कालाधन, भ्रष्टाचार, अपराध और जाली नोट पर प्रहार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी का फैसला लिया। इससे देशभर में उत्साह का माहौल है। हालांकि देश की जनता को थोड़ी दिक्कत हो रही है। फिर भी कठिनाइयों के बीच लोग एक-दूसरे की सहायता से सामंजस्य बना रहे हैं। इसके बीच राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे को लेकर संसद की शीतकालीन सत्र को चलने नहीं दे रहे हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने राज्यसभा में बयान दिया कि विमुद्रीकरण से पूरे विश्व में भारत के प्रति एक गलत संदेश गया कि हिन्दुस्तान की इकोनॉमी कालेधन पर टिकी हुई है। कालाबाजारी और अपराध करने वाले लोग हिन्दुस्तान की इकोनॉमी चलाते हैं। अब आनंद शर्मा को कैसे समझाया जाए कि दुनिया राजनेताओं के बयान से नहीं विश्व की विभिन्न एजेंसियों की रैकिंग और अपने अनुभव के आधार पर देश की अर्थव्यवस्था को आंकती है।
आनंद शर्मा शायद भूल गए कि अभी हाल में ही वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने एक रिपोर्ट जारी की है। उसके मुताबिक वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूचकांक में भारत की रैंकिंग में जबरदस्त इजाफा हुआ है। ग्रेजी अखबार इकोनॉमिक टाइम्स ने इस रिपोर्ट को छापा है। पूरी रिपोर्ट में कुल 139 देश हैं जिसमें भारत 16 पायदान चढ़कर 39वें स्थान पर पहुंच गया है।
वैश्विक लैंगिक असमानता सूचकांक में भारत की रैंकिंग में 21 पायदान सुधार होकर 87वें स्थान पर पहुंच गया है। इसके साथ ही महिला और पुरूष के बीच असमानता में दो फीसदी की कमी कमी आई है। बिजली कनेक्शन मुहैया कराने वाले देशों की रैंकिंग में 70वें से बढ़कर 26वें स्थान पर है।
आनंद शर्मा जी आप तो विदेश राज्यमंत्री रह चुके हैं। इसके बाद भी संसद में इस तरह का बयान देना आपको शोभा नहीं देता है। कभी-कभी लगता है इसमें अकेले दोष आपका नहीं है। दरअसल कुछ लोहा का दोष होता है तो कुछ लोहार का भी होता है। आप तो उस नेतृत्व में काम कर रहे हैं जो यूपी में आलू की फैक्टरी लगाने की बात करते हैं।
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