ये हादसों का शहर है
हादसें होते रहेंगे
हम गिरेंगे, मरेंगे,
रक्तबीज बन संभलते रहेंगे
रेड सिग्नल होते ही
सड़क के बीचोबीच
रोटी के लिए
करतब करते मरते रहेंगे
हमारी संवेदना बन एसएमएस
टीवी पर चीखते चिथड़े देख
खाते पनीर के टिक्के
भूखे तो मरते रहेंगे
घर का कुत्ता
है नौकर से प्यारा
घर के सर्कस में
जोकर बनते रहेंगे
ये हादसों का शहर है
होते रहेंगे
मर मर के जीते की आदत है हमको
आर या पार की धमकी देते रहेंगे
1 comment:
अफसोसजन..दुखद...निन्दनीय घटना!!
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