कृष्णा वीरेंद्र न्यास ने चिट्ठाकार/ब्लॉगर उन्मुक्त की चिट्ठियों, लेखों व निबंधों को ‘मुक्त विचारों का संगम’ नाम से पुस्तक का रूप दिया है। इसे प्रकाशित किया है यूनिवर्सल लॉ पब्लिकेशन ने। इसमें शामिल ज्यादातर लेखों में विषय-विषयांतर होते हुए विज्ञान, गणित, कानून, जीवनी, श्रद्धांजलि, संवेदना, मुलाकात एवं विभिन्न पुस्तकों की समीक्षाओं की र्चचा है।
आलोच्य पुस्तक में शामिल चिट्ठियों में छोटी- छोटी कहानियां, प्रेरक प्रसंगों के माध्यम से खास विषय को भी सरल तरीके से प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। लेखों में वैज्ञानिक विचार, तथ्यों व तकरे के आधार पर जीवन के विभिन्न पक्षों के बहुरंगी आयाम पाठकों के बीच रखने का प्रयास सराहनीय है। अंक विद्या, हस्तरेखा, ज्योतिषी जैसे विषय आज भी अंधविास और वैज्ञानिक मान्यता के बीच खींचतान जारी है। इस पर भी लेखक ने सहज तरीके से समझाने का प्रयास किया है और अपनी बात पाठकों तक पहुंचाने में वह कुछ हद तक सफल भी हैं।
पुस्तक में शामिल लेख, जीवन के विभिन्न छुए-अनछुए पहलुओं को एक बार फिर छूते हुए निकलते हैं। जीवन को प्रभावित करने वाले विषय- कम्प्यूटर, कानून, आध्यात्म, नारी सशक्तिकरण, विज्ञान, गणित की पहेलियां, ऐतिहासिक स्थल, यात्रा वृत्तांत पर लिखे लेखों को भी यहां स्थान दिया गया है। ज्योतिष विज्ञान से लेकर अध्यात्म, इंटरनेट से लेकर साइबर कानून, कॉपी राइट से लेकर पेटेंट, बौद्धिक संपदा संबंधी बातों को भी पुस्तक में समाहित किया गया है। इसके आखिरी खंड में विभिन्न प्रकार की पुस्तकों की समीक्षाएं शामिल हैं। ज्यादातर अंग्रेजी की पुस्तकों की समीक्षा है वह भी विज्ञान और वैज्ञानिकों से जुड़ी पुस्तकें। इन पुस्तकों का सार पाठकों तक आसानी से इस पुस्तक के माध्यम से उपलब्ध हो पायेगा।
उन्मुक्त के ज्यादातर लेख पहले से ही चिट्ठाजगत में उपलब्ध हैं। न्यास ने बस इसे पुस्तक का रूप देने का प्रयास किया है। यह पुस्तक कई लोगों के लिए ज्ञानवर्धक हो सकती है तो कुछ के लिए जीवन के अनछुए विषयों को समझने का अवसर।
'राष्ट्रीय सहारा, दो नवम्बर 2014" अंक के मंथन परिशिष्ट पर प्रकाशित
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