Friday, September 28

भू-विज्ञान में रोजगार

वर्तमान समय में भूवैज्ञानिकों की काफी मांग है। पृथ्वी के भीतर की संरचनाओं में उथल-पुथल, इसकी जलवायु में हो रहे परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिग के साथ पिघल रहे ग्लेशियर और समुद्र के जीवन की बेहतर समझ वाले लोग महत्वपूर्ण हो गए हैं क्योंकि उनके अनुमान और रिजल्ट के आधार पर ही आगे की प्लानिंग की जाती है। अब तो उनकी भूमिका सौरमंडल के अन्य ग्रहों पर भी दिखने लगी है। यही कारण है कि इस फील्ड में करियर की असीम संभावनाएं सामने आ रही हैं


खनिज बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन हैं। भारतीय भूिवज्ञान सव्रेक्षण विभाग का काम है राष्ट्र के हित में खनिजों का सावधानीपूर्वक प्रबंधन करना। राष्ट्रहित को सवरेपरि रखते हुए खनिज अनुसंधान, राष्ट्रीय आपदा अनुमान, अंतरराष्ट्रीय आपदा अनुमान, क्षमता और विकास आदि के क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग करना इसका काम है। भूवैज्ञानिक पृथ्वी की जलवायु में हो रहे परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिग के कारण पिघल रहे ग्लेशियर से लेकर समुद्री जीवन की समझ रखते हैं। केंद्रीय खनन मंत्रालय के अधीनस्थ भारतीय भू-विज्ञान सव्रेक्षण विभाग दुनिया के सबसे पुराने संगठनों में से एक है। इस विभाग में भू-विज्ञानी के ग्रुप ‘ए‘ और ग्रुप ‘बी’ के पदों की भर्ती की जा रही है। यो ग्यता जो भी अभ्यर्थी इस फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं, उनके पास भू-वैज्ञानिक विज्ञान, भू-विज्ञान, भू अन्वेषण, इंजीनियरी भू-विज्ञान, समुद्री भू-विज्ञान, पेट्रोलियम भू-विज्ञान, भू-रसायन, पृथ्वी विज्ञान और संसाधन प्रबंधन या सागर विज्ञान और तटीय क्षेत्र अध्ययन विषयों में से किसी एक विषय में मास्टर डिग्री होनी चाहिए। मास्टर डिग्री का तात्पर्य, तीन वर्षीय स्नातक के बाद स्नातकोत्तर डिग्री या डिप्लोमा से है, जो दो वर्षो की अवधि का हो।

चयन 
चयन प्रक्रिया दो चरणों में होगी, लिखित परीक्षा और साक्षात्कार। लिखित परीक्षा के तहत चार प्रश्न पत्र होंगे। सभी प्रश्न पत्रों को हल करने के लिए तीन-तीने घं टे निर्धारित किये गए हैं। पहला प्रश्न पत्र सामान्य अंग्रेजी का है जो सौ अंकों का रहेगा। अन्य तीनों प्रश्न पत्र भू-विज्ञान से होंगे और तीनों प्रश्न पत्रों के अंक दो-दो सौ होंगे। पहले प्रश्न पत्र में अंग्रेजी में एक लघु निबंध लिखना होगा। इसमें पूछे गए अन्य प्रश्नों का उद्देश्य उम्मीदवार के अंग्रेजी समझने की क्षमता तथा सटीक शब्दों के इस्तेमाल का आकलन करना है। दूसरे प्रश्नपत्र में भू आकृति विज्ञान,
सुदूर संवेदन, संरचना, स्ट्रेटोग्राफी, जीवाश्म विज्ञान से संबंधित, तीसरे प्रश्नपत्र में इंडियन मिनरल डिपॉजिट और मिनरल इकोनॉमी, अयस्क मिनरल, एक्सप्लोरेशन जिओलॉजी ऑफ फ्यूल, इंजीनियरी भू-विज्ञान आदि पाठों से
संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे। सभी विषयों की परीक्षा पूर्णत: निबंधात्मक होगी। सभी प्रश्नपत्र अंग्रेजी में होंगे। व्यक्तित्व परीक्षण के लिए दो सौ अंकों का साक्षात्कार है जो सक्षम और निष्पक्ष प्रेक्षकों के बोर्ड द्वारा लिया जाएगा। साक्षात्कार बोर्ड के पास पहले से ही उम्मीदवार का पूरा डाटा होगा। साक्षात्कार के दौरान नेतृत्व, बौद्धिक जिज्ञासा, मानसिक और शारीरिक शक्ति, अन्य सामाजिक गुण, व्यावहारिक क्षमताओं का आकलन किया जाता है। अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें : www.upsconline.nic.in

