निजी चैनल के एक इंटरव्यू में ‘विवादों की रानी’ के नाम से विख्यात आइटम गर्ल राखी सावंत ने कहा है कि लोग पसंद करें या नापसंद करें पर मुझे देखते सभी हैं। वैलेंटाइन डे के साथ भी कुछ ऐसा ही है। श्रीराम सेना, शिव सेना, बजरंग दल जैसे तमाम संगठन और उसके कार्यकर्ता चाहे जितना चिल्लम पो मचा लें, लेकिन सच यही है कि वैलेंटाइन डे पर हर तबके के लोगों ने अपने-अपने तरीके से अपने प्रेम का इजहार किया है।
प्यार करने वालों के लिए ‘वैलेंटाइन डे’ ठीक वैसा ही त्योहार है जैसे कि हम अपने आराध्य के लिए धूमधाम से साल में एक दिन करते हैं। भगवान गणेश के लिए गणपति बप्पा मोरया करते हैं तो आदिशक्ति दुर्गा के लिए दशहरा मनाते हैं। प्रेम करने वालों के लिए भी वैसा ही एक त्योहार है, एक दिन है जहां हम अपने प्यार करने वालों को अपने दिल की बात कहते हैं। उसके लिए पूरा एक दिन समय देते हैं।
साल में एक बार ऐसा अवसर आता है जब हर कोई सोचता है कि हम किसे चाहते-मानते है और कौन हमें मानता और चाहता है। ... इसे चाहे आप इजहार-ए -मोहब्बत कहें या फिर जुनून-ए-इश्क। ढाई आखर का प्रेम कभी भी किसी से हो सकता है।
वैलेंटाइन डे का विरोध करने वाले भी ऐसा नहीं है कि किसी से प्यार नहीं करते हैं। वह भी प्यार करते हैं मगर सभ्य होकर। पार्क और रेस्टोरेंट में बैठकर गलबहियां और चुम्मा-चाटी नहीं करते। हमें लगता है कि वैलेंटाइन डे के विरोधी वह भी नहीं है। वह विरोधी हैं तो प्यार और उसके इजहार के तरीके से जिसे भौड़ा प्रदर्शन कहा जा सकता है। भौड़ा प्रदर्शन को बढ़ावा बाजार ने दिया है। मुनाफाखोरों को जहां मुनाफा देखते हैं, वहीं नंगा नाच करते हैं और कराते भी है।
Sunday, February 14
Thursday, February 11
नेतरहाट की तर्ज पर जमुई में विघालय
नामांकन प्रक्रिया शुरू, पहला सत्र इसी साल, डेहरी आ॓न सोन में खोला जाना प्रस्तावित
झारखंड के गठन के साथ ही बेहतरीन शिक्षण संस्थान नेतरहाट विघालय बिहार में नहीं रहा। इसकी कमी को दूर करने के लिए बिहार सरकार ने नेतरहाट की तर्ज पर दो विघालय खोलने की योजना बनाई है। प्रदेश के विघार्थियों के लिए बिहार सरकार का यह एक तोहफा है। पहला आवासीय विघालय जमुई जिले के सिमुलतला में खोला जा रहा है। पहला सत्र इसी साल जुलाई 2010 से शुरू हो जाएगा। इसके लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है। दूसरा विघालय डेहरी-आ॓न-सोन में खोला जाना है।
नेतरहाट की तर्ज पर जमुई जिले के सिमुलतला में खोले जा रहे विघालय को सिमुलतला आवासीय विघालय के नाम से जाना जाएगा। सिमुलतला को ‘बिहार का शिमला’ कहा जाता है। यह पटना-हावड़ा मुख्य रेलवे मार्ग पर अवस्थित है। यहां एक सत्र में 120 विघार्थियों की पढ़ाई और रहने की व्यवस्था की जा रही है। इसमें 60 सीट यानि 50 प्रतिशत छात्राओं के लिए निर्धारित किया गया है। पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से की जाएगी जबकि इसके लिए लिए जा रहे प्रवेश परीक्षा का माध्यम हिन्दी ही रहेगा। पहले सत्र के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस विघालय के लिए चयनित छात्र और छात्राओं का सारा खर्च बिहार सरकार उठाएगी।
