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Friday, February 3

'देश राग" नाम से देशभक्ति संगीत प्रतियोगिता का आयोजन

'देश राग" नाम से देशभक्ति संगीत प्रतियोगिता का आयोजन
  • रिकॉर्डेड कृति को ऑनलाइन जमा कराने की आखिरी तारिख 28 फरवरी 2012
  • चयनित पांच कलाकारों की कृति को एक एलबम का रूप दिया जाएगा
  • देशराग के विजयी कलाकार का लाइव परफॉर्म भारत-पाकिस्तान सीमा बाघा बोर्डर पर
लोक सेवा संचार परिषद् द्वारा निर्मित आैर दूरदर्शन द्वारा प्रचारित 1988 में बने 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' गीत ने पूरे भारत देश को एक तार में बांध दिया था। देश के हर कोने में इस गीत की गूंज थी क्योंकि इसमें चौदह भारतीय भाषाओं का प्रयोग किया गया था। वह गीत आज भी कभी दूरदर्शन पर प्रसारित होता है तो मन प्रसन्न हो जाता है।
भारत अब एक आजाद मुल्क है आैर इसलिए अब वतनपरस्ती के मायने बदल चुके हैं। आज गुलामी हमारी समस्या नहीं है लेकिन आज भी हम बहुत सी समस्याओं से घिरे हुए हैं, जिससे पार पाने के लिए रोज संघर्षरत हैं। संघर्षरत रहने के लिए जोश आैर उत्साह बनाए रखने में गीत संगीत का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। देश को आज भी बहुत से 'मिले सुर मेरा तुम्हारा", 'वंदे मातरम" सरीखे देशभक्ति गीतों की जरूरत है।
ऐसे ही देशभक्ति गीत आैर संगीत की खोज के लिए रक्षक फाउंडेशन 'देश राग" नाम से देशभक्ति संगीत प्रतियोगिता का आयोजन कर रही है। इस प्रतियोगिता की साहित्य सहयोगी संस्था कविता कोष है।
देश राग प्रतियोगिता के माध्यम से विश्वभर के भारतीय कलाकारों को आमंत्रित कर रहा है कि वे अपने संगीत साधना से देशभक्ति का एक ऐसा गीत रचें जो भारतीय जनमानस को छू जाए आैर उन्हें देश के लिए कुछ कर गुजरने को प्रेरित करें।
इस प्रतियोगिता में आपको पूरा गीत भेजना होगा जिसमें लेखन, संगीत आैर गायन सभी कुछ प्रतियोगी को ही करना है।
यानि देशभक्ति पर आधारित स्वलिखित गीत को खुद की बनाई धुन पर वाद्ययंत्रों के साथ अपनी ही आवाज में गायन करना है। इसमें व्यक्तिगत तौर पर या बैंड (कई कलाकारों के समूह) के तौर पर हिस्सा लिया जा सकता है।
प्रतियोगिता में भाग लेने के इच्छुक व्यक्तिगत गीतकार, गायक या संगीतकार प्रतियोगिता के नौर्म को पूरा करने के लिए कई कलाकारों के समूह यानि बैंड बनाकर भाग ले सकते हैं।
प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करने आैर अपनी रिकॉर्डेड कृति को ऑनलाइन जमा कराने की आखिरी तारिख 28 फरवरी 2012 है। इसके बाद एक मार्च से 15 मार्च तक के बीच ऑनलाइन जमा कराए गए रिकॉर्डेड कृति पर निर्णायक मंडल विचार करेंगे। निर्णायक मंडल द्वारा चुने गए अंतिम पांच कृति के कलाकारों की घोषणा 15 मार्च को वेबसाइट पर की जाएगी आैर घोषित कलाकारों को इसकी सूचना व्यक्तिगत तौर पर दी जाएगी।
चयनित पांच कलाकारों की कृति को एक एलबम का रूप दिया जाएगा। इसके लिए 16 मार्च से 31 मार्च के बीच रिकॉर्डिंग टाइम स्लॉट निर्धारित किया जाएगा। एलबम तैयार होने के बाद पांच अप्रैल 2012 को अंतिम पांच प्रतिभागियो में देशराग के विजयी कलाकारों की घोषणा की जाएगी। विजयी कलाकार का लाइव परफॉर्म भारत-पाकिस्तान सीमा बाघा बोर्डर पर किया जाएगा। इस परफार्म में जाने माने कलाकार देशराग के विजयी कलाकार के साथ सुर में सुर मिलाएंगे।