आवेदन इस विभाग में भू-विज्ञानी ग्रुप-क के 300 पद और सहायक भूिवज्ञानी ग्रुप-ख के 67 पदों के लिए आवेदन मांगे गए हैं। इसके लिए इच्छुक आवेदक संघ लोक सेवा आयोग की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन मोड से आवेदन कर सकते हैं।

Tuesday, September 18

अहम है अनुवादक




आवेदन की अंतिम तिथि : 5 अक्टूबर 2012


अगर आपकी हिन्दी और अंग्रेजी, दोनों भाषाओं पर अच्छी पकड़ है और अनुवाद में करियर बनाना चाहते हैं तो कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) आपकी इच्छा को पूरी कर सकता है। केंद्र सरकार के अधीनस्थ कार्यालयों में कनिष्ठ अनुवादक के पद के लिए एसएससी ने आवेदन मांगे हैं। इच्छुक आवेदकों को अपने पसंदीदा परीक्षा केंद्र के मुताबिक आयोग के क्षेत्रीय कार्या लय के पते पर आवेदन भेजना अनिवार्य है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा नहीं है।

शैक्षिक योग्यता
आवेदक के पास मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय अथवा संस्थान से हिन्दी या अंग्रेजी में मास्टर डिग्री या समतुल्य डिग्री होनी चाहिए। इसके साथ स्नातक में अनिवार्य या वैकल्पिक विषय के रूप में हिन्दी या अंग्रेजी रही हो। इसके अलावा, मान्यता प्राप्त संस्थानों से अनुवाद में डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स या सरकार के अधीनस्थ कार्यालयों में दो साल का अनुवाद का काम करने का अनुभव होना चाहिए।

उम्र 
अभ्यर्थी का जन्म दो अगस्त 1982 या उसके बाद हुआ हो यानी एक अगस्त 2012 की तारीख तक उसकी उम्र तीस वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। उम्र सीमा में केंद्र सरकार के नियमानुसार छूट का प्रावधान है।

चयन प्रक्रिया 
चयन प्रक्रिया दो चरणों में है- लिखित परीक्षा और साक्षात्कार।
लिखित परीक्षा के तहत दो प्रश्नपत्र होंगे। दोनों को हल करने के लिए दो-दो घंटे निर्धारित किये गए हैं। प्रश्नपत्रों का स्तर स्नातक है।
पहले प्रश्नपत्र में सौ अंकों के सौ प्रश्न सामान्य हिन्दी के और सौ अंकों के इतने ही प्रश्न सामान्य अंग्रेजी के होंगे। इन प्रश्नों के माध्यम से भाषा, साहित्य, सही शब्द, मुहावरे और लोकोक्तियों पर अभ्यर्थी की जबरदस्त पकड़ का आकलन किया जाता है।
दूसरा प्रश्नपत्र भी दो सौ अंकों का है। इसमें हिन्दी से अंग्रेजी में एक और अंग्रेजी से हिन्दी में एक अनुवाद करना है। इसके अलावा, एक निबंध अंग्रेजी में और एक हिन्दी में लिखने के लिए कुछ टॉपिक दिये जाएंगे। इस प्रश्नपत्र के माध्यम से दोनों भाषाओं पर पकड़, अनुवाद करने की कुशलता और कौशल क्षमता को परखा जाएगा।

साक्षात्कार
लिखित परीक्षा में मिले अंकों के आधार पर साक्षात्कार के लिए शॉर्ट लिस्टेड किया जाएगा। साक्षात्कार सौ अंकों का है। इसमें आवेदक के व्यक्तित्व और उसके निजी प्रमाणपत्रों की जांच की जाएगी। केवल एससी/एसटी के छात्रों को साक्षात्कार में आने-जाने के लिए यात्रा भत्ता दिया जाएगा। अभ्यर्थियों द्वारा लिखित और साक्षात्कार में प्राप्त कुल अंकों के आधार पर नियुक्ति की संस्तुति की जाएगी।

