देश में हालात कितने ख़राब हो चले हैं जो लोग कुछ अच्छा करने की कोशिश भी करते हैं उसे भी ग़लत निगाह से देखते हैं। अहमदाबाद धमाके के बाद सूरत में एक एक करके जिन्दा बम मिल रहें हैं। ...और एक संयोग है की अब तक ग्यारह बमों के बारे में एक वीएचपी के करकरता ने पुलिस को सुचना दी। कुछ लोगों को इसमें भी राजनीती दीखता है। इसे छुद्रता पूर्ण व्यव्हार मन लेना अच्छा है।
हम ये तो नहीं कहते की आंतंकवाद कोई विशेष धर्म से जुड़ा हुआ है लेकिन जिस तरह से ज्यादातर भारत में हिंदू के आस्था पर लगातार चोट किया जा रहा है, संदेह विश्वास में बदलता जा रहा है। मुझे तो लगता है की नैना देवी मन्दिर में जो रविवार को घटना हुई। उसमें भी आतंकियों का हाथ है। रोज रोज नए तरीके इजाद करते हैं भय पैदा करने के लिए। यह भी उसी की एक कोशिश है। इसका ये मतलब नही है की हिमाचल सरकार अपनी ज़िम्मेदारी से बच जायेगी। सरकार को जबाब देना होगा क्यों व्यवस्था नही थी पहले से ऐसी घटना के लिए। लगभग बीस साल पहले भी यहाँ ऐसी घटना हो चुकी है।
सरकारी खजाने से दिक्कत हो रही थी हिन्दुओ के लिए खर्च करने में तो मन्दिर के आमदनी से ही करती। एक अनुमान से मन्दिर के आमदनी का चालीस प्रतिसत यहाँ वेतन देने खर्च होता है।
सरकार को जबाव देना चाहिए शेष खान खर्च होता है, नही है तो हम भक्तो से जाजिया कर ले ताकि कम से कम सुरक्छित तो लोतेगे अपने परिवार के लिए...
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