कौन रखेगा याद उसे
जो काजल से भी अंधेरी रातों में
सूर्य की चिलचिलाती धूप में
बर्फीली और हिमवृष्टी में भी
सुदृढ़ आँख जमाये रहता है।
कौन रखेगा याद उसे
जो रिश्ते और नातों से उठकर
साधारण सी दिखने वाली
तिरंगे के लिए हमेशा
मिटते को तैयार रहता है।
कौन रखेगा याद उसे
दुनियादारी को भुलाकर
अपना शोक को मिटाकर
सुनकर विगुल की आवाज़
घर छोड़ दौड़ा आता है।
कौन रखेगा याद उसे
जो गलबाहें को छोड़कर
रिश्ते नाते तोड़कर
खाने को सीने में गोली
आगे हरदम रहता है।
कौन रखेगा याद उसे
जो रूखा सुखा खाकर या भूखे
पती जूते को पहने
दुश्मनों को खदेड़ने
तैयार हमेशा रहता है।
कौन रखेगा याद उसे
जो अपने देश के लिए
स्वयं का सारा गम भुलाकर को
मुसीबतों का सामना कराने को
दुश्मनों के रू ब रू
प्राण न्योछावर करता है।
1 comment:
wah deepak jee bahut khub.
kash aapke en bhavnao ko aadhunik jagat ke logo ke dil men gunjayman hota...
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