महत्वपूर्ण
महज डिग्री या डिप्लोमा से ही अनुवाद के स्किल्स प्राप्त नहीं किये जा सकते। भाषा और साहित्य का अध्ययन पठन- पाठन की प्रक्रिया है। पढ़ने-लिखने, विचार करने और किसी भी सिद्धांत और उसके व्यावहारिक पक्ष को समझने का भरपूर मौका मिलता है। अनुवाद दो भाषाओं के बीच पुल का काम करता है। एक अनुवादक को इस कड़ी में स्रेत भाषा से लक्ष्य भाषा में जाने के लिए दूसरे के इतिहास और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का भी ज्ञान हासिल करना होता है। ऐसे में अनुवाद के लिए निरंतर अभ्यास और व्यापक ज्ञान की जरूरत होती है। अनुवाद साधना की तरह है। लेखक की अपनी शैली होती है। अनुवादक का कर्तव्य है कि वह अनुवाद में लेखक की शैली बरकरार रखे। अनुवाद लिखित विधा है, जिसे करने के लिए कई साधनों की जरूरत पड़ती है। मसलन शब्दकोश, संदर्भ ग्रंथ, विषय विशेषज्ञ या मार्गदर्शक की मदद से अनुवाद कार्य पूरा किया जाता है। अनुवाद में शब्दद र-शब्द, शाब्दिक अनुवाद, भावानु वाद, विस्तारानुवाद और सारानुवाद जैसी कई चीजें प्रचलित हैं। यह क्षेत्र के हिसाब से तय होता है कि किसको-क्या चाहिए।

सरकारी दफ्तरों में आमतौर पर शब्द-दर-शब्द अनुवाद करने की ही परंपरा है। अध्ययन सामग्री तैयार करने में विस्तार से अनुवाद करने की जरूरत पड़ती है। एक प्रोफेशनल अनुवादक बनने के लिए विश्वविद्यालयों में डिप्लोमा और डिग्री के कई कोर्सेज हैं। डिप्लोमा एक साल का होता है। इसमें दाखिला लेने के लिए किसी भाषा में स्नातक होना जरूरी है। साथ ही, दूसरी भाषा के ज्ञान और पढ़ाई की भी मांग की जाती है। मसलन, हिंदी-अंग्रेजी अनुवाद के डिप्लोमा कोर्स के लिए दोनों भाषाओं का ज्ञान जरूरी है। इनमें से छात्र ने किसी एक में स्नातक किया हो। साथ ही, दूसरी भाषा भी पढ़ी हो।

ऐसे करें पीओ की तैयारी


निजी बैंकों के आने और राष्ट्रीयकृत बैंकों की शाखाओं की जबरदस्त बढ़ोत्तरी के कारण बैंकों में प्रोबेशनरी ऑफीसर (पीओ) पद की मांग में इजाफा हुआ है.

बैंकिंग सेक्टर शुरू से ही युवाओं को लुभाता रहा है। बेहतर सैलरी, अच्छा इनवायरमेंट, साथ ही लोगों से हर दिन रू-ब-रू होने का मौका काफी कम नौ करियों में मिलता है। बैंकों में भी नौकरी के अलग-अलग स्टेज हैं लेकिन प्रोबेशनरी ऑफीसर की नौकरी का अलग ही क्रेज है। कभी वह भी दौर था जब लोगों का चयन सिविल सेवा में न हो पाने पर वे बैंकों में पीओ बनने को तवज्जो देते थे क्योंकि बैंक में अधिकारी बनने की प्रक्रिया पीओ से ही शुरू होती है। किसी भी बैंक के संचालन से लेकर मैनेजमेंट को-ऑर्डिनेशन का पूरा काम पीओ ही देखते हैं। यहां तक कि बैंक को किस प्रोजेक्ट या प्रोफाइल पर काम करना है, यह तय करने की जिम्मेदारी भी इन्हीं पर ही रहती है।

पिछले कुछ दशकों से भारत में निजी बैंकों के आने और राष्ट्रीयकृत बैंकों की शाखाओं की जबरदस्त बढ़ोतरी के कारण बैंक पीओ की मांग में इजाफा हुआ है। साथ ही, आने वाले समय में इन बैंकों का और भी विस्तार होना है। इसके अलावा, अनुमान है कि वर्ष 2013 में डेढ़ लाख से भी ज्यादा बैंक कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में, इन दिनों बैंकिंग सेक्टर में नौकरी की बहार आई हुई है।