नामांकन प्रक्रिया : सिमुलतला आवासीय विघालय में नामांकन के लिए एक सौ रूपए का पोस्टल आर्डर जो कि निदेशक, माध्यमिक शिक्षा बिहार के नाम से होगा, के साथ एक आवेदन जमा करना होगा। इसके बाद एक ही दिन दो पाली में प्रथम जांच परीक्षा होगी। दूसरी पाली की कॉपी केवल उन्हीं विघार्थियों की जांची जाएगी जो पहली पाली में उत्तीर्ण होंगे। पहली पाली वस्तुनिष्ठ और दूसरी पाली लिखित में परीक्षा होगी। दोनों पाली में पास करने वाले विघार्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा। साक्षात्कार के दिन ही मेडिकल परीक्षण भी होगा। साक्षात्कार के दौरान विघार्थियों को तार्किक परीक्षा देनी होगी।
आवेदन प्रक्रिया
इच्छुक छात्र/छात्रा को अपने आवेदन पत्र सिमुलतला आवासीय विघालय, कैम्प कार्यालय, राजकीय बालक उच्च विघालय शास्त्री नगर पटना-800023 के पते पर रजिस्ट्री या स्पीड पोस्ट के माध्यम से भेजना होगा।
महत्वपूर्ण तिथि
आवेदन की अंतिम तिथि : 22 फरवरी 2010
प्रथम जांच परीक्षा की तिथि : 28 मार्च 2010
साक्षात्कार, स्वास्थ्य जांच की तिथि : 17 मई 2010
परीक्षा का प्रारूप
प्रवेश परीक्षा हिन्दी माध्यम में होगी। चयन परीक्षा दो भाग में है प्रथम जांच परीक्षा और साक्षात्कार। राज्य के सभी जिला मुख्यालय में प्रथम जांच परीक्षा होगी। साक्षात्कार के लिए बाद में स्थान तय किया जाएगा।
प्रथम जांच परीक्षा
प्रथम जांच परीक्षा दो पाली में होगी। जिन अभ्यर्थियों की पहली पाली में न्यूनतम निर्धारित अंक प्राप्त होंगे, उनके ही दूसरी पाली की परीक्षा के पत्र जांचे जाएंगे। इसके आधार पर मेधासूची तैयार की जाएगी। मेधासूची के बाद साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा। पहली पाली की परीक्षा सुबह दस बजे से दोपहर बारह बजे तक होगी। इसमें 120 प्रश्न वस्तुनिष्ठ होंगे। परीक्षा के प्रश्नों का आधारक विषय- गणित, सामान्य विज्ञान, हिन्दी, सामान्य ज्ञान, समाज अध्ययन (भूगोल, इतिहास एवं नागरिक शास्त्र) होंगे।
दूसरी पाली की परीक्षा दोपहर दो बजे से शाम पांच बजे तक होगी। यह विषयनिष्ठ होगी। इस पाली में प्रश्नों के उत्तर लिखने होंगे। इन प्रश्नों के आधारक विषय वही होंगे जो पहली पाली के हैं।
साक्षात्कार परीक्षा
साक्षात्कार के साथ-साथ छात्र-छात्राओं की तार्किक परीक्षा (Logical Reasoning) भी ली जाएगी, जो दो घंटे की होगी।
आवेदन करने से पहले महत्वपूर्ण बात
1। यह विघालय केवल बिहार के छात्र/छात्राओं के लिए है।
2। किसी भी मान्यता प्राप्त विघालय में छात्र/छात्रा अध्ययनरत हों।
3। आवेदन करने वाले छात्र/छात्रा की उम्र 01।04।2010 को दस से बारह साल के बीच होनी चाहिए अर्थात् उनकी जन्मतिथि 31।03।1998 से 01।04।2010 के बीच होनी चाहिए (दोनों तिथियों को शामिल करते हुए )।
4। आवेदन पत्र विघालय के प्रधानाध्यापक द्वारा प्रमाणित होना चाहिए ।
5। साक्षात्कार के समय विघालय त्याग प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र (आरक्षित छात्र/छात्रों के लिए अनिवार्य), आवासीय प्रमाणपत्र एवं आय प्रमाणपत्र की मूल प्रति जमा करनी होगी।
