जब भी आप परिवार होते हैं
जिम्मेवार होते हैं
आप रोते नहीं
तकदीर पर
करते हैं भरोसा
हाथ पर।
अब कोई
तुल जाए
काटने को हाथ...
तो ...
उसका साथ
छोड़ना बेहतर।
अकेलापन
भले ही
कुछ दिन के लिए
जीवन को
कर जाएगा
... और बदतर।
मगर
कड़ी धूप और
भरी बरसात में
जिसके भी नहीं कांपेंगे पांव
उसे ही मिलना है
जीवन की छांव।
-दीपक राजा
जिम्मेवार होते हैं
आप रोते नहीं
तकदीर पर
करते हैं भरोसा
हाथ पर।
अब कोई
तुल जाए
काटने को हाथ...
तो ...
उसका साथ
छोड़ना बेहतर।
अकेलापन
भले ही
कुछ दिन के लिए
जीवन को
कर जाएगा
... और बदतर।
मगर
कड़ी धूप और
भरी बरसात में
जिसके भी नहीं कांपेंगे पांव
उसे ही मिलना है
जीवन की छांव।
-दीपक राजा
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