अधिक जानकारी के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट देशराग डॉट ओआरजी वेबसाइट को खंगाला जा सकता है।
  • रिकॉर्डेड कृति को ऑनलाइन जमा कराने की आखिरी तारिख 28 फरवरी 2012
  • चयनित पांच कलाकारों की कृति को एक एलबम का रूप दिया जाएगा
  • देशराग के विजयी कलाकार का लाइव परफॉर्म भारत-पाकिस्तान सीमा बाघा बोर्डर पर
लोक सेवा संचार परिषद् द्वारा निर्मित आैर दूरदर्शन द्वारा प्रचारित 1988 में बने 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' गीत ने पूरे भारत देश को एक तार में बांध दिया था। देश के हर कोने में इस गीत की गूंज थी क्योंकि इसमें चौदह भारतीय भाषाओं का प्रयोग किया गया था। वह गीत आज भी कभी दूरदर्शन पर प्रसारित होता है तो मन प्रसन्न हो जाता है।
भारत अब एक आजाद मुल्क है आैर इसलिए अब वतनपरस्ती के मायने बदल चुके हैं। आज गुलामी हमारी समस्या नहीं है लेकिन आज भी हम बहुत सी समस्याओं से घिरे हुए हैं, जिससे पार पाने के लिए रोज संघर्षरत हैं। संघर्षरत रहने के लिए जोश आैर उत्साह बनाए रखने में गीत संगीत का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। देश को आज भी बहुत से 'मिले सुर मेरा तुम्हारा", 'वंदे मातरम" सरीखे देशभक्ति गीतों की जरूरत है।
ऐसे ही देशभक्ति गीत आैर संगीत की खोज के लिए रक्षक फाउंडेशन 'देश राग" नाम से देशभक्ति संगीत प्रतियोगिता का आयोजन कर रही है। इस प्रतियोगिता की साहित्य सहयोगी संस्था कविता कोष है।
देश राग प्रतियोगिता के माध्यम से विश्वभर के भारतीय कलाकारों को आमंत्रित कर रहा है कि वे अपने संगीत साधना से देशभक्ति का एक ऐसा गीत रचें जो भारतीय जनमानस को छू जाए आैर उन्हें देश के लिए कुछ कर गुजरने को प्रेरित करें।
इस प्रतियोगिता में आपको पूरा गीत भेजना होगा जिसमें लेखन, संगीत आैर गायन सभी कुछ प्रतियोगी को ही करना है।
यानि देशभक्ति पर आधारित स्वलिखित गीत को खुद की बनाई धुन पर वाद्ययंत्रों के साथ अपनी ही आवाज में गायन करना है। इसमें व्यक्तिगत तौर पर या बैंड (कई कलाकारों के समूह) के तौर पर हिस्सा लिया जा सकता है।
प्रतियोगिता में भाग लेने के इच्छुक व्यक्तिगत गीतकार, गायक या संगीतकार प्रतियोगिता के नौर्म को पूरा करने के लिए कई कलाकारों के समूह यानि बैंड बनाकर भाग ले सकते हैं।
प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करने आैर अपनी रिकॉर्डेड कृति को ऑनलाइन जमा कराने की आखिरी तारिख 28 फरवरी 2012 है। इसके बाद एक मार्च से 15 मार्च तक के बीच ऑनलाइन जमा कराए गए रिकॉर्डेड कृति पर निर्णायक मंडल विचार करेंगे। निर्णायक मंडल द्वारा चुने गए अंतिम पांच कृति के कलाकारों की घोषणा 15 मार्च को वेबसाइट पर की जाएगी आैर घोषित कलाकारों को इसकी सूचना व्यक्तिगत तौर पर दी जाएगी।
चयनित पांच कलाकारों की कृति को एक एलबम का रूप दिया जाएगा। इसके लिए 16 मार्च से 31 मार्च के बीच रिकॉर्डिंग टाइम स्लॉट निर्धारित किया जाएगा। एलबम तैयार होने के बाद पांच अप्रैल 2012 को अंतिम पांच प्रतिभागियो में देशराग के विजयी कलाकारों की घोषणा की जाएगी। विजयी कलाकार का लाइव परफॉर्म भारत-पाकिस्तान सीमा बाघा बोर्डर पर किया जाएगा। इस परफार्म में जाने माने कलाकार देशराग के विजयी कलाकार के साथ सुर में सुर मिलाएंगे।
अधिक जानकारी के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट देशराग डॉट ओआरजी वेबसाइट को खंगाला जा सकता है।