6। बिहार सरकार का आरक्षण रोस्टर छात्र/छात्राओं के चयन प्रक्रिया में लागू होगी।
7. चयन परीक्षा के लिए आवेदन के साथ एक सौ रूपए का पोस्टल आर्डर निदेशक, माध्यमिक शिक्षा बिहार के नाम से संलग्न करना होगा।
8. आवेदन पत्र ए 4 साइज के पेपर के साथ टंकित कराकर जमा करना है। 9. आवेदन पत्र के साथ दो लिफाफा (पत्राचार का पता लिखा हो) और एक लिफाफे पर 22/ रूपए का डाक टिकट लगा हो, संलग्न होना चाहिए ।
10. आवेदन पत्र एवं संबंधित जानकारी विघालय के वेबसाइट
www.simultalavidyalaya.com तथा विभाग के वेबसाइट www.educationbihar.in पर उपलब्ध है।
झारखंड के गठन के साथ ही बेहतरीन शिक्षण संस्थान नेतरहाट विघालय बिहार में नहीं रहा। इसकी कमी को दूर करने के लिए बिहार सरकार ने नेतरहाट की तर्ज पर दो विघालय खोलने की योजना बनाई है। प्रदेश के विघार्थियों के लिए बिहार सरकार का यह एक तोहफा है। पहला आवासीय विघालय जमुई जिले के सिमुलतला में खोला जा रहा है। पहला सत्र इसी साल जुलाई 2010 से शुरू हो जाएगा। इसके लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है। दूसरा विघालय डेहरी-आ॓न-सोन में खोला जाना है।
नेतरहाट की तर्ज पर जमुई जिले के सिमुलतला में खोले जा रहे विघालय को सिमुलतला आवासीय विघालय के नाम से जाना जाएगा। सिमुलतला को ‘बिहार का शिमला’ कहा जाता है। यह पटना-हावड़ा मुख्य रेलवे मार्ग पर अवस्थित है। यहां एक सत्र में 120 विघार्थियों की पढ़ाई और रहने की व्यवस्था की जा रही है। इसमें 60 सीट यानि 50 प्रतिशत छात्राओं के लिए निर्धारित किया गया है। पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से की जाएगी जबकि इसके लिए लिए जा रहे प्रवेश परीक्षा का माध्यम हिन्दी ही रहेगा। पहले सत्र के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस विघालय के लिए चयनित छात्र और छात्राओं का सारा खर्च बिहार सरकार उठाएगी।
नामांकन प्रक्रिया : सिमुलतला आवासीय विघालय में नामांकन के लिए एक सौ रूपए का पोस्टल आर्डर जो कि निदेशक, माध्यमिक शिक्षा बिहार के नाम से होगा, के साथ एक आवेदन जमा करना होगा। इसके बाद एक ही दिन दो पाली में प्रथम जांच परीक्षा होगी। दूसरी पाली की कॉपी केवल उन्हीं विघार्थियों की जांची जाएगी जो पहली पाली में उत्तीर्ण होंगे। पहली पाली वस्तुनिष्ठ और दूसरी पाली लिखित में परीक्षा होगी। दोनों पाली में पास करने वाले विघार्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा। साक्षात्कार के दिन ही मेडिकल परीक्षण भी होगा। साक्षात्कार के दौरान विघार्थियों को तार्किक परीक्षा देनी होगी।
आवेदन प्रक्रिया
इच्छुक छात्र/छात्रा को अपने आवेदन पत्र सिमुलतला आवासीय विघालय, कैम्प कार्यालय, राजकीय बालक उच्च विघालय शास्त्री नगर पटना-800023 के पते पर रजिस्ट्री या स्पीड पोस्ट के माध्यम से भेजना होगा।
महत्वपूर्ण तिथि
आवेदन की अंतिम तिथि : 22 फरवरी 2010
प्रथम जांच परीक्षा की तिथि : 28 मार्च 2010
साक्षात्कार, स्वास्थ्य जांच की तिथि : 17 मई 2010
परीक्षा का प्रारूप
