कई बार सोचता हूँ की कुछ लिखा जाए मगर लिखू क्या यह समझ में कई बार समझ में आता है कई बार समझ में नही आता है। सुभाह उठते ही कंप्युटर खोल लिया, इसके बाद भी क्या लिखे पता नही। पिछले साल एक सुमित नाम से हमउम्र लड़के से परिचय हुआ। एमसीडी के चुनाव में इकुइनोक्स के तरफ़ से सर्वे टीम में मेरे साथ था। अपने आपको लोकप्रिय कॉलोमिस्ट का भांजा कहता था। मेरे लिए वे आदर्श की तरह हैं लिखाड़ और छपने के मामले में।
कुछ दिन पहले मालूम हुआ की वो दो तीन महीनो से गायब है कहाँ गया किसी को पता नही है। जिसने मुझे बताया की वो गायब है उसी ने बताया की सुमित जिगालो था। मुझे नही पता वह क्या करता था अभी कहा है और क्या कर रहा है। इतना जरुर है मेरे साथ चार दिन रहा, उन चार दिनों में अच्छा लड़का लगा। अगर वो जिगालो था भी तो इसके पीछ मिलनेवाले माहौल पर काफी निर्भर किया होगा। उसने कभी भी ये जाहीर होने नही दिया। यहाँ तक की मैंने उससे कुछ बाते शेयर किया तो बड़े ही सलीके से समझाते हुए उन चीजो से दूर रहने को कहा था, उसकी बात मान लेने का परिणाम है की मैं यहाँ हूँ नही तो आज भी छोटे किसी बैनर में धक्के खा रहा होता। धक्का तो अब भी खा रहा हूँ मगर इस धक्के को कोई परिणाम है।
आज बस इतना ही, जिन्दगी में दोबारा सुमित मिले यही आकांक्षा....
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