परीक्षा एवं चयन प्रक्रिया बैंक प्रोबेशनरी ऑफीसर परीक्षा एवं चयन प्रक्रिया दो चरणों में लिखित परीक्षा, साक्षात्कार और ग्रुप डिस्कशन के जरिए होती है। लिखित परीक्षा के तहत पहले चरण में ऑब्जेक्टिव टाइप के प्रश्न पूछे जाते हैं। इसमें रीजनिंग, क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूड, जनरल अवेयरनेस और इंग्लिश से संबंधित प्रश्न होते हैं। उसके बाद डिस्क्रिप्टिव परीक्षा होती है। सामान्यत: यह परीक्षा इंस्टीटय़ूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सलेक्शन (आईबीपीएस) लेती है। इसमें उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों को एक स्कोर दिया जाता है। विभिन्न बैंकों में स्कोर के मुताबिक इंटरव्यू या ग्रुप डिस्कशन के लिए बुलाया जाता है। इसमें सफल होने के बाद अभ्यर्थी का चयन पीओ पद के लिए किया जाता है।

पीओ के लिए तैयारी
  • किसी भी परीक्षा की तैयारी के लिए सिलेबस के साथ मार्गदर्शन की भी जरूरत होती है। मुकम्मल तैयारी के लिए पूरे सिलेबस पर एक नजर दौड़ानी चाहिए। 
  • मार्गदशर्न के लिए किसी अच्छी कोचिंग की सहायता ली जा सकती है। चाहें तो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे सीनियर्स से भी मदद ले सकते हैं। 
  • डाटा एनालिसिस एंड इंटरप्रिटेशन, रीजनिंग, जनरल अवेयरनेस और इंग्लिश लैंग्वेज- सभी विषयों की तैयारी के लिए निरंतर अभ्यास की जरूरत होती है। इसके लिए सभी विषयों के लिए एक नियत समय निर्धारित करना होगा। उसके अनुरूप तैयारी करनी होगी। 
  • गणित की तैयारी के लिए कुछ बढ़िया पुस्तकें मिलती हैं। उनका गहन अध्ययन कर सकते हैं। मैथ्स के सवाल हल करते समय इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है कि कम से कम समय में कैसे अधिक से अधिक प्रश्नों को हल निकाला जा सकता है। यह तभी संभव है जब मैथ्स के महत्वपूर्ण सूत्रों को याद रखेंगे। गणित के सवाल हल करते समय इस बात का ध्यान रखें कि यदि आपने सही कर लिया तो पूरे के पूरे अंक मिलेंगे। 
  • रीजनिंग और न्यूमेरिकल के लिए बाजार में कई किताबें उपलब्ध है। प्रतियोगी पत्रिकाओं में भी प्रैक्टिस सेट होते हैं। उसे निर्धारित समय में हल करने की कोशिश करते रहिये। 
  • इंग्लिश ग्रामर के लिए रेन एंड मार्टिन जैसी पुस्तकों का सहारा लिया जा सकता है। इसके साथ ही कोई राष्ट्रीय अंग्रेजी समाचारपत्र नियमित पढ़ने से शब्द-भंडार को बढ़ाया जा सकता है। 
  • करेंट अफेयर्स के लिए भी समाचारपत्र का पढ़ना जरूरी है। 
  • ऑब्जेक्टिव परीक्षा में एक या आधे अंक का भी खास महत्व होता है। हो सकता है कि आधा अंक कम होने की वजह से आप लिखित परीक्षा में सफल न हो सकें। इस तरह की समस्या से बचने का सरल उपाय यही है कि आप जो जानते हैं, उन्हें ही हल करें। इस रणनीति से लक्ष्य तक पहुंचना आसान रहेगा। 
  • कम समय में अधिक से अधिक प्रश्नों को सही-सही हल करने के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस सेट बनाने की जरूरत है। इसके लिए निरंतर अभ्यास के अलावा कोई विकल्प नहीं है। 
  • पीओ की परीक्षा को बिल्कुल टफ न मानें। सिलेबस के अनुसार, आप तैयारी आप कर रहे हैं। अपने आपसे हमेशा कहें कि जो कुछ भी पूछा जाएगा, वह सिलेबस से ही तो पूछा जाएगा। 
  • चूंकि बैंक की सभी परीक्षाओं में निगेटिव मार्किग का प्रावधान है, इसलिए उत्तर पुस्तिका में गोल खाना भरते समय सावधानी बरतें। जब तक आप पूरी तरह संतुष्ट न हो जाएं (कि आपका उत्तर सही है), तब तक उन खानों को न भरें। जिस उत्तर के प्रति आप पूरी तरह आस्त हों (कि यही सही उत्तर है), उसी को भरें क्योंकि यदि आप गलत उत्तर भरेंगे तो आपको सही के लिए मिला अंक भी काट लेंगे। 
  • अकसर विद्यार्थियों को लगता है कि कम खाएंगे तो नींद कम आएगी। नींद कम आएगी तो ज्यादा पढ़ पाएंगे। ऐसा सोचना गलत है। विद्यार्थी को अपनी डाइट कम नहीं करनी चाहिए। हां, बाजार का खाना बंद कर घर का बना खाना खायें। नींद पूरी लें जिससे जब भी जागें, आप तरोताजा महसूस करें। इससे पढ़ाई अच्छी होगी।
  • पढ़ने के साथ-साथ लिखने का भी निरंतर अभ्यास करते रहें। 
  • घर में खुद के लिए परीक्षा जैसा माहौल बनाकर अपने को अभ्यस्त कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि स्टडी के दौरान न तो बार-बार सीट से उठें और न ही उस दौरान किसी से फोन पर बात करें। 
 