प्रवेश परीक्षा हिन्दी माध्यम में होगी। चयन परीक्षा दो भाग में है प्रथम जांच परीक्षा और साक्षात्कार। राज्य के सभी जिला मुख्यालय में प्रथम जांच परीक्षा होगी। साक्षात्कार के लिए बाद में स्थान तय किया जाएगा।
प्रथम जांच परीक्षा
प्रथम जांच परीक्षा दो पाली में होगी। जिन अभ्यर्थियों की पहली पाली में न्यूनतम निर्धारित अंक प्राप्त होंगे, उनके ही दूसरी पाली की परीक्षा के पत्र जांचे जाएंगे। इसके आधार पर मेधासूची तैयार की जाएगी। मेधासूची के बाद साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा। पहली पाली की परीक्षा सुबह दस बजे से दोपहर बारह बजे तक होगी। इसमें 120 प्रश्न वस्तुनिष्ठ होंगे। परीक्षा के प्रश्नों का आधारक विषय- गणित, सामान्य विज्ञान, हिन्दी, सामान्य ज्ञान, समाज अध्ययन (भूगोल, इतिहास एवं नागरिक शास्त्र) होंगे।
दूसरी पाली की परीक्षा दोपहर दो बजे से शाम पांच बजे तक होगी। यह विषयनिष्ठ होगी। इस पाली में प्रश्नों के उत्तर लिखने होंगे। इन प्रश्नों के आधारक विषय वही होंगे जो पहली पाली के हैं।
साक्षात्कार परीक्षा
साक्षात्कार के साथ-साथ छात्र-छात्राओं की तार्किक परीक्षा (Logical Reasoning) भी ली जाएगी, जो दो घंटे की होगी।
आवेदन करने से पहले महत्वपूर्ण बात
1। यह विघालय केवल बिहार के छात्र/छात्राओं के लिए है।
2। किसी भी मान्यता प्राप्त विघालय में छात्र/छात्रा अध्ययनरत हों।
3। आवेदन करने वाले छात्र/छात्रा की उम्र 01।04।2010 को दस से बारह साल के बीच होनी चाहिए अर्थात् उनकी जन्मतिथि 31।03।1998 से 01।04।2010 के बीच होनी चाहिए (दोनों तिथियों को शामिल करते हुए )।
4। आवेदन पत्र विघालय के प्रधानाध्यापक द्वारा प्रमाणित होना चाहिए ।
5। साक्षात्कार के समय विघालय त्याग प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र (आरक्षित छात्र/छात्रों के लिए अनिवार्य), आवासीय प्रमाणपत्र एवं आय प्रमाणपत्र की मूल प्रति जमा करनी होगी।
6। बिहार सरकार का आरक्षण रोस्टर छात्र/छात्राओं के चयन प्रक्रिया में लागू होगी।
7. चयन परीक्षा के लिए आवेदन के साथ एक सौ रूपए का पोस्टल आर्डर निदेशक, माध्यमिक शिक्षा बिहार के नाम से संलग्न करना होगा।
8. आवेदन पत्र ए 4 साइज के पेपर के साथ टंकित कराकर जमा करना है। 9. आवेदन पत्र के साथ दो लिफाफा (पत्राचार का पता लिखा हो) और एक लिफाफे पर 22/ रूपए का डाक टिकट लगा हो, संलग्न होना चाहिए ।
10. आवेदन पत्र एवं संबंधित जानकारी विघालय के वेबसाइट
www.simultalavidyalaya.com तथा विभाग के वेबसाइट www.educationbihar.in पर उपलब्ध है।
Labels:
जमुई,
नेतरहाट विघालय,
बिहार,
विघालय,
शिक्षा,
सिमुलतला आवासीय विघालय
Sunday, February 7
गायक जगजीत सिंह को ७०वीं वसंत की बधाई
शेरो शायरी में कहना हो मन की बात, दिल में जब भी उतरेगी प्यार और मोहब्बत के जज्बात, वफादारी की कसमें हो या नामुरादों-सी हालात, हर तरह के मन के लिए गजल रूपी पैयमाना जरूरी हो जाता है। ऐसे में, दिलकश, कशिश भरी आवाज कानों में बरवश ही गूंजने लगती है। आवाज उस शख्सियत की जिसके चेहरे पर सदैव संजीदगी झलकती है। उसका नाम है गायक जगजीत सिंह, गजल गायकी का बेताज बादशाह।
