दुनिया १४ को वेलेंटाइन दे के रूप में मनायेगी... कोई लड़का लड़की को तो लड़की लड़की से तरह तरह के कसमे वादे करेंगे.... चाँद तारे तक तोड़ कर कदमो में रख देने की बात करेंगे... कुछ इस तरह से करीब और करीब जाने की कोशिश करेंगे। ... तारे तोड़ कर लाये न लाये, आज कल जिस तरह का दौर चल रहा है चंद दिनों में चाँद सी महबूबा या ख्याल रखने वाले महबूब को तोड़ कर जरूर रख दिया जाता है... वफाडारी कितनी निभेगी यह खर्च करने ही हिम्मत पर निर्भर है...
हाल देखा ही है हाई प्रोफाईल चंद्र मोहन और अनुराधा के हसरत को... आकर्षण कुछ समय बाद फीका पड़ने लगता है... रोटी चावल रोज खाने से हाजमा कभी खराब नही होता... चिक्केन तंदूरी रोज रोज खाने की चीज नही ये कैसे समझ में आयेगा लोगों को बिना हाजमा खराब हुए...
ऐसे दौर में लोग अगर वेलेंटाइन की याद में वी दे मनाता है तो नाइंसाफी है संत के साथ...
2 comments:
बहुत अच्छा लिखा है
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चाँद, बादल और शाम
Ki ho bhai roj-din mahboob ke charo ore na rahe se dimag garbar ho jatai na. ihe se prem mein izhar jaroori hai. Ab duniya ke kaun samjhaye ikra bina desh-duniya chalatai bhi na hyzoor.
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