Tuesday, September 4

अनाज भंडारण से जुड़ने के मौके

अनाज भंडारण से जुड़ने के मौके

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की स्थापना अनाज भंडारण के लिए की गई है। सार्वजनिक वितरण पण्राली के लिए खाद्यान्नों तथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भंडारण और किसानों के लिए प्रभावी समर्थन मूल्य की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी इसी पर है। इसके सामान्य, लेखा, तकनीकी और डिपो डिपार्टमेंट के लिए जुड़ना मायने रखता है। सहायक ग्रेड-थ्री के लिए 6,545 पदों की बहाली के लिए खाद्य निगम संयुक्त परीक्षा आयोजित कर रहा है

शैक्षिक योग्यता 
सामान्य सहायक और डिपो सहायक के लिए स्नातक होना जरूरी है। लेखा सहायक के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थी के पास बी.कॉम की डिग्री होनी चाहिए, जबकि तकनीकी सहायक पद के लिए आवे दन करने वाले अभ्यर्थी को एग्रीकल्चर, बॉटनी, जूलोजी, बॉयोटेक्नोलॉजी, बॉयोकेमेस्ट्री, माइक्रो-बॉयोलॉजी, फूड साइंस विषयों से बीएससी उत्तीर्ण होना चाहिए। फूड साइंस, फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी, एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, बॉयोटेक्नोलॉजी विषय से बीटेक या बीई करने वाले विद्यार्थी भी तकनीकी सहायक पद के लिए आवेदन कर सकते हैं।

चयन प्रक्रिया
सहायक ग्रेड-थ्री की भर्ती प्रक्रिया तीन चरणों में होगी। पहले चरण में पेपर एक की लिखित परीक्षा है। पेपर एक के तहत ऑब्जेक्टिव टाइप के 200 सवाल पूछे जाएंगे। दूसरे चरण में शॉर्ट लिस्टेड अभ्यर्थी ही परीक्षा देंगे। इसमें भी प्रश्न ऑब्जेक्टिव टाइप के ही होंगे। इसमें क्वांटिटेटिव (गणित) और इंग्लिश लैग्वेज और कॉम्प्रेहेन्शन से सवाल पूछे जाएंगे। तकनीकी सहायक के अभ्यर्थी को पेपर दो की जगह पेपर तीन की परीक्षा देनी होगी। इसमें भी ऑब्जेक्टिव प्रश्न होंगे। एक-एक अंक के दो सौ प्रश्न बॉयोलॉजिकल साइंस से जुड़े प्रश्न होंगे। तीसरे चरण के तहत सहायक ग्रेड-थ्री के सभी पदों के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को कम्प्यूटर प्रोफिशिएंसी टेस्ट (सीपीटी) की परीक्षा देनी होगी। यह क्वालिफाइंग नेचर की परीक्षा है। फाइनल सलेक्शन फाइनल सलेक्शन पेपर एक और पेपर दो के प्राप्तांकों को जोड़कर होगा। केवल तकनीकी सहायक के लिए पेपर एक और पेपर तीन के प्राप्तांकों को जोड़कर अंतिम चयन किया जाएगा। सिलेबस पेपर वन और पेपर दो का सिलेबस हायर सेकेंडरी लेबल का है जबकि पेपर थ्री का लेवल ग्रेजुएट स्तर का होगा।