हाल ही में जगजीत सिंह ने गुरूवाणी को स्वर दिया है। हालांकि भक्ति संगीत में उनका यह पहला ए लबम नहीं है। ‘मां’, ‘हे राम ...हे राम’, ‘हरे कृष्ण’, जैसे भजन को अपना स्वर देकर सफलता का हीरा जड़ा है। वहीं उन्होंने कई फिल्मों में स्वर भी दिया है और संगीत भी। जगजीत सिंह पहले शख्स हैं जिन्होंने खास वर्ग में सुनी जा रही गजल को आम लोगों के बीच लोकप्रिय किया। इतना ही नहीं उर्दू भाषा में गाई जाने वाले गजल को बंगाली, पंजाबी, भोजपुरी, गुजराती व अन्य भाषाओं में गाकर जन-जन तक पहुंचाने का काम किया है।
राजस्थान के श्रीगंगानगर में आठ फरवरी 1941 को जन्मे जगजीत सिंह 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इनके पिता सरकार अमर सिंह धीमान सरकारी कर्मचारी थे, जो मूलत: पंजाब के रोपड़ जिले के दल्ला गांव के निवासी थे। मां बच्चन कौर समराला के नजदीक ऑटाल्लान की थीं। चार बहनें और दो भाइयों में जगजीत सिंह का पुकारू नाम ‘जीत’ है। जगजीत सिंह की स्कूली शिक्षा खालसा उच्च विघालय श्रीगंगानगर में हुई जबकि इंटरमीडिएट की डिग्री गर्वनमेंट कॉलेज श्रीगंगानगर में पूरी की। जालंधर के डीएवी कॉलेज में स्नातक करने के बाद इतिहास विषय से स्नातकोत्तर की उपाधि कुरूक्षेत्र विश्वविघालय से प्राप्त किया। सरकारी मुलाजिम होने के नाते उनके पिता चाहते थे कि जगजीत प्रशासनिक अधिकारी बने लेकिन उन्होंने जगजीत के गायिकी की आ॓र रूझान को कभी दबाने का प्रयास नहीं किया।
बचपन से संगीत में रूची को देखते हुए उनके पिता धीमान ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा के लिए श्रीगंगानगर में ही पंडित चमनलाल शर्मा के पास भेज दिया। दो वर्षों तक पंडित चमनलाल शर्मा से उन्होंने संगीत की विधिवत शिक्षा ली। हमेशा खुले विचार और किसी से सीखने की प्रवृत्ति रखने वाले जगजीत सिंह को जल्द ही ए चए मवी में रिकॉडिंग का मौका मिला। सन् 1965 में वह करियर के संघर्ष के लिए मुम्बई पहुंच गए। ये वो दौर था जब गजल का युग शुरू ही हुआ था विशेषकर हिन्दी में। हिन्दी में गजल लेखनी का आगाज दुष्यंत कुमार के कलम से इसी दौर में हुआ। करियर के शुरूआती दौर में पेईंग गेस्ट के रूप में रहते हुए गायिकी के हर तरह के प्रस्ताव को स्वीकार करने को तैयार रहते। चाहे विज्ञापन फिल्म हो, पार्टी हो या विवाह का समारोह। इसी दौर में कलकत्ता की बंगाली बाला चित्रा से वर्ष 1967 में जगजीत सिंह की पहली मुलाकात हुई। यह मुलाकात चित्रा को 1969 में चित्रा सिंह बना दिया। मुलाकात और फिर शादी के बाद दोनों ने एक से बढ़कर एक गजलों का एलबम श्रोताओं को दिया। पश्चिम और भारतीय वाघ यंत्रों के साथ फ्यूजन, मिक्स अप कर गजल और नज्म में एक मिसाल पेश करते हुए पत्नी के साथ-साथ पहला एलबम ‘द अनफोरगेटेबल’ श्रोताओं के सामने प्रस्तुत किया। इसके बाद एक सिलसिला सा शुरू हो गया, साथ-साथ गाने का। यह दौर 1990 तक चलता रहा।
