Tuesday, October 2

इंजीनियरिंग का प्रवेश द्वार जेईई

आईआईटी, ट्रिपल आईटी, एनआईटी में दाखिला 2013 से नये प्रारूप में होगा। नये प्रारूप में सीबीएसई ने अखिल भारतीय स्तर पर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन के लिए ज्वाइंट इंट्रेंस एग्जामिनेशन (जेईई) आयोजित कर रही है। जेईई दो भागों में बंटा है - जेईई मेन और जेईई एडवांस। जेईई मेन में सफल अभ्यर्थी ही जेईई एडवांस परीक्षा में बैठ सकेंगे और फिर इस परीक्षा में सफल अभ्यर्थी का देश के विभिन्न आईआईटी में एडमिशन होगा


परीक्षा प्रारूप
जेईई मेन में तीन घंटे का एक ऑब्जेक्टिव पेपर होगा। बीई, बीटेक में एडमिशन लेने वालों को फिजिक्स, कैमेस्ट्री और मैथमेटिक्स से संबंधित सवाल पूछे जाएंगे जबकि बीआर्क और बी प्लानिंग में एडमिशन लेने वालों को मैथ्स, एप्टीट्यूड टेस्ट और ड्राइंग टेस्ट देना होगा। जेईई मेन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से होगी। जेईई मेन की ऑफलाइन परीक्षा 7 अप्रैल 2013 को होगी। जेईई मेन देने वाले विद्यार्थियों में से डेढ़ लाख छात्रों का रिजल्ट मई के पहले सप्ताह में घोषित किया जाएगा। सफल विद्यार्थी जेईई एडवांस की परीक्षा के लिए क्वालिफाई होंगे। जेईई एडवांस की परीक्षा देने के लिए फिर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। जेईई एडवांस का आयोजन 2 जून 2013 को होना है। इसमें सफल होने वाले विद्यार्थियों की ऑल इंडिया रैंक (एआईआर) की सूची बनाई जाएगी। एडवांस के सफल विद्यार्थियों की काउंसलिंग आईआईटी, दिल्ली की देखरेख होगी जबकि जेईई मेन की काउंसलिंग सीबीएसई कराएगा। जेईई एपेक्स बोर्ड के अनुसार, एनआईटी, आईआईआईटी, डीटीयू औ र अन्य इंस्टीट्यूट में एडमिशन के लिए मेरिट लिस्ट में 12वीं के 40 फीसदी अंकों को वेटेज दिया जाएगा। 60 प्रतिशत जेईई मेन के परफॉर्मेंस पर रहेंगे।

तैयारी के टिप्स
पेपर वन में फिजिक्स, कैमेस्ट्री, मैथ्स को बराबर वेटेज मिलता है, लेकिन मैथ्स में अच्छा प्रदर्शन रैंक को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। डिफ्रेंशियल कैलकुलस, ट्रिग्नोमेट्री, प्रोबेबिलिटी, परम्यूटेशन-कॉम्बिनेशन, कोऑर्डिनेट ज्योमेट्री स्कोरिंग माना जाता है। फिजिक्स के प्रश्नों का बड़ा हिस्सा डायमेंशन, इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म, इलेक्ट्रॉनिक्स, कैलकुलस पर आधारित होता है। प्रश्नों में आने वाले घुमावों के मद्देनजर बेसिक क्लियर होना जरूरी है। इसके प्रश्न सीबीएसई एग्जाम पैटर्न पर आधारित होते हैं। ऐसे में बारहवीं या इंटरमीडिएट की पढ़ाई के दौरान जो छात्र सिलेबस पर पकड़ बना लेते हैं, उन्हें जेईई की चुनौती आसान हो जाती है। इंजीनियरिंग परीक्षाओं में छात्र मैथ्स, फिजिक्स पर ज्यादा फोकस करते हैं, नतीजतन उनकी कैमेस्ट्री की सही तैयारी नहीं हो पाती। कैमेस्ट्री को इग्नोर करने का परिणाम खराब रैंक के तौर पर मिलता है। अच्छे रैंक के लिए कैमेस्ट्री की तैयारी भी जरूरी है। इसमें ऑर्गेनिक रिएक्शन, इलेक्ट्रो रिएक्शन, केमिकल बॉन्डिंग, आइसोमेरिज्म, मोल कॉन्सेप्ट पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। एक सफल इंजीनियर को अपने आपको इस स्तर तक मांझना होता है कि वह स्वतंत्र रूप से कोई भी प्रोजेक्ट या प्लानिंग कर सके। ऐसे हर व्यक्ति को अपना स्टाइल बनाना जरूरी हो श्ा ै िक्ष क योग्यता जेईई मेन के लिए विद्यार्थी को
जाता है। फैसला अपने स्टाइल में लेना होता है। घबराहट और एग्जाम के प्रेशर में निर्णय लेने की क्षमता भी प्रभावित होती है। जाहिर है कि इससे गलतियां भी होती है। ऐसे में अपनी मानसिक शक्ति को बनाए रखने की खासी जरूरत है। स्टडीज में निरंतरता बनाए रखने में ही यहां सफलता मिलती है। कोई भी टॉपिक यूजलेस है, ऐसा पूर्वाग्रह नुकसानदेह होता है। ज्यादा लिमिटेशन और ज्यादा एक्सपोजर दोनों ही सिचुएशन खतरनाक हैं। यहां बैलेंस बनाकर चलना जरूरी है। खुले दिल से पढ़ने की जरूरत है। हमेशा रियलिस्टिक लक्ष्य निर्धारित करें और उस पर खरा उतरने की कोशिश करें। विषय संबंधी कॉन्सेप्ट क्लीयर रखें। बेसिक नॉलेज को पुख्ता करें और उन्हें रिवाइज करें। इसके लिए ब्रॉड लेवल पर डीप और फोकस्ड स्टडी जरूरी है। ऐसे में, सिर्फ कोचिंग के नोट्स पर डिपेंड रहना खतरनाक है। फिजिक्स, मैथ्स, कैमेस्ट्री के फार्मूले बनाकर उन्हें अपने कमरे की दीवार पर लगाएं ताकि चलते-फिरते उस पर नजर पड़े और आप उसे दोहरा सकें। अकसर परीक्षा के पास आते-आते घबराहट में कम छात्र सोते हैं और सही तरीके से पढ़ाई पर फोकस नहीं कर पाते हैं। इस लेबल पर ज्यादा फिनिशिंग की जरूरत होती है। हर हाल में डर और घबराहट पर कंट्रोल करना चाहिए। पेशंस और साउंड स्लीप पर फोकस करें। सभी प्रश्न बहुवैकल्पिक है और परीक्षा में नकारात्मक अंक भी है। प्रत्येक एक गलत उत्तर पर एक-चौथाई अंक प्राप्तांक में से काट लिया जाएगा। ऐसे में प्रश्नों को हल करते समय एहतियात बरतने की जरूरत है।

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