Saturday, May 14

अलगाव कि आशंका में जी रहे लोगों के लिए एक सबक है अनुराधा.

प्यार, दुलार और लगाव एक स्तर तक ठीक है लेकिन अलगाव की आशंका में अगर जीवन खतरे में पड़ जाये, ऐसा लगाव ठीक नहीं है. स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि किसी से भी उतना लगाव नहीं रखना चाहिए कि जब उससे अलग होना पड़े तो जीवन बोझ लगाने लगे. कम्पनी का बैलंस शीत तैयार्र करने वाली चार्टेड एकाउटेंट अनुराधा इस बात को नहीं समझ पाई. अलगाव कि आशंका में जी रहे लोगों के लिए एक सबक है अनुराधा.

आदमी का स्वभाव है जुड़ना और जोड़ना. आदमी कभी अकेला रहना नहीं चाहता है. क्यूंकि अकेलापन आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन है. इसी स्वभाव को समझते हुए इतिहास के पिता कहलाने वाले अरस्तु ने कहा कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. जोड़ने और जुड़े रहने की प्रव्रत्ति असुरक्षा की भावना से आती है. इसे हम सब शिद्दत से महसूस भी करते हैं. इस बात को गोस्वामी तुलसी दास ने भी अनुभव किया है. तभी उन्होंने रामचरित मानस में लिखा है ,'भय बिनु प्रीत न होई गोसाईं'.

आदमी का स्वभाव जुड़ने और जोड़ने की प्रव्रत्ति का एक दूसरा पहलु भी है. वह है अलगाव कि आशंका. अलगाव की आशंका जहाँ बलवती हुए नहीं की शुरू हो जाती है जोड़ने और जोड़े रहने की कवायद. आदमी यहीं मत खा जाता है और दूसरे के साथ जबरदस्ती करने लगता है. कहाँ तो जबरदस्ती कर रहे हैं जोड़ने की, लेकिन यहाँ उल्टा होने लग जाता है. वह समझ नहीं पता है कि जबरदस्ती का जुडाव अधिक दिनों का नहीं होता. मन मुटाव पैदा होने लगता है जो धीरे धीरे सम्बंदों में कटुता लाता है. इसी कटुता से रिश्ते दरकने लगते हैं और आहिस्ते आहिस्ते रिश्ते टूट जाते हैं. कहाँ तो चले तो रिश्ते सदा के लिए बरकरार रखने के लिए और आ पहुंचें अलगाव पर.
अलगाव जीवन में अवसाद भरता है. आदमी का सामाजिक दायरा सिमित कर देता है. सामाजिक दायरा ख़त्म होते ही आदमी एकाकी जीवन जीने लग जाता है ... और यह सब एक दिन जानलेवा साबित होता है.

नॉएडा के सेक्टर २९ में भी कुछ ऐसा ही हुआ है. दो बहनें आठ महीनों से खुद को अँधेरे में कैद कर ली थी. पुलिस की मदद से सामाजिक कार्यकर्त्ता दोनों बहनों अनुराधा और सोनाली को बाहर निकाला गया. दोनों की हालत बहुत ख़राब थी, कैलाश अस्पताल में भरती कराया गया. आठ महीनों से अँधेरे में कैद रहने वाली अनुराधा को डाक्टर मौत से बचा नहीं सके. दो दिन के उजाले में अनुराधा चल बसी. सोनाली उपचाराधीन है, हालत में सुधार है.

दोनों बहनें पढ़ी लिखी थी, अपना भला बूरा अच्छी तरह समझती थी. १९९२ में पिता की मौत और १९९५ में माता की मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया. खुद शादी नहीं की लेकिन छोटे भाई को पढाया और शादी कराई. शादी के बाद भाई बहनों से अलग रहना चाहने लगा, यहाँ तक की अलग हो गया. अलग होने की वजह भाई की पत्नी, संपत्ति या कुछ और ये अभी पता नहीं. लेकिन इतना तो तय है कि भाई के अलग होने के बाद अनुराधा खुद को अपने आप में सिमट गयी और खुद को दुनिया से सदा के लिए अलग कर लिया.

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