जिसे देखो वही पुरानी चीजों को छोड़ कर नए की और दौड़ रहा है। इस दौड़ में काफी कुछ पीछे छुट रहा है इस और कोई ध्यान दे नही पा रहा है, ध्यान नही दे रहा है। यह कहने से पहले ख़ुद को भी देखना पड़ेगा... हम क्या कर रहे हैं।
भाग दौड़ भरी जिन्दगी में लोग कितने भुलाने लागे है अपने को यह अनुभव मुझे आज हो रहा है। अच्छे दोस्तों में एक दोस्त है दीपक रामकृष्ण। कल २८ को जन्मदिन था, मैं उसे विस नही कर पाया, कड़े शब्दों कहें तो भूल गया। याद आया अभी, एक दिन बाद... अब जन्मदिन की बधाई देने में डर लग रहा है।
वह दोस्त जिसके साथ मैंने कॉलेज की जिन्दगी बिताई है, उसे भूल गया। वो भी तब जब कॉलेज के जिन्दगी मैंने ही कभी जिन्दगी के दौड़ का क़दम ताल कहता था। मैंने कभी भगत सिंह को देखा नही और न ही भगत सिंह के बारे में लोगो के मुख से सुना... कुछ सुना भी तो ये... टूटी फूटी शब्दों में याद है... मत धारण करना काया फिर से भारतवासी, देशभक्ती में मिलता है फांसी...
एक बात और याद है... शहीदों की मजार पर, कोई फूल चढाये क्यों, ईंटे उठा कर ले गए, कार में रखने के लिए...
ऐसे में भगत सिंह को पुरी तरह भूल गया नयी पीढी तो क्या करें... नयी पीढी को चाहिए लेटेस्ट मोबाइल, लैपटॉप, मुल्तिप्लेक्स में लड़की का साथ... इसके लिए भगत सिंह आदर्श नही हो सकते हैं।
...वो तो भला हो टीवी वाले का की नौजवानों को लता दीदी की याद दिला दी जैसे ११ अक्टूबर को अमिताभ की याद दिलाएंगे जेपी को भूल कर। जेपी का मतलब जय प्रकाश से लेना भाई जिन्होंने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था। जेपी का मतलब यूपी के कंपनी से बिलकुल मत लेना।
जेपी को याद भी लोग क्यों रखे देखिये जेपी के भक्तों को कल तक कांग्रेस का विरोध करते थे, आज सत्ता की मलाई खा रहे है, लोहिया के लोग भी इसमे पीछे नहीं हैं। ऐसे दौर में नयी पीढी नए व्यक्तित्व की और देख रहा है जो जीवित हैं, अच्छी बात ये है की नए पीढी में अरविन्द केजरीवाल जैसे लोग भी हैं.
3 comments:
सहमत हूँ आपसे.
DEEPAK SIR, AAP REALLY KAMAAL LIKHTE HAIN...I LOVE YOUR BLOG.
--(NAAM BATANA PADEGA KYA?)
काश डॉ. संदीप पाण्डेय वाकई अकेले पड़ जायें तो इस देश में हिंदू- मुसलमान दोनों का भला हो जाएगा... अब ज़रा एक नज़र इधर भी डालें (http://hindi-cns.blogspot.com/2008/09/blog-post_8604.html), तुष्टिकरण की इन्तहा है, कभी कभी एक कौम के लिए ज़रूरत से ज़्यादा चाशनी में डूबा हुआ लेख, किसी न किसी षडयंत्र की बू देता है, पता नही ये हिंदू वादी संगठनों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं , या ध्रुवीकरण करके इनको और मज़बूत बनाना चाहते हैं.
कितनी बार लेख में इन्होने ख़ुद ही कहा है ....बम विस्फोट के लिए चाहे जो भी जिम्मेदार हो..... जो भी आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दे रहा हो इस बात में तो कोई संदेह नहीं है कि सांप्रदायिक आधार पर मतों का जो ध्रुवीकरण हो रहा है ..... बिल्कुल सही, लगता है भाजपा ने इस बार यह काम इन्हे ही सौंप दिया है कि आप उगलो आग हिंदुयों के ख़िलाफ़ और हिंदू और ज्यादा मजबूती से हमे वोट दे ....
माना, हिंदू जिम्मेदार है आतंकी घटनाओं का, पर ऐसे तो इल्जाम लगाना तो नफरत और बढ़ाएगा, बात कुछ हज़म नही होती कि विदेशियों ने कोई साजिश रची ही नही इस देश में नफरत फैलाने कि इनके हिसाब से तो दुनियाभर में आतंकी गतिविधियाँ हिंदुस्तान के हिंदू कर रहे हैं .... ऐसे लोगो कि खालिश कल्पनाओं से न केवल हिंदुयों को बचना होगा बल्कि मुसलमानों को तो इनके खैरात कि दरियादिली से बिल्कुल ही किनारा कर लेना पड़ेगा .....
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