आन पड़ी है प्रोब्लम भास्ट
अपनी लवली कंट्री में
खाकी खोज रहा है हड्डी
लीडर मगन इलेक्शन में
शुरू हुआ इलेक्शन का खेल
सकसेस होगा तो कोई फेल
मिल रहा है सुनने को भाषण
दे रहा है अनेक आश्वासन
झूठे वादों से भर गया है कान
ऊब गया है मन
देती नहीं पब्लिक इसीलिए
लीडरों के स्टेटमेंट पर ध्यान
निकला था लालू का जिन्न
फर्जी मतपेटी व मतपत्र के रूप में
कह रहा है चुनाव आयोग
झूठा है ये सब आरोप
रिपोर्टरों के बीच किया
कृष्णामूर्ति ने किया खंडन
मत लगाया करो
चुनाव प्रक्रिया पर आरोप
सिद्ध करे इलेक्शन आयोग
पुर्नावालोकन अपनी प्रक्रिया से
बचा है क्या ये
घोटाले के चपेट से?
- इस कविता को मैंने तब लिखा जब लालू प्रसाद यादव बिहार की मुख्यमंत्री थे।
दीपक राजा
3 comments:
bahut ache...
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