पहले पेपर में अधिक अंक लाने के लिए जनरल इंटेलिजेंस के अंतर्गत रिलेशनशिप कॉन्सेप्ट, समानता और अंतर, समस्या का समाधान, मूल्यांकन, निर्णय क्षमता, चित्रों का वर्गीकरण जैसे वर्बल, कोडिंग और डिकोडिंग, वाक्यनि ष्कर्ष इत्यादि पर अपनी पकड़ मजबूत करनी होगी। अंग्रेजी मजबूत करने के लिए इंग्लिश वोकेबलरी, ग्रामर, सेंटेंस स्ट्रक्चर, सिनोनिम्स, एंटोनिम्स और अंग्रेजी में राइटिंग स्किल पर ध्यान देना होगा। क्वांटिटेटिव एप्टीटय़ूड से संबंधित प्रश्नों का उत्तर आप तभी दे पाएंगे जब अर्थमैटिक,
अल्जेब्रा, ज्योमैट्री, मेनसुरेशन, ट्रिग्नोमेट्री, स्टेटिस्टिकल चार्ट्स आदि पर आपकी पकड़ मजबूत रहेगी। जनरल अवेयरनेस की तैयारी के लिए आपको करेंट इंवेट के साथ भारत तथा इसके पड़ोसी देशों के खेल, इतिहास, संस्कृति, भूगोल, राजनीति, साइंटिफिक रिसर्च, भारतीय संविधान इत्यादि से संबंधित ज्ञान होना चाहिए। दूसरे पेपर के लिए आपको दसवीं और बारहवीं स्तर के गणितीय सवालों और अंग्रेजी पर पकड़ मजबूत करना होगा।

कैसे करें तैयारी
  • ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्नों के लिए टाइम मैनेजमेंट जरूरी है। इसलिए इसको तैयार करते वक्त शुरू से समय का ध्यान रखें। जितनी ज्यादा आप प्रैक्टिस करेंगे, परीक्षा के दौरान आपको उतना ही फायदा होगा। 
  • परीक्षा में सबसे पहले उन्हीं प्रश्नों को हल करें, जिनका उत्तर आप अच्छी तरह से जानते हैं। यदि आप किसी प्रश्न में उलझे तो काफी समय बर्बाद होगा। जिनके जवाब जानते होंगे, उनके भी जवाब नहीं दे पाएंगे। 
  • जनरल इंटेलिजेंस एवं न्यूमेरिकल एप्टीट्यूड, अंग्रेजी और जनरल अवेयरनेस की अपेक्षा अधिक समय लेते हैं। इस कारण परीक्षा के दौरान कोशिश होनी चाहिए कि अंग्रेजी और जनरल अवेयरनेस को कम समय दें।
  • करेंट अफेयर्स की तैयारी हमेशा करें। यदि सिर्फ एक घंटे इसको देंगे तो रोज नई घटनाओं या खेलों से अवगत होते रहेंगे और परीक्षा तक तैयारी हो जाएगी। 
  • स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं की मदद से राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, आर्थिक, खेल गतिविधियों एवं पुरस्कार, चर्चित व्यक्ति, आदि का नियमित अध्ययन करें। 
  • एनसीईआरटी की पुस्तकों से भारतीय इतिहास, संस्कृति, राज्य व्यवस्था, भूगोल, अर्थव्यवस्था आदि को पढ़ें और अपना बेसिक मजबूत करें। 
  • तर्कशक्ति पर आधारित अभ्यास प्रश्नपत्रों को ज्यादा से ज्यादा हल करने की प्रैक्टिस करें। प्रश्नों को तेज गति से हल करने की क्षमता में वृद्धि होगी। 
  • मैथ्स की तैयारी के लिए हायर सेकेंडरी स्तर की किताबों की सहायता से विभिन्न टाइप के सवालों को समझें। उन्हें तेजी से और सही-सही हल करने की तकनीक विकसित करें।