लगभग दो महीने बाद मेट्रो दिल्ली से सफर करने का मौका मिला। मेरे हाथ में मेल टुडे अख़बार था। अखबार के पहले पन्ने पर बर्खास्त उपमुख्यमंत्री चन्द्रमोहन की तस्बीर छपी थी, साथ में उसकी दुसरी पत्नी अनुराधा थी। देखते ही एक युवक ने कहा देखो मीडिया वालों ने इसे हीरो बना दिया...
मैं मानता हूँ की चंद्र मोहन हीरो है। बहुत कम लोग ऐसे हुए है जिन्होंने शादी के बाद के सम्बंदों को स्वीकार है... इन्होने तो रिश्ते को नाम दिया है। हरियाणा जैसे राज्यों में जहाँ पंचायतों की इतनी चलती है की पूछो मत, पति पत्नी को पलक झपकते ही भाई-बहन बना देते है।
मैं किसी एक राजनितिक पार्टी की बात न भी करू तो भी आज हर कोई जानता है की नारायण दत्ता तिवारी को कोर्ट में घसीटा जा रहा है केवल इसलिए ताकि वो जवानी के दिनों में की गयी गलतियों को नाम दें... कोर्ट का फैसला क्या आएगा वो तो भविष्य के गर्त में है... जो सामने दिख रहा है वो यही है की एक औरत हक़ मांग रही है अपने बेटे के लिए... अपने लिए नही...
चंद्र मोहन ने भी अपने भाई कुलदीप बिश्नोई पर आरोप लगाये है की वो पब में किसी औरत के साथ होते है... चूँकि यह आरोप एक भाई ने भाई पर लगाया है तो यह तय है की कुलदीप के साथ पब में जाने वाला कुलदीप की पत्नी तो नही ही होगी और आरोप में कुछ न कुछ सच्चाई जरूर होगी...
चादर मोहन वैसे वी पहले नही है देश में जिन्होंने दूसरी शादी की है... धर्मेन्द्र, किशोर कुमार, रामविलाश पासवान, सलीम खान, पौतोदी के नबाब, बोनी कपूर, अजहरुद्दीन, फेरहिस्त काफी लम्बी है... उनका गुनाह बश इतना है की वो हरियाणा में पैदा हुए...
7 comments:
जो गलत है वह न तो कानूनी रूप से सही होने से सही ठहराया जा सकता है और न बडे लोगों द्वारा किए जाने से . सीधी सी बात है किसी का दिल दुखा तो पाप हुआ है . सभी परिस्थितियों से एक जैसा निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता . बाकी सबकी अपनी अपनी मर्जी है .
चंद्रमोहन का काम इतना गलत भी नहीं...उनकी पत्नी और बच्चों का पक्ष जरूर संवेदनशीलता से समझे जाने की मांग करता है, लेकिन पति-पत्नी का अलग हो जाना पहली बार नहीं हुआ है...लेकिन हरियाणा में एक राजनेता ने जो मिसाल दी है...वह वहां के समाज के लिहाज से खासतौर पर अहम है.
गुनाह की लोगों की अलग-अलग परिभाषाएं हें. यह चाँद और उनके पहले और नए परिवार का अंदरूनी मामला है. अगर यह सही कदम है तो धर्म बदलने की जरूरत क्यों, और अगर ग़लत है तो क्या धर्म बदलने से सही हो जायेगा? इस्लाम का ऐसा सदुपयोग या दुरूपयोग कितना सही है? यह कुछ मुद्दे हें जिन पर विचार किया जाना चाहिए.
मैं तो यह समझता हूँ कि गुनाह वे लोग कर रहे हैं जो कोई अनैतिक कार्य नहीं कर रहे हैं या जो कानून की खामियों का कोई नाजायज लाभ नहीं उठातें।
दीपक जी।
आपने जो फेहरिस्त पेश की है उसके दूसरे पक्ष की ओर कभी ध्यान गया है। कभी सोचा है कि जिन्हें त्याग कर इन सक्षमों ने अपनी कामनाओं की पूर्ती की है उन बेबसों पर क्या बीती होगी।
lage raho
Paksha-vipaksha ka gyan to magar itna jaroor kahana chahunga ki "Mohabbat mein chandramohan duba to kya duba bade-bade lut gaye"
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