Friday, May 30

गीत गाया मच्छरों ने

आकर मेरे कानों में, गीत गाया मच्छरों ने।
नीन्द नहीं आंखों में, जब गीत गाया मच्छरों ने॥

ज़ाड़ा, गर्मी या हो बरसात, हरदम रहता इसका साथ।
बारहां जगाये रातों में, जब गीत गाया मच्छरों ने॥
दुनिया का विचित्र संयोग, डरते छोटे से सब लोग।
छिपते फिरते जालों मे जब गीत गया मच्छरों ने॥
बच्चे बुडे और जवान करते रहते हरदम काम।
परेशां रहे दिनों में, जब गीत गाया मच्छरों ने॥
फट फट की आवाज़ कराये बेकारों को काम दिलाये।
घिरे मौत के साए में जब गीत गाया मच्छरों ने॥

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