौसम विज्ञान से एमएससी करने वाले विद्यार्थी भी आवे दन कर सकते हैं।

No comments: