Saturday, November 20

उम्र एक संख्या के अलावा कुछ भी नहीं

 जीवन का एक और बेहतरीन वर्ष जी लिया मैंने. यह पड़ाव गणित की गिनती से ज्यादा कुछ नहीं है. गणित की दृष्टि से जीवन का यह वसंत वर्ष एक अभाज्य संख्या है और ये अभाज्य संख्या जिस स्थान पर मौजूद है, उस क्रम का क्रमांक भी अभाज्य ही है. यह मेरे जीवन का दुर्लभ संयोग ही है. इस क्रम संख्या पर एक मान्यता बनी हुई है. उस मान्यता की महिमा इतनी है कि आधुनिक और विकसित उपनगरीय शहर चंडीगढ़ और नोएडा में इस संख्या का सेक्टर बसाया ही नहीं गया. 


मेरे जीवन का ये वसंतोत्सव की उम्र के स्थान पर रसायन विज्ञान की दुनिया में, एक ऐसे दुर्लभ तत्व मौजूद है, जिसका नाम है नायोबियम. यह दुर्लभ, मुलायम और भूरे रंग का तत्व है, जो कि पाइरोक्लोर और कोलम्बाइट नामक खनिजों में ही पाया जाता है. इसका उपयोग तीव्र गति से बिजली पहुंचाने वाली तार बनाने में किया जाता है. इस्पात और मिश्रित धातु बनाने में भी नायोबियम का इस्तेमाल होता है. ईश्वर से मेरी प्रार्थना है कि द्रुत गति से चपल चंचला की तरह मैं भी उस मंजिल तक पहुंच सकूं, मैं जिस राह पर चलने की कोशिश में हूं, उसे जयशंकर प्रसाद ने वर्षों पहले शब्दों में पिरो चुके हैं. उन्होंने लिखा है - इस पथ का उद्देश्य नहीं है/ श्रान्त भवन में टिक जाना/ किन्तु पहुंचना उस सीमा तक/ जिसके आगे राह नहीं है.


दुनिया क्या कहती है, इस पर कभी गौर नहीं किया मैंने. मुझे इस पर कभी गौर करना भी नहीं है. दुनिया की बातों के लिए मैंने अपने कान बंद कर लिए हैं लेकिन कुछ जिम्मेदारी है मेरे कंधों पर, जिसे मुझे ही पूरा करना है. बस ये जिम्मेदारी ही है जो अनुशासन में रहने के लिए मुझे प्रेरित करता है. एक सुंदर मुस्कान लिए इंतजार की आंखें हैं तो एक अल्हड़ खिलखिलाहट लिए नन्हें हाथ हैं, जो हमेशा यह अहसास दिलाता है कि दुनिया चाहे जितनी बड़ी हो, उनकी दुनिया मेरी सांसों से है. हे महादेव, मुझे बस साहस, ताकत, उत्साह दीजिए, झंझावतों के बोझ से मुक्ति का मार्ग दिखलाइए. हे त्रिकालदर्शी, आपकी अनुकंपा से हर दूरी और हर धूरी नापने के लिए तैयार हूं. आपकी कृपा रहे तो ये जन्म वसंत और उम्र संख्या के अलावा कुछ भी नहीं है.

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