Friday, February 13
Wednesday, February 11
नैनों के लिए इंतज़ार कर लो शानदार सवारी कहने के खातिर
२००७ में रतन टाटा ने जब विश्व की सबसे सस्ती कार की बात की तो लोगों ने काफी मज़ाक बनाया था पेपर में कार्टून बना कर... अब नैनों से भीखारी सड़क पर भीख मांगता दिखेगा। कहीं ये लिखा गया की शहरों में ट्रैफिक अभी ही बहुत है... नैनो आने के बाद पार्किंग की मुसीबत खड़ी होगी।
अपने जिद पर कायम रहने वाले रतन टाटा के जन्म दिन पर उनकी कंपनी हर विरोध का सामना करते हुए सबसे पहले ३००० कार लौंच कर रही है... लेकिन इसमे आम आदमी को नही दिया जा रहा है... केवल सेलिब्रिटी को मिल रहा है। सबसे पहले देश की पहली नागरिक रास्त्रपति पाटिल को मिलेगी नैनो...
लोग जो भी कहें इस कदम को मुझे लगता है यह कदम भी आम आदमी के लिए हितकर ही है, आप कुछ भी खरीदतें है तो इनता जरूर ध्यान रखते है की उससे थोड़ा सा ही सही शान बढे, कमी न हो।
रास्त्रपति, सचिन तेंदुलकर, सानिया मिर्जा, धोनी जैसे लोगों के पास नैनो होता है उसके बाद आम आदमी इसे खरीदेगे तो यही नैनो शान की सवारी होगी जिसे लोग कभी भिखारी के लिए तमगा दे गए...
Tuesday, February 10
चलते चलते
दुनिया १४ को वेलेंटाइन दे के रूप में मनायेगी... कोई लड़का लड़की को तो लड़की लड़की से तरह तरह के कसमे वादे करेंगे.... चाँद तारे तक तोड़ कर कदमो में रख देने की बात करेंगे... कुछ इस तरह से करीब और करीब जाने की कोशिश करेंगे। ... तारे तोड़ कर लाये न लाये, आज कल जिस तरह का दौर चल रहा है चंद दिनों में चाँद सी महबूबा या ख्याल रखने वाले महबूब को तोड़ कर जरूर रख दिया जाता है... वफाडारी कितनी निभेगी यह खर्च करने ही हिम्मत पर निर्भर है...
हाल देखा ही है हाई प्रोफाईल चंद्र मोहन और अनुराधा के हसरत को... आकर्षण कुछ समय बाद फीका पड़ने लगता है... रोटी चावल रोज खाने से हाजमा कभी खराब नही होता... चिक्केन तंदूरी रोज रोज खाने की चीज नही ये कैसे समझ में आयेगा लोगों को बिना हाजमा खराब हुए...
ऐसे दौर में लोग अगर वेलेंटाइन की याद में वी दे मनाता है तो नाइंसाफी है संत के साथ...
हाल देखा ही है हाई प्रोफाईल चंद्र मोहन और अनुराधा के हसरत को... आकर्षण कुछ समय बाद फीका पड़ने लगता है... रोटी चावल रोज खाने से हाजमा कभी खराब नही होता... चिक्केन तंदूरी रोज रोज खाने की चीज नही ये कैसे समझ में आयेगा लोगों को बिना हाजमा खराब हुए...
ऐसे दौर में लोग अगर वेलेंटाइन की याद में वी दे मनाता है तो नाइंसाफी है संत के साथ...
Sunday, February 8
लंबे अन्तराल के bad
एक लंबे अन्तराल के बाद फिर से ब्लॉग पर कुछ लिखने का मन किया है। आख़िर ईश्वरीय इच्छा को कब तक नाकारा जाए... देर सबेर स्वीकार करना ही कि १३ दिसम्बर की सुबह पापा मुझसे रूठ कर सदा के लिए एक अंतहीन यात्रा पर चले गए... जहाँ से कोई अब तक लौट कर न आया है और न आएगा... मेरे पापा कैसे लौट सकते हैं...
ईश्वरीय इच्छा के कड़वी सच्चाई को स्वीकार करना पड़ ही रहा है... सदमे के इस दौर में मेरे ऑफिस के मित्रों ने और ऑफिस के मेनेजमेंट जो सहयोग दिया उसके लिए सदैव आभारी रहेंगे यह कहने की जरूरत नही है।
हर किसी ने मेरे भावनाओ का ख्याल रखा है...
हर किसी का मैं धन्यवाद करना चाहता हूँ जिसने थोड़ा सा भी मेरे भावनाओ को समझा है...
मेरा स्वभाव सहयोग करने की बना रहे... यह प्रभू से पार्थना करता हूँ...
ईश्वरीय इच्छा के कड़वी सच्चाई को स्वीकार करना पड़ ही रहा है... सदमे के इस दौर में मेरे ऑफिस के मित्रों ने और ऑफिस के मेनेजमेंट जो सहयोग दिया उसके लिए सदैव आभारी रहेंगे यह कहने की जरूरत नही है।
हर किसी ने मेरे भावनाओ का ख्याल रखा है...
हर किसी का मैं धन्यवाद करना चाहता हूँ जिसने थोड़ा सा भी मेरे भावनाओ को समझा है...
मेरा स्वभाव सहयोग करने की बना रहे... यह प्रभू से पार्थना करता हूँ...
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