Tuesday, September 18

अहम है अनुवादक




आवेदन की अंतिम तिथि : 5 अक्टूबर 2012


अगर आपकी हिन्दी और अंग्रेजी, दोनों भाषाओं पर अच्छी पकड़ है और अनुवाद में करियर बनाना चाहते हैं तो कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) आपकी इच्छा को पूरी कर सकता है। केंद्र सरकार के अधीनस्थ कार्यालयों में कनिष्ठ अनुवादक के पद के लिए एसएससी ने आवेदन मांगे हैं। इच्छुक आवेदकों को अपने पसंदीदा परीक्षा केंद्र के मुताबिक आयोग के क्षेत्रीय कार्या लय के पते पर आवेदन भेजना अनिवार्य है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा नहीं है।

शैक्षिक योग्यता
आवेदक के पास मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय अथवा संस्थान से हिन्दी या अंग्रेजी में मास्टर डिग्री या समतुल्य डिग्री होनी चाहिए। इसके साथ स्नातक में अनिवार्य या वैकल्पिक विषय के रूप में हिन्दी या अंग्रेजी रही हो। इसके अलावा, मान्यता प्राप्त संस्थानों से अनुवाद में डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स या सरकार के अधीनस्थ कार्यालयों में दो साल का अनुवाद का काम करने का अनुभव होना चाहिए।

उम्र 
अभ्यर्थी का जन्म दो अगस्त 1982 या उसके बाद हुआ हो यानी एक अगस्त 2012 की तारीख तक उसकी उम्र तीस वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। उम्र सीमा में केंद्र सरकार के नियमानुसार छूट का प्रावधान है।

चयन प्रक्रिया 
चयन प्रक्रिया दो चरणों में है- लिखित परीक्षा और साक्षात्कार।
लिखित परीक्षा के तहत दो प्रश्नपत्र होंगे। दोनों को हल करने के लिए दो-दो घंटे निर्धारित किये गए हैं। प्रश्नपत्रों का स्तर स्नातक है।
पहले प्रश्नपत्र में सौ अंकों के सौ प्रश्न सामान्य हिन्दी के और सौ अंकों के इतने ही प्रश्न सामान्य अंग्रेजी के होंगे। इन प्रश्नों के माध्यम से भाषा, साहित्य, सही शब्द, मुहावरे और लोकोक्तियों पर अभ्यर्थी की जबरदस्त पकड़ का आकलन किया जाता है।
दूसरा प्रश्नपत्र भी दो सौ अंकों का है। इसमें हिन्दी से अंग्रेजी में एक और अंग्रेजी से हिन्दी में एक अनुवाद करना है। इसके अलावा, एक निबंध अंग्रेजी में और एक हिन्दी में लिखने के लिए कुछ टॉपिक दिये जाएंगे। इस प्रश्नपत्र के माध्यम से दोनों भाषाओं पर पकड़, अनुवाद करने की कुशलता और कौशल क्षमता को परखा जाएगा।

साक्षात्कार
लिखित परीक्षा में मिले अंकों के आधार पर साक्षात्कार के लिए शॉर्ट लिस्टेड किया जाएगा। साक्षात्कार सौ अंकों का है। इसमें आवेदक के व्यक्तित्व और उसके निजी प्रमाणपत्रों की जांच की जाएगी। केवल एससी/एसटी के छात्रों को साक्षात्कार में आने-जाने के लिए यात्रा भत्ता दिया जाएगा। अभ्यर्थियों द्वारा लिखित और साक्षात्कार में प्राप्त कुल अंकों के आधार पर नियुक्ति की संस्तुति की जाएगी।

महत्वपूर्ण
महज डिग्री या डिप्लोमा से ही अनुवाद के स्किल्स प्राप्त नहीं किये जा सकते। भाषा और साहित्य का अध्ययन पठन- पाठन की प्रक्रिया है। पढ़ने-लिखने, विचार करने और किसी भी सिद्धांत और उसके व्यावहारिक पक्ष को समझने का भरपूर मौका मिलता है। अनुवाद दो भाषाओं के बीच पुल का काम करता है। एक अनुवादक को इस कड़ी में स्रेत भाषा से लक्ष्य भाषा में जाने के लिए दूसरे के इतिहास और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का भी ज्ञान हासिल करना होता है। ऐसे में अनुवाद के लिए निरंतर अभ्यास और व्यापक ज्ञान की जरूरत होती है। अनुवाद साधना की तरह है। लेखक की अपनी शैली होती है। अनुवादक का कर्तव्य है कि वह अनुवाद में लेखक की शैली बरकरार रखे। अनुवाद लिखित विधा है, जिसे करने के लिए कई साधनों की जरूरत पड़ती है। मसलन शब्दकोश, संदर्भ ग्रंथ, विषय विशेषज्ञ या मार्गदर्शक की मदद से अनुवाद कार्य पूरा किया जाता है। अनुवाद में शब्दद र-शब्द, शाब्दिक अनुवाद, भावानु वाद, विस्तारानुवाद और सारानुवाद जैसी कई चीजें प्रचलित हैं। यह क्षेत्र के हिसाब से तय होता है कि किसको-क्या चाहिए।

सरकारी दफ्तरों में आमतौर पर शब्द-दर-शब्द अनुवाद करने की ही परंपरा है। अध्ययन सामग्री तैयार करने में विस्तार से अनुवाद करने की जरूरत पड़ती है। एक प्रोफेशनल अनुवादक बनने के लिए विश्वविद्यालयों में डिप्लोमा और डिग्री के कई कोर्सेज हैं। डिप्लोमा एक साल का होता है। इसमें दाखिला लेने के लिए किसी भाषा में स्नातक होना जरूरी है। साथ ही, दूसरी भाषा के ज्ञान और पढ़ाई की भी मांग की जाती है। मसलन, हिंदी-अंग्रेजी अनुवाद के डिप्लोमा कोर्स के लिए दोनों भाषाओं का ज्ञान जरूरी है। इनमें से छात्र ने किसी एक में स्नातक किया हो। साथ ही, दूसरी भाषा भी पढ़ी हो।

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