‘लीक’ से बाजार बनाने का फंडा
इन दिनों नंदिता पुरी जो कि पेशे से पत्रकार व स्तंभकार हैं, चर्चा में हैं। मुद्दा है उनकी पुस्तक ‘अनलाइकली हीरो : द स्टोरी ऑफ आ॓मपुरी’ के कुछ अंश के लीक हो जाने का। मामला महज पुस्तक के अंश के लीक होने का होता तो शायद यह जबरन विवाद न खड़ा किया जाता। मामला पुस्तक के हीरो तथा लेखिका के संबंध का भी है, दोनों पति-पत्नी हैं। यहां यह भी सवाल खड़ा होता है कि क्या ए ेसा हो सकता है कि प्रकाशक पुस्तक के कुछ अंश लीक करें और लेखक को इसका भान तक हो ही ना। संभवत विवाद के रूप में ही सही मार्केटिंग के लिए उन्होंने अपनी आने वाली पुस्तक ‘अनलाइकली हीरो : द स्टोरी ऑफ आ॓मपुरी’ के कुछ अंश को लीक करवाया! मामला गरमाने के लिए पुस्तक वह अंश लीक किए गए जो आ॓मपुरी की निजी जिदंगी से जुड़ा है। फिलहाल पुस्तक के अंश लीक किए गए हो या करवाए गए हों, लोकप्रिय होने का यह कृत्य काफी सस्ता और भद्दा है।
गौरतलब है कि नंदिता पुरी की यह पुस्तक जिसमें उन्होंने अपने पति की नितांत निजी जिंदगी को ‘सत्य’ घटनाओं का लिबास पहनाया है, का 22 नवम्बर को दिल्ली के एक पंच सितारा होटल में विमोचन होना है वह भी मानव संसाधन विकास मंत्री कपिला सिब्बल के हाथों। यह भी संभव है कि सिब्बल अपनी गंभीर आवाज में पुस्तक के कुछ अंशों का पाठ भी करें। पुस्तक में नंदिता ने लिखा कि 14 साल की उम्र में आ॓म ने अपने से चौगुनी उम्र 55 साल की आया के साथ शारीरिक संबंध बनाए । इसके बाद ए क के बाद ए क कई लड़कियों से इनके संबंध रहे। हालांकि पुस्तक के रिलीज होने से पहले ही ‘लीक’ से हटकर लीक होने से आ॓मपुरी काफी नाराज हैं, पुस्तक के प्रकाशक और पत्नी दोनों से। आ॓मपुरी ने कहा कि किताब प्रकाशित होने से पहले सिर्फ वहीं हिस्से लीक हुए जो उनकी सेक्सुअल लाइफ से जुड़े हैं। नंदिता पुरी ने इस हिस्से पर कहा कि किताब आ॓मपुरी की जिंदगी पर है न कि पॉनोग्राफी पर। आ॓म भी इंसान हैं। आम लोगों की तरह उनसे भी गलतियां हुईं। उन गलतियां का उसमें जिक्र है। उनके सेक्सुअल ए क्सपीरियंस उनके जीवन का हिस्सा है, इसीलिए उसे किताब में जगह दी गई है।
नंदिता लाख सफाई में कहें कि पति की कहानी के माध्यम से भारतीय सिनेमा के बृहद परिदृश्य को प्रस्तुत करने की कोशिश की है। इसे इसी रूप में देखा जाना चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार जयप्रकाश चोकसे ने बहुत सही लिखा है कि ‘बतौर पत्रकार व स्तंभकार पुस्तक की लेखिका नंदिता के लिए सत्य की तलाश और अभिव्यक्ति के अलावा कुछ नहीं है। लेकिन यह समझना बहुत जरूरी है, सत्य हमेशा मासूम की रक्षा या सबके भले के लिए बोला जाता है’। नंदिता ने तो सफल और अमीर पति के रूतबे का फायदा उठाया। आ॓मपुरी को बली का बकरा बनाकर उनके शयनकक्ष की अनेक घटनाओं को सार्वजनिक कर दिया। पिछले 35 सालों से आ॓मपुरी फिल्म उघोग में हैं। सैकड़ों लोगों के साथ उन्हें काम करने का मौका मिला। इस दौरान उनका किसी महिला साथी से प्रेम प्रकरण सामने नहीं आया। उनके सदाचार के गुण पर उघोग फिदा है। आ॓मपुरी फिल्म ‘अर्द्धसत्य’ से चमके हैं। उस फिल्म के फिल्मकार गोविंद निहलानी ने कहा है कि आ॓मपुरी सदाचारी व्यक्ति हैं। पुस्तक रिलीज होने से पहले इस खुलासे से प्रकाशक और लेखिका को जहां कुछ तात्कालिक लाभ मिल सकता है वहीं दूसरे की जिन्दगी में ताक-झांक करने वालों, कुंठित भावनाओं पर चर्चा करने वालों को मसाला।
जसवंत सिंह की पुस्तक ‘जिन्ना : भारत, विभाजन और आजादी’ के साथ भी कुछ एेसा ही हुआ। पुस्तक प्रकाशित होने से पहले जिन्ना और विभाजन तो इतनी तूल दी गई कि पुस्तक बाजार में आते ही हाथों हाथ बिक गई। देश की राजनीति में इस पुस्तक से भूचाल आ गया। पाठकों को इस पुस्तक से कुछ नया हासिल नहीं हुआ। सारी चीजें पहले से ही प्रकाशित हो चुकी थीं। बाजार में पकड़ बनाने के लिए ए क नया चलन हो गया। पहले पुस्तक के विवादित हिस्से को लीक करो, फिर पुस्तक को बाजार में लाआ॓। जिन्ना मुद्दे पर पुस्तक के लेखक को बाद काफी कुछ सहना पड़ रहा है। ईश्वर न करे नंदिता के साथ कुछ अप्रिय घटित हो, क्योंकि नंदिता पुरी ने वह काम किया है जो आमतौर पर पत्नी अलगाव व तलाक के बाद करती हैं! उम्मीद जताई जा रही है कि इस पुस्तक के विमोचन पर आ॓मपुरी लेखिका नंदिता के साथ मौजूद रहेंगे।