Tuesday, September 18

ऐसे करें पीओ की तैयारी


निजी बैंकों के आने और राष्ट्रीयकृत बैंकों की शाखाओं की जबरदस्त बढ़ोत्तरी के कारण बैंकों में प्रोबेशनरी ऑफीसर (पीओ) पद की मांग में इजाफा हुआ है.

बैंकिंग सेक्टर शुरू से ही युवाओं को लुभाता रहा है। बेहतर सैलरी, अच्छा इनवायरमेंट, साथ ही लोगों से हर दिन रू-ब-रू होने का मौका काफी कम नौ करियों में मिलता है। बैंकों में भी नौकरी के अलग-अलग स्टेज हैं लेकिन प्रोबेशनरी ऑफीसर की नौकरी का अलग ही क्रेज है। कभी वह भी दौर था जब लोगों का चयन सिविल सेवा में न हो पाने पर वे बैंकों में पीओ बनने को तवज्जो देते थे क्योंकि बैंक में अधिकारी बनने की प्रक्रिया पीओ से ही शुरू होती है। किसी भी बैंक के संचालन से लेकर मैनेजमेंट को-ऑर्डिनेशन का पूरा काम पीओ ही देखते हैं। यहां तक कि बैंक को किस प्रोजेक्ट या प्रोफाइल पर काम करना है, यह तय करने की जिम्मेदारी भी इन्हीं पर ही रहती है।

पिछले कुछ दशकों से भारत में निजी बैंकों के आने और राष्ट्रीयकृत बैंकों की शाखाओं की जबरदस्त बढ़ोतरी के कारण बैंक पीओ की मांग में इजाफा हुआ है। साथ ही, आने वाले समय में इन बैंकों का और भी विस्तार होना है। इसके अलावा, अनुमान है कि वर्ष 2013 में डेढ़ लाख से भी ज्यादा बैंक कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में, इन दिनों बैंकिंग सेक्टर में नौकरी की बहार आई हुई है।

परीक्षा एवं चयन प्रक्रिया बैंक प्रोबेशनरी ऑफीसर परीक्षा एवं चयन प्रक्रिया दो चरणों में लिखित परीक्षा, साक्षात्कार और ग्रुप डिस्कशन के जरिए होती है। लिखित परीक्षा के तहत पहले चरण में ऑब्जेक्टिव टाइप के प्रश्न पूछे जाते हैं। इसमें रीजनिंग, क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूड, जनरल अवेयरनेस और इंग्लिश से संबंधित प्रश्न होते हैं। उसके बाद डिस्क्रिप्टिव परीक्षा होती है। सामान्यत: यह परीक्षा इंस्टीटय़ूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सलेक्शन (आईबीपीएस) लेती है। इसमें उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों को एक स्कोर दिया जाता है। विभिन्न बैंकों में स्कोर के मुताबिक इंटरव्यू या ग्रुप डिस्कशन के लिए बुलाया जाता है। इसमें सफल होने के बाद अभ्यर्थी का चयन पीओ पद के लिए किया जाता है।

पीओ के लिए तैयारी
  • किसी भी परीक्षा की तैयारी के लिए सिलेबस के साथ मार्गदर्शन की भी जरूरत होती है। मुकम्मल तैयारी के लिए पूरे सिलेबस पर एक नजर दौड़ानी चाहिए। 
  • मार्गदशर्न के लिए किसी अच्छी कोचिंग की सहायता ली जा सकती है। चाहें तो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे सीनियर्स से भी मदद ले सकते हैं। 
  • डाटा एनालिसिस एंड इंटरप्रिटेशन, रीजनिंग, जनरल अवेयरनेस और इंग्लिश लैंग्वेज- सभी विषयों की तैयारी के लिए निरंतर अभ्यास की जरूरत होती है। इसके लिए सभी विषयों के लिए एक नियत समय निर्धारित करना होगा। उसके अनुरूप तैयारी करनी होगी। 
  • गणित की तैयारी के लिए कुछ बढ़िया पुस्तकें मिलती हैं। उनका गहन अध्ययन कर सकते हैं। मैथ्स के सवाल हल करते समय इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है कि कम से कम समय में कैसे अधिक से अधिक प्रश्नों को हल निकाला जा सकता है। यह तभी संभव है जब मैथ्स के महत्वपूर्ण सूत्रों को याद रखेंगे। गणित के सवाल हल करते समय इस बात का ध्यान रखें कि यदि आपने सही कर लिया तो पूरे के पूरे अंक मिलेंगे। 
  • रीजनिंग और न्यूमेरिकल के लिए बाजार में कई किताबें उपलब्ध है। प्रतियोगी पत्रिकाओं में भी प्रैक्टिस सेट होते हैं। उसे निर्धारित समय में हल करने की कोशिश करते रहिये। 
  • इंग्लिश ग्रामर के लिए रेन एंड मार्टिन जैसी पुस्तकों का सहारा लिया जा सकता है। इसके साथ ही कोई राष्ट्रीय अंग्रेजी समाचारपत्र नियमित पढ़ने से शब्द-भंडार को बढ़ाया जा सकता है। 
  • करेंट अफेयर्स के लिए भी समाचारपत्र का पढ़ना जरूरी है। 
  • ऑब्जेक्टिव परीक्षा में एक या आधे अंक का भी खास महत्व होता है। हो सकता है कि आधा अंक कम होने की वजह से आप लिखित परीक्षा में सफल न हो सकें। इस तरह की समस्या से बचने का सरल उपाय यही है कि आप जो जानते हैं, उन्हें ही हल करें। इस रणनीति से लक्ष्य तक पहुंचना आसान रहेगा। 
  • कम समय में अधिक से अधिक प्रश्नों को सही-सही हल करने के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस सेट बनाने की जरूरत है। इसके लिए निरंतर अभ्यास के अलावा कोई विकल्प नहीं है। 
  • पीओ की परीक्षा को बिल्कुल टफ न मानें। सिलेबस के अनुसार, आप तैयारी आप कर रहे हैं। अपने आपसे हमेशा कहें कि जो कुछ भी पूछा जाएगा, वह सिलेबस से ही तो पूछा जाएगा। 
  • चूंकि बैंक की सभी परीक्षाओं में निगेटिव मार्किग का प्रावधान है, इसलिए उत्तर पुस्तिका में गोल खाना भरते समय सावधानी बरतें। जब तक आप पूरी तरह संतुष्ट न हो जाएं (कि आपका उत्तर सही है), तब तक उन खानों को न भरें। जिस उत्तर के प्रति आप पूरी तरह आस्त हों (कि यही सही उत्तर है), उसी को भरें क्योंकि यदि आप गलत उत्तर भरेंगे तो आपको सही के लिए मिला अंक भी काट लेंगे। 
  • अकसर विद्यार्थियों को लगता है कि कम खाएंगे तो नींद कम आएगी। नींद कम आएगी तो ज्यादा पढ़ पाएंगे। ऐसा सोचना गलत है। विद्यार्थी को अपनी डाइट कम नहीं करनी चाहिए। हां, बाजार का खाना बंद कर घर का बना खाना खायें। नींद पूरी लें जिससे जब भी जागें, आप तरोताजा महसूस करें। इससे पढ़ाई अच्छी होगी।
  • पढ़ने के साथ-साथ लिखने का भी निरंतर अभ्यास करते रहें। 
  • घर में खुद के लिए परीक्षा जैसा माहौल बनाकर अपने को अभ्यस्त कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि स्टडी के दौरान न तो बार-बार सीट से उठें और न ही उस दौरान किसी से फोन पर बात करें। 
 

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