बात 28 जुलाई 1990 की है, जो न केवल जगजीत-चित्रा के लिए ही नहीं बल्कि गजल के हर रसिकों के लिए काला दिन साबित हुआ। उस दिन उनका इकलौता बेटा विवेक सिंह की मुम्बई के ब्रीच केंडी में ए क सड़क हादसें में मौत हो गई। अचानक आई विपदा ने चित्रा सिंह को तोड़ कर रख दिया। उन्होंने गायिकी की दुनिया को सदा के लिए अलविदा कह दीं। चित्रा और जगजीत सिंह की जोड़ी का आखिरी ए लबम ‘समवन समवेयर’ है। बकौल चित्रा कहती हैं कि वह जब भी गाने के लिए माइक पकड़ती हैं, उन्हें विवेक का चेहरा दिखता है और उनके मुख से स्वर नहीं निकलता।
‘वो कौन है दुनियां में जिसे गम नहीं होता’ को ध्यान में रखते हुए इस त्रासदी से उबरने की कोशिश में जगजीत ने फिर ए क से ए क ए लबम प्रस्तुत किए । ‘होप’, ‘इनसर्च’, ‘चिराग’, ‘विजन’, ‘कहकसां’, ‘लव इज ब्लाइंड’, ‘मिराज’ आदि। जगजीत सिंह न केवल गायिकी में सक्रिय हैं बल्कि कई नए उभरते कलाकारों का मार्गदर्शन भी करते हैं। अभिजीत, तलत अजीज, विक्रम सिंह, घनश्याम वासवानी विनोद सहगल, कुमार सानू इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। क्राय, एलमा, बाम्बे हॉस्पीटल जैसे कई सामाजिक संगठनों से इनका गहरा नाता है।
संगीत, कला और सामाजिक कार्यों में रूझान व योगदान को देखते हुए जगजीत सिंह कई पुरस्कारों से सम्मानित हुए। मध्यप्रदेश सरकार ने लता मंगेशकर पुरस्कार (1998), साहित्य अकादमी ने मिर्जा गालिब सम्मान (1998) से नवाजा है तो भारत सरकार ने भी उन्हें पद्मश्री फिर पद्म भूषण (2003) देकर उनके काबिलियत का सम्मान किया है। जगजीत सिंह को 70वीं वसंत की ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ उनसे अभी आ॓र उम्मीद हैं। गजल रसिकों को कुछ और नए अंदाज में उनके पुरकशिश आवाज को सुनने को।
हाल ही में जगजीत सिंह ने गुरूवाणी को स्वर दिया है। हालांकि भक्ति संगीत में उनका यह पहला ए लबम नहीं है। ‘मां’, ‘हे राम ...हे राम’, ‘हरे कृष्ण’, जैसे भजन को अपना स्वर देकर सफलता का हीरा जड़ा है। वहीं उन्होंने कई फिल्मों में स्वर भी दिया है और संगीत भी। जगजीत सिंह पहले शख्स हैं जिन्होंने खास वर्ग में सुनी जा रही गजल को आम लोगों के बीच लोकप्रिय किया। इतना ही नहीं उर्दू भाषा में गाई जाने वाले गजल को बंगाली, पंजाबी, भोजपुरी, गुजराती व अन्य भाषाओं में गाकर जन-जन तक पहुंचाने का काम किया है।
राजस्थान के श्रीगंगानगर में आठ फरवरी 1941 को जन्मे जगजीत सिंह 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इनके पिता सरकार अमर सिंह धीमान सरकारी कर्मचारी थे, जो मूलत: पंजाब के रोपड़ जिले के दल्ला गांव के निवासी थे। मां बच्चन कौर समराला के नजदीक ऑटाल्लान की थीं। चार बहनें और दो भाइयों में जगजीत सिंह का पुकारू नाम ‘जीत’ है। जगजीत सिंह की स्कूली शिक्षा खालसा उच्च विघालय श्रीगंगानगर में हुई जबकि इंटरमीडिएट की डिग्री गर्वनमेंट कॉलेज श्रीगंगानगर में पूरी की। जालंधर के डीएवी कॉलेज में स्नातक करने के बाद इतिहास विषय से स्नातकोत्तर की उपाधि कुरूक्षेत्र विश्वविघालय से प्राप्त किया। सरकारी मुलाजिम होने के नाते उनके पिता चाहते थे कि जगजीत प्रशासनिक अधिकारी बने लेकिन उन्होंने जगजीत के गायिकी की आ॓र रूझान को कभी दबाने का प्रयास नहीं किया।