Monday, September 29

बातों बात में...

जिसे देखो वही पुरानी चीजों को छोड़ कर नए की और दौड़ रहा है। इस दौड़ में काफी कुछ पीछे छुट रहा है इस और कोई ध्यान दे नही पा रहा है, ध्यान नही दे रहा है। यह कहने से पहले ख़ुद को भी देखना पड़ेगा... हम क्या कर रहे हैं।

भाग दौड़ भरी जिन्दगी में लोग कितने भुलाने लागे है अपने को यह अनुभव मुझे आज हो रहा है। अच्छे दोस्तों में एक दोस्त है दीपक रामकृष्ण। कल २८ को जन्मदिन था, मैं उसे विस नही कर पाया, कड़े शब्दों कहें तो भूल गया। याद आया अभी, एक दिन बाद... अब जन्मदिन की बधाई देने में डर लग रहा है।

वह दोस्त जिसके साथ मैंने कॉलेज की जिन्दगी बिताई है, उसे भूल गया। वो भी तब जब कॉलेज के जिन्दगी मैंने ही कभी जिन्दगी के दौड़ का क़दम ताल कहता था। मैंने कभी भगत सिंह को देखा नही और न ही भगत सिंह के बारे में लोगो के मुख से सुना... कुछ सुना भी तो ये... टूटी फूटी शब्दों में याद है... मत धारण करना काया फिर से भारतवासी, देशभक्ती में मिलता है फांसी...

एक बात और याद है... शहीदों की मजार पर, कोई फूल चढाये क्यों, ईंटे उठा कर ले गए, कार में रखने के लिए...
ऐसे में भगत सिंह को पुरी तरह भूल गया नयी पीढी तो क्या करें... नयी पीढी को चाहिए लेटेस्ट मोबाइल, लैपटॉप, मुल्तिप्लेक्स में लड़की का साथ... इसके लिए भगत सिंह आदर्श नही हो सकते हैं।

...वो तो भला हो टीवी वाले का की नौजवानों को लता दीदी की याद दिला दी जैसे ११ अक्टूबर को अमिताभ की याद दिलाएंगे जेपी को भूल कर। जेपी का मतलब जय प्रकाश से लेना भाई जिन्होंने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था। जेपी का मतलब यूपी के कंपनी से बिलकुल मत लेना।

जेपी को याद भी लोग क्यों रखे देखिये जेपी के भक्तों को कल तक कांग्रेस का विरोध करते थे, आज सत्ता की मलाई खा रहे है, लोहिया के लोग भी इसमे पीछे नहीं हैं। ऐसे दौर में नयी पीढी नए व्यक्तित्व की और देख रहा है जो जीवित हैं, अच्छी बात ये है की नए पीढी में अरविन्द केजरीवाल जैसे लोग भी हैं.

Tuesday, July 15

आजाद होना बांकी है

कैसे मनाऊँ आजादी, अभी आजाद होना बांकी है।
अभी आजाद होना बांकी है॥

रूठने को तैयार पूर्वांचल
कटने को तैयार कश्मीर
हर तरफ है मुह फैलाया
सांपो का जंजाल यहाँ
कितने है अभी भूखे नंगे
उसे पुरा करना बांकी है।
कैसे...

लूटती है हर रोज
यहाँ सेक्रों पायल
कितने ही दुल्हन की चुरियाँ
होती है रोज घायल
गिरते पड़ते लोगो को
सुरक्छा देना बांकी है।
कैसे...

फैल गया है समाज में
धर्म और मजहब की बात
राजनीती में भी आ गया
जाती और वंशवाद
इन सभी को अभी
उखाड़ फेकना बांकी है।
कैसे...

दोस्ताने व्यव्हार ने दी
कारगिल की चढ़ईया
झेली है हमने
एक दसक में तीन लाधाईयाँ
कितनी लाधाईयाँ अभी
और झेलना बांकी है।
कैसे...

कारवां गुजर गया
साथ हो के विदेशी
साथ लेकर अब चलें
हर चीज स्वदेशी
काम करना है अभी
जो पुरा करना बांकी है।
फीर मनाएंगे पूर्ण आजादी
अभी आजाद होना बांकी है
अभी आजाद होना बांकी है...

Wednesday, July 2

कौन रखेगा याद उसे

कौन रखेगा याद उसे
जो काजल से भी अंधेरी रातों में
सूर्य की चिलचिलाती धूप में
बर्फीली और हिमवृष्टी में भी
सुदृढ़ आँख जमाये रहता है।

कौन रखेगा याद उसे
जो रिश्ते और नातों से उठकर
साधारण सी दिखने वाली
तिरंगे के लिए हमेशा
मिटते को तैयार रहता है।

कौन रखेगा याद उसे
दुनियादारी को भुलाकर
अपना शोक को मिटाकर
सुनकर विगुल की आवाज़
घर छोड़ दौड़ा आता है।

कौन रखेगा याद उसे
जो गलबाहें को छोड़कर
रिश्ते नाते तोड़कर
खाने को सीने में गोली
आगे हरदम रहता है।

कौन रखेगा याद उसे
जो रूखा सुखा खाकर या भूखे
पती जूते को पहने
दुश्मनों को खदेड़ने
तैयार हमेशा रहता है।

कौन रखेगा याद उसे
जो अपने देश के लिए
स्वयं का सारा गम भुलाकर को
मुसीबतों का सामना कराने को
दुश्मनों के रू ब रू
प्राण न्योछावर करता है।