बचपन से संगीत में रूची को देखते हुए उनके पिता धीमान ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा के लिए श्रीगंगानगर में ही पंडित चमनलाल शर्मा के पास भेज दिया। दो वर्षों तक पंडित चमनलाल शर्मा से उन्होंने संगीत की विधिवत शिक्षा ली। हमेशा खुले विचार और किसी से सीखने की प्रवृत्ति रखने वाले जगजीत सिंह को जल्द ही ए चए मवी में रिकॉडिंग का मौका मिला। सन् 1965 में वह करियर के संघर्ष के लिए मुम्बई पहुंच गए। ये वो दौर था जब गजल का युग शुरू ही हुआ था विशेषकर हिन्दी में। हिन्दी में गजल लेखनी का आगाज दुष्यंत कुमार के कलम से इसी दौर में हुआ। करियर के शुरूआती दौर में पेईंग गेस्ट के रूप में रहते हुए गायिकी के हर तरह के प्रस्ताव को स्वीकार करने को तैयार रहते। चाहे विज्ञापन फिल्म हो, पार्टी हो या विवाह का समारोह। इसी दौर में कलकत्ता की बंगाली बाला चित्रा से वर्ष 1967 में जगजीत सिंह की पहली मुलाकात हुई। यह मुलाकात चित्रा को 1969 में चित्रा सिंह बना दिया। मुलाकात और फिर शादी के बाद दोनों ने एक से बढ़कर एक गजलों का एलबम श्रोताओं को दिया। पश्चिम और भारतीय वाघ यंत्रों के साथ फ्यूजन, मिक्स अप कर गजल और नज्म में एक मिसाल पेश करते हुए पत्नी के साथ-साथ पहला एलबम ‘द अनफोरगेटेबल’ श्रोताओं के सामने प्रस्तुत किया। इसके बाद एक सिलसिला सा शुरू हो गया, साथ-साथ गाने का। यह दौर 1990 तक चलता रहा।
बात 28 जुलाई 1990 की है, जो न केवल जगजीत-चित्रा के लिए ही नहीं बल्कि गजल के हर रसिकों के लिए काला दिन साबित हुआ। उस दिन उनका इकलौता बेटा विवेक सिंह की मुम्बई के ब्रीच केंडी में ए क सड़क हादसें में मौत हो गई। अचानक आई विपदा ने चित्रा सिंह को तोड़ कर रख दिया। उन्होंने गायिकी की दुनिया को सदा के लिए अलविदा कह दीं। चित्रा और जगजीत सिंह की जोड़ी का आखिरी ए लबम ‘समवन समवेयर’ है। बकौल चित्रा कहती हैं कि वह जब भी गाने के लिए माइक पकड़ती हैं, उन्हें विवेक का चेहरा दिखता है और उनके मुख से स्वर नहीं निकलता।
‘वो कौन है दुनियां में जिसे गम नहीं होता’ को ध्यान में रखते हुए इस त्रासदी से उबरने की कोशिश में जगजीत ने फिर ए क से ए क ए लबम प्रस्तुत किए । ‘होप’, ‘इनसर्च’, ‘चिराग’, ‘विजन’, ‘कहकसां’, ‘लव इज ब्लाइंड’, ‘मिराज’ आदि। जगजीत सिंह न केवल गायिकी में सक्रिय हैं बल्कि कई नए उभरते कलाकारों का मार्गदर्शन भी करते हैं। अभिजीत, तलत अजीज, विक्रम सिंह, घनश्याम वासवानी विनोद सहगल, कुमार सानू इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। क्राय, एलमा, बाम्बे हॉस्पीटल जैसे कई सामाजिक संगठनों से इनका गहरा नाता है।
संगीत, कला और सामाजिक कार्यों में रूझान व योगदान को देखते हुए जगजीत सिंह कई पुरस्कारों से सम्मानित हुए। मध्यप्रदेश सरकार ने लता मंगेशकर पुरस्कार (1998), साहित्य अकादमी ने मिर्जा गालिब सम्मान (1998) से नवाजा है तो भारत सरकार ने भी उन्हें पद्मश्री फिर पद्म भूषण (2003) देकर उनके काबिलियत का सम्मान किया है। जगजीत सिंह को 70वीं वसंत की ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ उनसे अभी आ॓र उम्मीद हैं। गजल रसिकों को कुछ और नए अंदाज में उनके पुरकशिश आवाज को सुनने को।
Labels:
गजल,
गायक,
जगजीत सिंह,
दीपक राजा,
संगीत
Subscribe to:
Posts (Atom)